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फलीस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देंगे नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन

२२ मई २०२४

गाजा पट्टी में इस्राएल की सैन्य कार्रवाई के बीच यूरोप के तीन देश आजाद फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने जा रहे हैं. इस्राएल ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए, अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है.

आयरलैंड की राजधानी डबलिन में फलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन
आयरलैंड में फलीस्तीन के पक्ष में नारे लगाते लोगतस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance

आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने 28 मई को आजाद फलीस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने की घोषणा कर दी है. आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस के मुताबिक यह कदम तीन देशों ने तालमेल के साथ उठाया है. हैरिस ने इसे "आयरलैंड और फलीस्तीन के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन" करार दिया.

आइरिस प्रधानमंत्री के मुताबिक उन्होंने इस बारे में विश्व के कई अन्य नेताओं से बातचीत की है और उन्हें लगता है कि आने वाले दिनों में अन्य देश भी यही कदम उठाएंगे.

इसके साथ ही हैरिस ने यह भी कहा कि आयरलैंड स्पष्ट रूप से इस्राएल को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देता है और "पड़ोसियों के उसके साथ सुरक्षित और शांतिपूर्ण संबंधों", उसके अस्तित्व के अधिकार को मानता है. आयरलैंड ने गाजा में बंधक बनाए गए सभी लोगों की तुरंत रिहाई की मांग भी की.

स्पेन की सरकार ने भी 28 मई को आजाद फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने का एलान किया है. स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने बुधवार को स्पैनिश संसद को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी.

बिल्कुल ऐसा ही तारीखी एलान उत्तरी यूरोप के समृद्ध देश नॉर्वे ने भी किया. वहां प्रधानमंत्री योनास गास्टोरे 28 मई को आजाद फलीस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने की घोषणा करते हुए कहा, "अगर इसे मान्यता नहीं दी जाएगी तो मध्य पूर्व में शांति नहीं हो सकती." इसके आगे उन्होंने कहा, "एक फलीस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देकर, नॉर्वे अरब शांति योजना का समर्थन करता है."

इस्राएल के विदेश मंत्री इस्राएल कात्जतस्वीर: Lev Radin/Pacific Press/picture alliance

इस्राएल ने जताया कड़ा विरोध

इस्राएली विदेश मंत्री इस्राएल कात्ज ने आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन के कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह "हमास और ईरान के जेहादियों के लिए इनाम है."

कात्ज ने दो देशों का नाम लेते हुए कहा, "आयरलैंड और नॉर्वे ने आज फलीस्तीनियों और पूरी दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की है कि आतंकी होने से फायदा होता है."

इस्राएली विदेश मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्पेन ने भी ऐसा ही कदम उठाया तो वे मैड्रिड से भी अपने राजदूत को वापस बुला लेंगे. आयरलैंड और नॉर्वे में तैनात राजदूतों को इस्राएल वापस बुला चुका है.

इस्राएल की सैन्य कार्रवाई में गाजा पट्टी में भारी तबाहीतस्वीर: Karam Hassan/Anadolu/picture alliance

नेतन्याहू की कार्रवाई से उपजा असंतोष

दुनिया भर में फलीस्तीनियों के मानवाधिकारों की मांग करने लोगों की संख्या बढ़ रही है. अमेरिका और यूरोपीय देशों की यूनिवर्सिटियों में गाजा के आम नागरिकों के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं. इस्राएल के सदाबहार साझेदार माने जाने वाले अमेरिकी और जर्मन नेता भी गाजा में हो रही मौतों को लेकर बैकफुट पर हैं.

ऐसे में यूरोपीय संघ के भीतर भी बरसों से चली आ रही दो-राष्ट्रों की मांग को अब पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा गंभीरता से लिया जा रहा है. यह सब राफा में इस्राएली सरकार की सैन्य कार्रवाई के बीच हो रहा है.

7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने गाजा में शासन करने वाले उग्रवादी संगठन हमास को ध्वस्त करने का एलान किया. हमास को यूरोपीय संघ के सभी देशों, अमेरिका और कई अन्य सरकारों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है.

इस्राएल चाहता है कि वह लंबे समय तक गाजा के इलाके को अपने नियंत्रण में रखे. लेकिन उसका सख्त सैन्य रवैया अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को असहज कर रहा है. फलीस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक इस्राएल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 35,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. गाजा पट्टी भीषण मानवीय त्रासदी झेल रही है.

गाजा में लोगों की मौत के बीच भारत और अरब देशों समेत कई देश दशकों पुराने दो राष्ट्र समझौतेकी पुरजोर वकालत करने लगे हैं.

ओएसजे/एडी (एएफपी, रॉयटर्स)

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