ऑस्ट्रेलियाई खगोलविदों ने आकाशगंगा में एक असामान्य और अनजान वस्तु की खोज की है, जो एक निश्चित अंतराल पर रेडियो तरंग किरण उत्सर्जित करती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक इससे पहले कभी ऐसी कोई चीज नहीं दिखी है.
तस्वीर: Natasha Hurley-Walker/ICRAR/Curtin/GLEAM Team
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ऑस्ट्रेलिया में शोधकर्ताओं की एक टीम ने आकाशगंगा में एक खगोलीय रहस्य की खोज की है. विश्वविद्यालय के छात्र टायरोन ओ'डोहर्टी पिछले साल जब अपनी स्नातक थीसिस पर काम कर रहे थे, तब उन्होंने पहली बार रेडियो तरंगों की मैपिंग करते हुए रहस्यमयी वस्तु को देखा. एस्ट्रोफिजिसिस्ट नताशा हार्ले वॉकर के मुताबिक यह वस्तु "हर 18.18 मिनट के अंतराल में ऊर्जा फेंक रही है." नताशा प्रारंभिक खोज के विस्तृत शोध दल की सदस्य हैं.
इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च (आईसीएआर) की एक टीम ने ट्विटर संदेश में लिखा, "रेडियो तरंगों की मैपिंग करने वाली एक टीम ने कुछ असामान्य खोज की है, जो एक घंटे में तीन बार ऊर्जा का एक विशाल विस्फोट करती है. और यह खगोलविदों द्वारा पहले देखी गई किसी भी चीज जैसी नहीं है."
लेंस में उतरी ब्रह्मांड की खूबसूरत तस्वीरें
गैलेक्सी, ग्रह, उल्का पिंड, क्षुद्र ग्रह, धूल और गैसें, ये सब ब्रह्मांड का हिस्सा हैं. कभी कभार लोगों को इतनी सुंदर और दिलचस्प तस्वीरें मिल जाती हैं. एक नजर इन उम्दा तस्वीरों पर.
तस्वीर: Yonhap/picture alliance
नामीबिया के ऊपर छाई नमी
अफ्रीकी देश नामीबिया में रात को आसमान का नजारा गजब का होता है. यह तस्वीर मारियो कोगो ने ली है. इसमें दिन भर की गर्मी के बाद उठी नमी और उसके पीछे तारे दिखते हैं. पहली नजर में लगता है कि जैसे ये किसी सुपरनोवा विस्फोट की तस्वीर हो.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Mario Cogo
एक और गैलेक्सी
यह तस्वीर गैलेक्सी "एनजीसी 3521" की है. यह हमारे सौरमंडल से 2.6 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है. इस तस्वीर को लेने के लिए कैमरे के शटर को 20 घंटे पर सेट किया गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Steven Mohr
धुंधली रोशनी
कुहासे के बीच नीचे से आती शहरों की रोशनी और ऊपर से सांझ की लालिमा. ये तस्वीर हंगरी के फोटोग्राफर फेरेंक सिमार ने सर्दियों के दौरान ली.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Ferenc Szémár
आकाश में लहरदार रोशनी
ये नजारा उत्तरी ध्रुव के पास बसे फिनलैंड का है. फ्रांसीसी फोटोग्राफर निकोला लेवेदो की तस्वीर में कई तरह की जादुई रोशनी दिखती है. हरे रंग का प्रकाश असल में नॉर्दर्न लाइट है. सर्दियों में ध्रुवीय इलाकों में यह रंग बिरंगा प्रकाश अक्सर दिखाई पड़ता है.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Nicolas Lefaudeux
उल्का पात का नजारा
इस तस्वीर को फोटोग्राफर फाबियान डालबियास ने ली है. डोलोमाइट के पहाड़ों के पास यूं ही तस्वीरें खींच रहे फाबियान के कैमरे में उल्का पात कैद हो गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Fabian Dalpiaz
अंजान सी लगती पृथ्वी
ये मंगल ग्रह नहीं बल्कि धरती का ही नजारा है. अमेरिका के उटा राज्य का मोहवे रेगिस्तान चांदनी रात में कुछ ऐसा ही दिखता है. यह तस्वीर अमेरिका के ब्रैड गोल्डबेंट ने ली है. तस्वीर में एंड्रोमेडा आकाशगंगा भी दिख रही है. एक प्रतियोगिता में इस तस्वीर को पहला स्थान और 10 हजार पाउंड का पुरस्कार भी मिला.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Brad Goldpaint
चांद नहीं, शुक्र है
पृथ्वी पर तो सूर्योदय और संध्या आपने कई बार देखी होगी, लेकिन शुक्र ग्रह पर शाम कुछ ऐसी नजर आती है. खास वीडियो कैमरे और विशेष जूम तकनीक की मदद से यह फ्रेम हासिल किया गया.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Martin Lewis
ये हैं ब्रह्मांड में छुपे रंग
अन्य ग्रहों की तस्वीरें आम तौर या तो काली या लाल दिखती हैं या फिर दूधिया सी. लेकिन एक खास तकनीक का इस्तेमाल कर जब चांद की तस्वीरों को प्रोसेस किया गया तो उसकी सतह के कुछ ऐसे रंग दिखाई पड़े.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Jordi Delpeix Borrell
छल्ला बना सूर्य
यह तस्वीर सूर्य ग्रहण के दौरान निकोला लेवुडो ने ली. इस तस्वीर में सूर्य से दूर दाहिनी तरफ लाल रंग का बिंदु असल में मंगल ग्रह है.
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Nicolas Lefaudeux
हमारी आकाशगंगा मिल्की वे
पृथ्वी जिस आकाशगंगा का हिस्सा है, उसे मिल्की वे कहते हैं. मिल्की वे की यह तस्वीर तियांग हॉन्ग ली ने कैप्चर की. अनुमान के मुताबिक इसमें 100 से 300 अरब तारे हैं. (रिपोर्ट: सबरीना फाल्कर/ओएसजे)
तस्वीर: Royal Museum Greenwich/Tianhong Li
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"शायद सफेद बौना"
यह खोज ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग में मर्केशन वाइडफील्ड एरे नामक रेडियोस्कोप से कम आवृत्ति वाली तरंगों का उपयोग करके की गई थी. हार्ले वॉकर के मुताबिक अवलोकन के दौरान वस्तु अंतराल पर दिखाई और गायब होती रही. वे कहती हैं, "यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था. यह एक खगोलविद के लिए डरावना था क्योंकि आकाश में ऐसा कुछ भी नहीं है जो ऐसा करता है."
टीम का कहना है कि यह सफेद बौना तारा जिसे मरता हुआ तारा भी कहा जा सकता है, वह हो सकता है. जो तारे बुझने के बाद अपने ही केंद्र में गिर जाते हैं, उन्हें सफेद बौना कहा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक यह खगोलीय वस्तु हमारे सूरज से 4,000 प्रकाश वर्ष दूर है और इसका चुंबकीय क्षेत्र बहुत मजबूत है. इस खबर ने वैज्ञानिक समुदाय में रुचि की एक नई लहर पैदा कर दी है.
विशेषज्ञों के अनुसार खोजी गई वस्तु को समझने के लिए अभी और शोध की जरूरत है. वॉकर के मुताबिक, "यदि आप सभी अनुमान लगाते हैं, तो आप सोचेंगे कि इस वस्तु में इतनी शक्ति नहीं होनी चाहिए कि हर बीस मिनट में इतनी शक्तिशाली रेडियो तरंगें उत्सर्जित कर सकें. यह संभव नहीं होना चाहिए."
टीम लीडर के मुताबिक संकेत विभिन्न फ्रीक्वेंसियों पर देखा गया था. इसका मतलब था कि यह "एक प्राकृतिक प्रक्रिया" थी और "कृत्रिम संकेत नहीं था."
एए/सीके (एएफपी)
हबल दूरबीन की नजर से ब्रह्मांड की बेहतरीन तस्वीरें
तीस साल से नासा की हबल दूरबीन ब्रह्मांड के कोने कोने की अद्भुत तस्वीरें ले रही है. अब दूरबीन में कुछ खराबी आ गई है, लेकिन जरा देख कर बताइये कि उसके द्वारा ली गई इन बेहतरीन तस्वीरों में से आपने कितनी देखी हैं.
हबल अंतरिक्ष दूरबीन 13 जून 2021 से तस्वीरें वापस भेज नहीं पाई है. कंप्यूटर की मेमरी में आई एक खराबी की वजह से वो लगभग एक हफ्ते से ठप्प पड़ी है. बैकअप मेमरी का इस्तेमाल करने की कोशिशें अभी तक नाकामयाब रही हैं और दूरबीन को "सेफ मोड" में डाल दिया गया है. तीन दशकों से भी ज्यादा से हबल दूर स्थित सितारों और तारों के समूहों की दिलचस्प तस्वीरें भेज रही है.
तस्वीर: ESA
जहां बनते हैं सितारे
ये हबल की बेहतरीन तस्वीरों में से एक है. इसमें विशालकाय नेब्युला एनजीसी 2014 और उसकी पड़ोसी नेब्युला एनजीसी 2020 को देखा जा सकता है, जो पृथ्वी की आकाशगंगा से दूर एक ऐसे बड़े इलाके का हिस्सा हैं जहां सितारे बनते हैं. ये इलाका आकाशगंगा से लगभग 1,63,000 प्रकाश वर्ष दूर है.
तस्वीर: NASA/ESA/TScI
'स्टार वॉर्स' से भी बेहतर
2015 में जैसे ही सिनेमाघरों में 'स्टार वॉर्स' की नई फिल्म लगी, हबल ने एक अंतरिक्षीय लाइटसेबर की यह तस्वीर ली. ये पृथ्वी से करीब 1,300 प्रकाश वर्ष दूर है. यह एक स्टार सिस्टम के जन्म की तस्वीर है, जिसमें एक नवजात सितारे से निकली दो अंतरिक्षीय किरणें और तारों के बीच की थोड़ी धूल है.
तस्वीर: NASA/ESA/Hubble
आकाश पर नजर
1990 से हबल दूरबीन 550 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. हबल 11 मीटर लंबी है और 11 टन वजनी है, मतलब ये लगभग एक स्कूल बस के आकार की है.
तस्वीर: NASA, ESA, STScI, Zili Shen (Yale), Pieter van Dokkum (Yale), Shany Danieli (IAS)
दूरबीन को लगा चश्मा
हबल की सबसे पहली तस्वीरें बेहद बेकार थीं, क्योंकि उसके मुख्य शीशे को लगाने में कुछ गड़बड़ी हो गई थी. 1993 में स्पेस शटल एंडेवर विशेषज्ञों को हबल पर ले गई और उन्होंने दूरबीन को एक तरह के खास चश्मे लगाए. बीते सालों में हबल को पांच अपडेट दिए गए हैं, जिनमें से आखिरी 2009 में दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
अंतरिक्ष में किंडरगार्टन
हबल ने ये असाधारण तस्वीर दिसंबर 2009 में ली थी. नीले बिंदु युवा सितारे हैं, यानी जिनकी उम्र बस कुछ लाख साल है. सितारों का यह किंडरगार्टन आकाशगंगा के पास ही स्थित लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड नाम की दूसरी आकाशगंगा में है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nasa
क्या वो एक तितली है?
हबल की इस तस्वीर में जो दिख रहा है वो क्या है ये कोई नहीं जानता. ये इस दूरबीन द्वारा ली गई 30,000 तस्वीरों में से एक है.
तस्वीर: NASA/ESA/ Hubble Heritage Team
हबल के जनक
हबल दूरबीन का नाम अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन पोवेल हबल के नाम पर रखा गया था. ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है, हबल ये पता लगाने वाले पहले व्यक्ति थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हबल की उत्तराधिकारी
हबल की कक्षा या ऑर्बिट लगातार छोटी हो रही है और ऐसी संभावना है कि दूरबीन 2024 में पृथ्वी की वायुमंडल में वापस आ कर जल जाए. लेकिन इसकी उत्तराधिकारी पहले से ही तैयार है. इसका नाम है जेम्स वेब्ब और इसे 2021 में ही लॉन्च किया जाना है. इसे पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर तैनात किया जाएगा. - जूडिथ हार्टल