एफएम रेडियो बंद करने वाला दुनिया का पहला देश बना नॉर्वे
१२ जनवरी २०१७
नॉर्वे ने एफएम रेडियो बंद करने की शुरुआत कर दी है. दुनिया का यह पहला देश है जहां एफएम रेडियो बंद किए जा रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि एफएम बंद करके उसकी जगह डिजिटल ऑडियो ब्रॉडकास्टिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
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11 जनवरी को स्थानीय समयानुसार 11 बजकर 11 मिनट पर देश के उत्तरी हिस्से में नॉर्डलांड काउंटी में एफएफ ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम बंद कर दिया गया. सरकारी रेडियो एनआरके और अन्य निजी ब्रॉडकास्टर्स ने अपना एफएम प्रसारण बंद करके डीएबी से प्रसारण शुरू कर दिया. इस मौके पर एनआरके के ब्रॉडकास्टिंग चीफ थोर जेर्मनुंड इरिकसन ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक पल था." इरिकसन ने इस बात पर जोर दिया कि नॉर्वे राष्ट्रव्यापी पैमाने पर ऐसा करने वाला पहला मुल्क बन गया है. अब धीरे धीरे पूरे देश के रेडियो चैनल्स को एफएम से डैब पर लाया जाएगा. डैब आधुनिक तकनीक है. कहा जाता है कि यह ज्यादा ताकतवर तकनीक है और इसमें खर्च भी कम होता है. डैब का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए प्रसारण में कम बिजली इस्तेमाल होती है. नॉर्वे के अधिकारियों का कहना है कि वे अब ज्यादा चैनल और बेहतर ऑडियो दे पाएंगे.
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9 जनवरी 2007 को स्टीव जॉब्स ने पहला आईफोन पेश किया.
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सितंबर 2016 तक 103.40 करोड़ आईफोन बिक चुके थे.
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औसतन एक व्यक्ति रोजाना 88 बार आईफोन की स्क्रीन देखता है.
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दुनियाभर में 2.6 अरब लोगों के पास स्मार्टफोन हैं.
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अब तक आईफोन के कुल 15 मॉडल्स बाजार में उतारे जा चुके हैं.
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ऐपल कंपनी का 60% से ज्यादा रेवेन्यू आईफोन से ही आता है.
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आईफोन यूजर्स के पास 2.2 अरब ऐप्स का जखीरा है.
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आईफोन 7 को बनाने में 225 अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है.
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2017 में लोग स्मार्ट फोन से ऑनलाइन शॉपिंग पर 102 अरब डॉलर खर्चेंगे.
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इंटरनेट के कुल ट्रैफिक का आधा स्मार्ट फोन और टैबलेट्स् से ही आता है.
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नॉर्वे का भूगोल ऐसा है कि छोटे छोटे समुदाय दूर-दराजों इलाकों में बसे हुए हैं. इनके बीच पहाड़ और घाटियां हैं. इस कारण एफएम रेडियो का प्रसारण ज्यादा मुश्किल हो जाता था. एफएम तरंगें पहाड़ और घाटियां पार नहीं कर पातीं और इसका असर क्वॉलिटी पर पड़ता था. यह बात भी नॉर्वे के लिए बड़े बदलाव का कारण बनी.
इरिकसन ने बताया, "अब पहली बार ऐसा होगा कि पूरे देश में एनआरके की सेवाएं एक जैसी होंगी, फिर चाहे वे राजधानी ओस्लो में रहते हों या उत्तर में लोफोटन में." हालांकि तकनीक में बदलाव की राह में जो रोड़े आए, उनमें लोगों का अनिच्छुक होना भी शामिल है. दिसंबर में एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर लोग एफएम रेडियो बंद किए जाने के खिलाफ थे. डेली वीजी नाम की संस्था ने एक हजार से ज्यादा लोगों से बात करके निष्कर्ष निकाला कि देश के 55.5 फीसदी लोग एफएम छोड़कर डैब अपनाने से नाखुश हैं. 25.1 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में थे जबकि 19.1 फीसदी लोग कोई फैसला नहीं ले पाए. इसकी वजह यह भी हो सकती है कि अब लोगों को रेडियो सुनने के लिए नए डैब रेडियो सेट खरीदने होंगे. या फिर वे कंप्यूटर अथवा स्मार्टफोन से रेडियो सुन पाएंगे. लोगों को अपनी कारों के सिस्टम भी बदलने होंगे.
जानिए, स्मार्टफोन कैसे हुआ इतना स्मार्ट
कैसे हुआ 'स्मार्ट फोन' इतना स्मार्ट?
स्मार्टफोन्स का दखल हमारी जिंदगी में इतना बढ़ चुका है कि शायद उनके विकास की यह कहानी आप अपने स्मार्टफोन पर ही देख रहे हैं. इन तस्वीरों में देखिए फोन के 'स्मार्टफोन' होते जाने की यह रोचक कहानी...
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सिमोन पर्सनल कम्युनिकेटर
1994 में आईबीएम अपना सिमोन पर्सनल कम्युनिकेटर लेकर आया. ये बहुत स्मार्ट तो नहीं था पर यहीं से शुरूआत हुई. इससे कॉल और मेसेज तो किए ही जा सकते थे साथ में ईमेल और फैक्स भी.
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ब्लैकबेरी
1999 में ब्लैकबेरी की ईमेल डिवाइस ब्लैकबेरी 850 आई. यह एक फोन नहीं बल्कि एक पेजर था, ईमेल करने के लिए. इसके बाद ब्लैकबेरी ढेर सारे फीचर्स के साथ अपना पहला मोबाइल फोन ब्लैकबेरी 5810 लेकर बाजार में उतरा, जिसे बेहद पसंद किया गया. एक लिहाज से इसके साथ ही स्मार्टफोन्स ने आकार लेना शुरू किया.
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पहला 'स्मार्टफोन'
जब स्वीडिश कंपनी एरिक्सन ने 2000 में अपना आर 380 बाजार में उतारा तो पहली बार इस फोन के लिए 'स्मार्टफोन' शब्द का इस्तेमाल हुआ. यह सिंबियन ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ एक हल्का फ्लिप फोन था.
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सिंबियन
2011 में एंड्राइड के आने से पहले स्मार्टफोन्स के बाजार में सिंबियन की ही धूम थी. नोकिया अपने सिंबियन फोन्स के साथ मोबाइल बाजार के सबसे बड़े हिस्से में कब्जा किए हुए था.
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आईफोन
एप्पल ने 2007 में अपना पहला मल्टी टच स्क्रीन फोन, आईफोन लांच किया. ये डिजाइन और तकनीक का बेजोड़ नमूना था. स्मार्टफोन्स की दुनिया में ये क्रांति थी. इसके बाद आईफोन सीरिज के स्मार्टफोन्स अपनी खूबसूरती और बेजोड़ तकनीक और फीचर्स से लगातार धूम मचाते गए.
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वायरस का खतरा
कैस्पर स्काई लैब ने 2010 में एंड्राइड से जुड़े पहले वायरस को पहचाना. स्मार्ट फोन्स में लोग बेहिचक अपने बेहद निजी दस्तावेज और पासवर्ड शेयर करते हैं. ऐसे में वासरस स्मार्ट फोन्स की दुनिया के लिए चुनौती हैं. हालांकि एप्पल के आईओएस के साथ वायरस की कोई दिक्कत नहीं है.
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एंड्रॉइड
2008 में गूगल स्मार्टफोन मार्केट में अपना नया आॅपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड लेकर आया. आईओएस एप्पल ने सिर्फ आईफोन्स के लिए तैयार किया था जबकि एंड्रॉइड को मोबाइल बाजार की तकरीबन सारी ही कंपनियों ने अपना लिया. एंड्रॉइड ने सारे ही फोन्स को 'स्मार्ट' बना डाला.
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स्मार्टफोन्स का भविष्य
लोगों के रोजमर्रा के जीवन में गहराई से शामिल हो चुके स्मार्टफोन्स को और अधिक स्मार्ट बनाने की कंपनियों में होड़ लगी हुई है. ये भविष्य में संभावनाओं से भरा बड़ा बाजार है. ऐसे में स्मार्टफोन्स के और भी स्मार्ट होते जाने का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.
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संसद ने डैब तकनीक के लिए इजाजत 2011 में ही दे दी थी. लेकिन 42 लाख लोगों के देश को पूरी तरह डैब पर लाने में पूरा 2017 लग जाएगा. सरकार के मुताबिक 13 दिसंबर तक पूरे देश में एफएम रेडियो बंद हो जाएंगे और डैब शुरू हो जाएगा. सरकारी अनुमान के मुताबिक 2017 से 2019 के बीच ही डैब तकनीक से 2.1 करोड़ डॉलर की बचत होगी.