नॉर्वे की पीएम और फेसबुक के बीच न्यूड फोटो पर विवाद
एमजे/वीके (डीपीए, एपी)९ सितम्बर २०१६
नॉर्वे के एक अखबार और फेसबुक के विवाद में प्रधानमंत्री भी कूदीं. उन्होंने शुक्रवार को नग्न तस्वीरों पर फेसबुक को चुनौती देते हुए वियतनाम में नापाम बम से भागती नंगी बच्ची की 1972 की तस्वीर पोस्ट की.
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यह वह नाटकीय तस्वीर है जिसने 1972 में वियतनाम युद्ध को चेहरा दिया था. एपी के फोटोग्राफर निक उट की पुलित्सर विजेता तस्वीर नॉर्वे में प्रेस की आजादी की बहस के केंद्र में है जिसे फेसबुक ने पिछले महीने नॉर्वे के एक लेखक के पेज से डिलीट कर दिया था. तब से बहुत से नॉर्वे वासियों ने वह तस्वीर विरोधस्वरूप सोशल मीडिया पर पोस्ट की है. नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना जोलबर्ग भी शुक्रवार को विरोध करने वालों में शामिल हो गईं. जोलबर्ग की एक सहयाक जिगब्योर्न आनेस ने कहा कि फेसबुक ने कुछ ही घंटों के अंदर उनकी पोस्ट भी हटा दी. जोलबर्ग ने नॉर्वे की समाचार एजेंसी एनटीबी से कहा, "इस तरह की तस्वीर हटाकर वे, चाहे इरादा कितना भी अच्छा हो, हमारे साझा इतिहास को एडिट कर रहे हैं."
फेसबुक ने लंदन में अपने यूरोपीय मुख्यालय से बयान जारी कर कहा है कि "एक मामले में नग्न बच्चे की तस्वीर की अनुमति देने और दूसरे में नहीं देने में फर्क करना मुश्किल है." तस्वीर में दिख रही लड़की किम फुक नग्न है और रो रही है जबकि नापाम बम उसकी त्वचा की परतों को गला रहा है.
ऐसी कई तस्वीरें हैं जिन्होंने दुनिया बदल दी
9 तस्वीरें, जिन्होंने दुनिया बदल दी
तुर्की के तट पर मिले एक बच्चे के शव ने दुनिया भर को झकझोर दिया था. तस्वीर ने एक पल में शरणार्थी संकट की बहस को मानवीय बना दिया. एक नजर उन तस्वीरों पर जिन्होंने दुनिया पर गहरा असर किया.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Rslan
नेपाम की बच्ची
दक्षिणी वियतनाम के गांव पर हुए नेपाम बम हमले के बाद जान बचाने के लिए भागते बच्चे. धमाके के बाद नौ साल की बच्ची जलते कपड़ों को फाड़कर दौड़ने लगी. तस्वीर में दिखाई पड़ने वाली बच्ची अब कनाडा में सकुशल रहती है. इस तस्वीर ने वियतनाम युद्ध के प्रति पश्चिमी जनमानस की सोच बदल दी. फोटोग्राफर निक उट को 1973 में इसके लिए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images
डस्ट लेडी
धूल से सनी महिला. ये तस्वीर न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए 11 सिंतबर 2001 के आतंकवादी हमले के दौरान ली गई. तस्वीर में दिखने वाली महिला मैर्सी बोर्डर्स आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन गई. उन्हें डस्ट लेडी कहा गया. हमले की वजह से वह पेट के कैंसर का शिकार हुई. 26 अगस्त 2015 को उनकी मौत हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP
टैंक मैन
5 जून 1989, सामने खड़े होकर टैंकों को रोकने की कोशिश करता एक शख्स. यह तस्वीर चीन के तियानानमेन चौक में हुए अत्याचार की प्रतीक है. 4 जून को इसी जगह पर चीन की सेना ने प्रदर्शनकारियों को बर्बर तरीके से कुचला. जेफ विडनर ने यह तस्वीर ली. इस शख्स को थोड़ी देर बार गिरफ्तार कर लिया गया. आज तक उनके बारे में कुछ पता नहीं है.
तस्वीर: Reuters/A. Tsang
बेन ओनेजॉर्ग की मौत
2 जून 1967 को पुलिस ने ईरान के शाह की राजकीय यात्रा का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ बल प्रयोग किया. एक पुलिसकर्मी ने जर्मन छात्र बेनो ओनेजॉर्ग को गोली मारी. उनकी मौत के बाद जर्मनी में वामपंथी आंदोलन कट्टर हो उठा. हादसे के वक्त ओनेजॉर्ग की पत्नी गर्भवती थी.
तस्वीर: AP
कैनेडी की हत्या
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की डलास में हत्या. कैनेडी की हत्या उनकी सरकारी कार में हुई. अब्राहम जैप्रूडर कैनेडी के काफिले का वीडियो बना रहे थे, तभी राष्ट्रपति के सिर पर गोली लगी. जैप्रूडर इस तस्वीर को प्रकाशित नहीं करना चाहते थे, लेकिन यह तस्वीर सामने आ गई. जांच और जिज्ञासा के चलते इसे हजारों बार बारीकी से देखा जा चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
म्यूनिख नरसंहार
1972 के ओलंपिक खेलों के दौरान म्यूनिख में इस्राएली ओलंपिक टीम के 11 सदस्यों को बंधक बनाया गया. बाद में उनकी हत्या कर दी गई. आतंकवादी फलीस्तीनी संगठन ब्लैक सितंबर के थे. यह तस्वीर बालकनी से नीचे झांकते एक अपहर्ता की है.
तस्वीर: dapd
अफगान लड़की
स्टीव मैकरी का यह पोट्रे 1985 में नेशनल जियोग्राफिक में प्रकाशित हुआ. तस्वीर से पता नहीं चलता है कि पाकिस्तान में 12 साल की यह अफगान लड़की किन हालात में जी रही है. लेकिन यह तस्वीर अफगानिस्तान पर सोवियत संघ के हमले और शरणार्थी संकट का प्रतीक बन गई. शरबत गुला नाम की इस लड़की को 2002 में फिर खोजा गया. उसने अपनी यह मशहूर तस्वीर पहले नहीं देखी थी.
तस्वीर: STAN HONDA/AFP/Getty Images
एक बार फिर सीरिया
सीरिया में सरकार विरोधियों ने पांच साल के एक बच्चे का फुटेज जारी किया है. संतरी रंग की कुर्सी पर बैठा यह बच्चा खून और धूल से लथपथ है. बच्चे की पहचान ओमरान दाकनीश के रूप में हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Rslan
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नॉर्वे सरकार के कई सदस्यों ने प्रधानमंत्री जोलबर्ग का अनुसरण करते हुए इस तस्वीर को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है. उनमें से एक शिक्षा मंत्री टोरब्योर्न रोइ इजाकसेन ने कहा कि यह "एक नामी फोटो है और हमारे इतिहास का हिस्सा है." जोलबर्ग ने बाद में इस तस्वीर को फिर से ब्लैक बॉक्स में डालकर पोस्ट किया लेकिन उसमें लड़की की जांघ से ऊपर के हिस्से को ढक दिया गया है. उन्होंने 1989 में चीन के तियाननानमेन चौराहे पर टैंक के सामने खड़े व्यक्ति जैसी नामी तस्वीर भी पोस्ट की जिसमें उस व्यक्ति को ब्लैक बॉक्स से ढक दिया गया है. जोलबर्ग ने लिखा है, "जब मैं ऑस्लो से ट्रोन्डहाइन के रास्ते पर थी, फेसबुक ने मेरी पोस्ट डिलीट कर दी, आज तस्वीरें प्रबाव डालने का ऐसा महत्वपूर्ण तत्त्व हैं कि यदि आप अतीत की घटना या इंसान को काट देते हैं तो आर इतिहास बदलते हैं या हकीकत बदलते हैं. "
देखिए, जिन तस्वीरों ने भारत हिला दिया
नॉर्वे के प्रमुख अखबार आफ्टेनपोस्टेन ने शुक्रवार को यह तस्वीर अपने पहले पेज पर प्रकाशित की थी और संपादक एस्पेन एगिल हानसेन ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग को एक खुला पत्र लिखा था जिसमें सोशल मीडिया के जार पर अपनी ताकत का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. हानसेन ने लिखा कि वे उससे दुखी, निराश और असल में डरे हुए हैं जो आप हमारे लोकतांत्रिक समाज के मुख्य आधार के साथ करने जा रहे हैं. फेसबुक ने अपने बयान में कहा है, "हम अपने वैश्विक समुदाय के लिए सुरक्षित और आदरपूर्ण अनुभव बनाए रखते हुए लोगों को खुद को अभिव्यक्त करने के बीच सही संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं. हमारे समाधान हमेशा सही नहीं होंगे लेकिन हम अपनी नीतियों और उन्हें लागू करने के तरीकों को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहेंगे. "
समाचार एजेंसी एपी के वाइस प्रेसिडेंट पॉल कोलफोर्ड ने कहा, "एसोसिएटेड प्रेस को निक उट की फोटो पर गर्व है और वह उसे ऐतिहासिक असर को स्वीकार करता है. इसके अलावा हम इस शक्तिशाली तस्वीर पर अपने अधिकारों पर जोर देते हैं."
देखिए, विरोध की वे तस्वीरें जो मशहूर हो गईं
विरोध संस्कृति के सितारे
विरोध की संस्कृति की सबसे ताजा मिसाल अमेरिका में पुलिस हिंसा का प्रतिरोध करती एक महिला की तस्वीर है. ये तस्वीर सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गई. बार बार ऐसी तस्वीरें समूचे आंदोलन का प्रतीक बन जाती है.
तस्वीर: Getty Images/R. Stothard
गोलियाथ के खिलाफ डेविड
जुलाई 2016: मोमबत्ती की तरह सीधी और मूर्ति की तरह शांत. ये तस्वीर है न्यू यॉर्क की ईशिया इवांस की जो दंगा विरोधी पुलिस की एक कतार के सामने अडिग होकर खड़ी है. यह तस्वीर लुइजियाना के बैटन रूज में ब्लैक लाइव्स मैटर्स विरोध प्रदर्शन के दौरान खींची गई है. क्या यह तस्वीर अमेरिका में पुलिस की नस्ली हिंसा का विरोध करने वाले आंदोलन का प्रतीक बनेगी?
तस्वीर: Reuters/J. Bachman
नागरिक सवज्ञा
दिसंबर 1955: पब्लिक ट्रांसपोर्ट की एक बस में सांवले रंग वाली रोजा पार्क को एक सफेद चमड़ी वाले पैसेंजर के लिए सीट छोड़ने को कहा गया. विरोध करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 10 डॉलर का जुर्माना किया गया. मार्टिन लुथर किंग के नागरिक अधिकार आंदोलन ने एक साल तक बसों का बहिष्कार किया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नस्ली भेदभाव को असंवैधानिक घोषित कर दिया.
तस्वीर: picture alliance/AP Images
फूल सी बच्ची
अक्टूबर 1967: 17 वर्षीया जेन रोज कासमीर ने वाशिंगटन में वियतनाम युद्ध के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस की तनी हुई बंदूकों के सामने हाथों में गुलदावदी का फूल थाम रखा है. कई साल बाद युद्ध विरोधी कासमीर ने कहा था, "वे नौजवान ही तो थे. वे मेरे दोस्त या मेरे भाई हो सकते थे. और वे पूरे मामले में पीड़ित ही थे."
तस्वीर: Marc Riboud/Magnum Photos
युद्ध के बदले प्यार
मार्च 1969: हिप्पी आंदोलन के सितारे जॉन लेनन और योको ओनो एक बिस्तर में. एक नवविवाहित जोड़े के लिए इसमें कुछ भी खास नहीं है. लेकिन दोनों ने एम्सटरडम के एक लक्जरी होटल में प्रेस को बेड इन के लिए बुलाया और संदेश दिया, मेक लव नॉट वार. ये पीआर एक्शन इतना कामयाब हुआ कि इसे दो महीने बाद मॉन्ट्रियाल में फिर से दोहराया गया.
तस्वीर: picture alliance/AP Images
अनजाना विद्रोही
जून 1989: खरीदारी का झोले लिए यह व्यक्ति चीनी सेना के टैंक के सामने उसे रोक कर खड़ा हो गया. एक दिन पहले ही साम्यवादी सरकार ने राजधानी बीजिंग में लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचल दिया था. कितने लोग मारे गए किसी को पता नहीं. बहुत से फोटोग्राफरों ने ये तस्वीर खींची लेकिन टैंक को रोके खड़े शांतिपूर्ण विद्रोही का नाम कोई नहीं खोज पाया है.
तस्वीर: picture alliance/AP/J. Widener
वायरल वीडियो
नवंबर 2011: एक वीडियो ऑकुपाई आंदोलन का प्रतीक बन गया. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के डेविस कैंपस में फीस बढ़ाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने जब धरने से हटने से मना कर दिया तो एक पुलिस वाले ने उन्हें तितर बितर करने लिए उन पर पेपर स्प्रे करना शुरू कर दिया. वीडियो वाइरल हो गया और पुलिस के बल प्रयोग पर बहस छिड़ गई.
तस्वीर: picture alliance/AP Images/W. Tilcock
लाल परी
मई 2013: सेइदा सुंगर अपने लाल लिबास में इस्तांबुल के गेजी आंदोलन का प्रतीक बन गई. गेजी पार्क को खत्म कर वहां इमारतें बनाने वाले प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले हजारों लोगों में वे भी शामिल थीं. यह राष्ट्रपति रेचप तय्यप एर्दोवान की सरकार के खिलाफ छह महीने तक चले विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत थी जिसमें 8 लोग मारे गए.
तस्वीर: Reuters
आस्था में भरोसा
जनवरी 2014: यूक्रेन की राजधानी कीएव में मैदान आंदोलन के दौरान धूल का गुबार. रूस समर्थक सरकार की दंगा विरोधी पुलिस और पश्चिम समर्थक आंदोलनकारियों के बीच खड़ा एक ऑर्थोडॉक्स पादरी. उसे आसपास के हंगामे की कोई चिंता नही. वह आराम से प्रार्थना कर रहा है और ईश्वर को याद कर रहा है.