बांग्लादेश में बच्चों को मार देते हैं उनके ही मां-बाप
१९ जनवरी २०१७
साल 2016 में 64 बच्चों को उनके मां-बाप ने मौत के घाट उतार दिया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चैयरमेन काजी रियाजुल हक ने बच्चों की इन हत्याओं के पीछे सामाजिक उठा-पटक को जिम्मेदार बताया है.
तस्वीर: DW/M. Mamun
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साल 2016 में अभिभावकों द्वारा बच्चों को मारे जाने की संख्या में बीते सालों के मुकाबले तकरीबन 57.5 फीसदी का इजाफा हुआ है. बांग्लादेश में बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले 235 गैर सरकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था बांग्लादेश शिशु अधिकार फोरम (बीएसएएफ) ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन काजी रियाजुल हक ने बच्चों की इन हत्याओं के पीछे सामाजिक उठा-पटक को जिम्मेदार बताया है. हक ने इस डेटा को ढाका रिपोर्टर यूनिटी कार्यक्रम के दौरान लॉन्च किया था.
ऩ्यूएज बांग्लादेश नामक समाचार पोर्टल के मुताबिक हक ने कहा कि देश में मां-बाप द्वारा बच्चों को मारे जाने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि समाज में एक तरह की अशांति नजर आ रही है और मां-बाप अपने बच्चों को अविश्वास के चलते मार रहे हैं, ऐसे में समाज को आगे आकर इस भावना को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए.
पोलियो को हराना इतना मुश्किल क्यों
आज तक पोलियो का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ इससे बचने की कोशिश की जा सकती है. जिसके लिए भी बार बार ओरल ड्रॉप्स या इंजेक्शन लगाने पर ही बच्चों को जीवन भर इससे बचाया जा सकता है.
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साफ पानी नहीं
पोलियो वायरस गंदगी के कारण फैलता है. इंसान के मल से संक्रमित खाने-पीने की चीजों को खाने से वायरस शरीर में पहुंच जाता है. चूंकि अब भी दुनिया भर में पीने का साफ पानी मिलना मुश्किल है, संक्रमण जारी है.
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अब भी लाइलाज
पोलियोमाइलिटिस या पोलियो दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की एक बीमारी है जो वायरस से होती है. इससे कुछ ही घंटों के अंदर शरीर में ऐसा लकवा मारता है, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता.
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छोटी उम्र, खतरा बड़ा
पोलियो सबसे ज्यादा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ही प्रभावित करता है. ऐसे हर 200 में से एक बच्चे के पैरों में जिंदगीभर के लिए लकवा मार जाता है. इनमें से 5 से 10 फीसदी बच्चों की सांस लेने में मुश्किल के कारण मौत हो जाती है.
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कम हुए, खत्म नहीं
केवल पाकिस्तान में ही 2016 में पोलियो के 35 मामले दर्ज हुए जबकि 1988 में यह तादाद साढ़े तीन लाख थी. पोलियो के टीके लगाने के प्रयासों को भी पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों के कारण गहरा धक्का लगता रहा है.
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जानलेवा किस्म
विश्व के तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो की एक विशेष इंडेमिक किस्म पाई जाती है, जिसमें लकवा और मौत तक हो सकती है.
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एक ही काफी है
जब तक दुनिया में एक भी बच्चा पोलियो वायरस से संक्रमित रहता है, सभी बच्चों पर खतरा बना रहेगा. आज के एक संक्रमित बच्चे से अगले 10 सालों में विश्व भर में पोलियो के दो लाख नए शिकार बन सकते हैं. आरपी/वीके (रॉयटर्स)
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बीएसएएफ ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में "स्टेट ऑफ चाइल्ड राइट्स इन बांग्लादेश 2016” रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट को जनवरी 2016 से दिसंबर 2016 के दौरान देश के 10 दैनिक अखबारों में छपी खबरों के आधार पर तैयार किया गया है.
रिपोर्ट पेश करते हुए बीएसएएफ के निर्देशक अब्दुल शाहिद महमूद ने बताया कि बीते साल कुल 3589 बच्चे हिंसा का शिकार हुए. इनमें से 1441 बच्चे अप्राकृतिक मौत तो करीब 686 बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार हुए. 64 बच्चों को उनके अपने ही मां-बाप ने मौत के घाट उतार दिया, मतलब हर माह कम से कम पांच बच्चों को मारा गया.
संस्था के मुताबिक, अभिभावकों द्वारा बच्चों को मारे जाने की संख्या साल 2015 में 40, 2014 में 14 और साल 2013 व 2012 में 10 से भी कम थी.
रूस में सैनिक बनते बच्चे
दक्षिणी रूस के स्टारवूल शहर में देश का सबसे मशहूर सैनिक स्कूल. जनरल येरमोलोव कैडेट स्कूल में सैन्य ट्रेनिंग दी जाती है. एक झलक स्कूल के अंदर...
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स्कूल में सैन्य ट्रेनिंग के अलावा देशभक्ति भी पढ़ाई जाती है.
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हथियार चलाने से लेकर बच्चे लैंड माइन नष्ट करना और पैरशूटिंग तक सीखते हैं.
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बेहद सख्त अनुशासन है. बाहर जाने का मौका कम ही मिलता है.
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जो बच्चे खराब प्रदर्शन करते हैं, उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जाता.
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ज्यादातर बच्चे सैन्य अफसरों के परिवारों से आते हैं.
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साल 2016 में कुल 446 बच्चों के साथ बलात्कार के मामले सामने आए तो वहीं 263 बच्चों को शारीरिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा. इसके अलावा 252 बच्चों की मौत सड़क दुर्घटना से हुई तो 189 बच्चों ने खुदकुशी की. 133 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी जिनमें से 47 बच्चों की लाशें बरामद की गईं.
रिपोर्ट के अनुसार 106 बच्चे यातनाओं के शिकार हुए और 68 गैंग रेप के मामले सामने आए. साथ ही 60 बच्चों को यौन प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और 17 बच्चों को फिरौती के लिए मार दिया गया. इसके अतिरिक्त 4 बच्चों को एसिड अटैक और अन्य चार को राजनीतिक हिंसा का सामना भी करना पड़ा.