एक करोड़ ऑस्ट्रेलियाइयों ने कहा, नहीं मानते धर्म को
विवेक कुमार
१८ जुलाई २०२२
ऑस्ट्रेलिया में किसी धर्म को ना मानने वालों की संख्या धार्मिक लोगों के मुकाबले सबसे तेजी से बढ़ी है. अधार्मिक लोगों की आबादी में वृद्धि हो रही है.
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सिडनी में रहने वाले गायक-संगीतकार अविजित सरकार कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की ताजा जनगणना ने उनके दिल में उम्मीद की किरण को फिर से जिंदा कर दिया है. इसकी वजह है ऑस्ट्रेलिया की जनगणना के ताजा आंकड़े जिनके मुताबिक देश के एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने खुद को अधार्मिक बताया है.
भारतीय मूल के अविजित सरकार ऑस्ट्रेलिया के मशहूर कलाकार हैं. वह कहते हैं, "2021 की जनगणना के मुताबिक 38.9 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उनका कोई धर्म नहीं है. मैं उन्हीं में से एक हूं. सदा से ऐसा ही रहा हूं. 2016 की जनगणना में इन लोगों की संख्या 30 फीसदी थी. तब मैंने भविष्यवाणी की थी कि यह संख्या तेजी से बढ़ेगी मुझे यकीन है कि यह यहां नहीं रुकेगी."
पिछले साल जून में ऑस्ट्रेलिया में हुई जनगणना के आंकड़े इसी महीने जारी हुए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक देश में 2.7 करोड़ लोग रहते हैं जिनमें से 38 प्रतिशत से ज्यादा किसी धर्म को नहीं मानते. देश में आज भी सबसे ज्यादा आबादी ईसाई धर्म के लोगों की है लेकिन लगातार घट रही है. ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के हिसाब से 43.9 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म को मानते हैं. लेकिन इनकी आबादी 2016 में 52.1 प्रतिशत हुआ करती थी और 2011 में 61.1 प्रतिशत.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
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मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
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उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
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हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
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यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
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मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.
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ब्यूरो कहता है कि अब धर्म के कॉलम में ‘कोई धर्म नहीं' का विकल्प चुनने वालों की संख्या बढ़ रही है. लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने यह विकल्प चुना है. 2016 में इस विकल्प को चुनने वालों की संख्या 30.1 प्रतिशत थी जबकि 2011 में 22 फीसदी.
बढ़ रहे हैं अन्य धर्म
ऑस्ट्रेलिया में जैसे-जैसे ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या घट रही है, कई अन्य धर्मों में आस्था रखने वाले बढ़ भी रहे हैं. हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है. पिछली जनगणना के मुकाबले इसमें 55.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब देश की आबादी के 2.7 फीसदी यानी लगभग 6,84,000 लोग हिंदू धर्म के हैं. इस्लाम के मानने वालों की आबादी 3.2 प्रतिशत हो गई है और ऑस्ट्रेलिया में 8,13,000 से ज्यादा मुसलमान रहते हैं.
ऑस्ट्रेलिया के सांख्यिकी विशेषज्ञ डॉ. डेविड ग्रुएन कहते हैं कि धर्म का जनगणना में विशेष स्थान है क्योंकि यह ऐच्छिक कॉलम है. यानी लोग चाहें तो इस कॉलम को खाली भी छोड़ सकते हैं. डॉ. ग्रुएन कहते हैं, "धर्म का सवाल जनगणना में विशेष महत्व रखता है. यह उन चंद सवालों में से एक है जो देश की सभी 18 जनगणनाओं में पूछा गया है. यह एकमात्र ऐच्छिक प्रश्न है, फिर भी बड़ी संख्या में लोग इसका जवाब देते हैं. 2016 में 91 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब दिया था और 2021 में 93 प्रतिशत ने."
ईसाई धर्म से जुड़ी "बड़ी खोज"
इस्राएली पुरातत्वविदों ने एक रोमन जहाज के मलबे से कई प्राचीन और मूल्यवान कलाकृतियों को खोजा है. इनमें ईसाई 'गुड शेफर्ड' या पवित्र चरवाहे की अंगूठी भी शामिल है.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
प्राचीन अंगूठी
रोमन जहाज से पुरातत्वविदों को 'गुड शेफर्ड' की अंगूठी मिली है, जो सबसे पुराने ईसाई प्रतीकों में से एक है.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
चांदी के सिक्के
इन प्राचीन चीजों को येरुशलम के एंटीक्विटीज अथॉरिटी में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है. रोमन और मामलुक काल के कैसरिया के तट पर दो जहाजों के मलबे में कई पुरातत्व कलाकृतियां मिलीं हैं.
तस्वीर: Debbie Hill/UPI/newscom/picture alliance
1700 साल पुरानी अंगूठी
इस सोने की अंगूठी में हरा रत्न लगा है, जिस पर एक चरवाहे की आकृति बनी हुई है. आकृति में एक युवक अपने कंधों पर भेड़ ले जा रहा है. कहा जाता है कि यह अंगूठी ईसाई धर्म के औपचारिक रूप से संगठित होने से पहले रोमन काल में फैली ईसा मसीह का प्रतीक थी.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP Photo/picture alliance
पूरा खजाना ही मिल गया
मलबे से सैकड़ों रोमन युग के चांदी और कांस्य के सिक्के बरामद किए गए हैं. जबकि 500 चांदी के सिक्के मामलुक साम्राज्य के हैं. रोमन साम्राज्य और मामलुक सल्तनत ने कई शताब्दियों तक पूर्वी भूमध्य सागर के बड़े क्षेत्रों पर शासन किया.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
कीमती पत्थर
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज की हेलेना सोकोलोव के मुताबिक मलबा कैसरिया शहर में पाया गया, जो रोमन काल में क्षेत्रीय राजधानी और रोमन गतिविधि का केंद्र था. सिक्कों के अलावा, विशेषज्ञों को घंटियां, मिट्टी और धातु से बनी कई वस्तुएं और एक लंगर मिला.
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
"असामान्य खोज"
इस्राएली डिपार्टमेंट ऑफ एंटिक्विटीज में सिक्का विभाग के प्रमुख रॉबर्ट कोल ने खोज को "असामान्य" बताया है. कोल के मुताबिक, "पत्थर पर खुदी हुई पवित्र चरवाहे की छवि ईसाई धर्म के शुरुआती निशानों में से एक है."
तस्वीर: Israel Antiquities Authority/ZUMA Press/picture alliance
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डॉ. ग्रुएन बताते हैं कि धर्म के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते दो दशकों में ऑस्ट्रेलिया के समाज में कितना बड़ा परिवर्तन आया है. वह कहते हैं, "धर्म के मानने वालों की संख्या का पता चलने से स्थानीय सुविधाओं के बारे में योजना बनाने में मदद मिलती है. ऑस्ट्रेलिया के जो लोग किसी धर्म को मानते हैं उनके लिए सुविधाएं, सेवाएं और सामान उपलब्ध कराने में मदद मिलती है ताकि वे अपने मत के अनुसार जीवन जी सकें."
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दुनियाभर में धर्म
आज भी दुनिया में धार्मिक लोगों की संख्या के मुकाबले किसी धर्म को ना मानने वालों की आबादी मामूली है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक लगभग 85 प्रतिशत लोग किसी ना किसी धर्म को मानते हैं. इनमें ईसाई धर्म सबसे ऊपर है जिसके मानने वालों की संख्या 2.38 अरब से ज्यादा है. इस्लाम 1.91 अरब लोगों का धर्म है और तीसरे नंबर पर हिंदू धर्म है जिसकी आबादी 1.16 अरब है.
अगर किसी एक धर्म से तुलना की जाए तो किसी धर्म को ना मानने वालों की आबादी 1.2 अरब है और एक समूह के तौर पर ईसाई धर्म के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा समूह बन चुका है. वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट है कि एस्टोनिया, चेक गणराज्य, चीन और जापान ऐसे देश हैं जहां तीन चौथाई से ज्यादा लोग किसी धर्म को नहीं मानते. इनके अलावा डेनमार्क, फ्रांस, हांगकांग, मकाऊ, नॉर्वे, स्वीडन और वियतनाम में भी किसी धर्म को ना मानने वाले लोगों की बड़ी संख्या है.