अगर आप रात में कई बार सांस लेने में तकलीफ के कारण जग जाते हैं और सुबह आपका मुंह सूखा रहता है, साथ ही पूरे दिन सिर दर्द और थकान महसूस करते हैं तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण हो सकता है.
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'डेंटल स्लीप मेडिसिन' पर हुए एक सम्मेलन के मुताबिक भारत में करीब 40 लाख लोग, खासकर बुजुर्ग और मोटे लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) सिंड्रोम से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सांस लेने में तकलीफ के कारण रात में कई बार जगता है और पूरे दिन सिर दर्द और थकान के साथ सुबह शुष्क मुंह का अनुभव करता है, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण हो सकता है.
श्वसन चिकित्सा में ओएसए का आमतौर पर निरंतर पॉजिटिव वायुमार्ग दबाव मशीनों के साथ इलाज किया जाता है, लेकिन दंत चिकित्सा भी आसान प्रबंधन प्रदान करती है.
सोते हुए हमारे शरीर में क्या क्या सब चलता है?
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सरस्वती डेंटल कॉलेज के डीन प्रोफेसर अरविंद त्रिपाठी के मुताबिक , "मोटापा, जीवन शैली का तनाव और दांतों का पूरा गिरना ऊपरी वायुमार्ग में दबाव का कारण बन सकता है. यह सांस लेने पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. अगर ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है और अनुपचारित छोड़ दी जाती है, तो यह शरीर की ऑक्सीजन की आवश्यकता को प्रभावित करती है और हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती है."
दंत चिकित्सा के विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति का इलाज मैंडिबुलर उन्नति उपकरण के साथ किया जा सकता है, एक मौखिक उपकरण जो अस्थायी रूप से जबड़े और जीभ को आगे बढ़ाता है, गले के कसने को कम करता है और वायुमार्ग की जगह को बढ़ाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के लखनऊ कार्यालय के डॉ अंकुर के मुताबित, "लगभग 80 प्रतिशत रोगियों को नहीं पता कि वे ओएसए से पीड़ित हैं और यह घातक हो सकता है. इसलिए लोगों को इसके बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए."
खर्राटों का वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एपनिया बीमारी बन सकती है. इस हाल में सोते समय सांस कुछ सेकेंड के लिए रुक जाती है. ऐसे में तीखी आवाज के साथ सांस आती है, ये एपनिया कहलाता है.
एए/वीके (आईएएनएस)
खत्म करो खर्राटे
खर्राटा लेना कोई आदत नहीं बल्कि एक आम समस्या है. नींद में खर्राटे लेने की बीमारी को अब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहते हैं. इसमें सांस में ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. खर्राटे को ऐसे करें खत्म.
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खर्राटे भगाने के तरीके
वजन कम करना- नींद के दौरान आवाज के साथ सांस लेना खर्राटा है. यह एक आम समस्या है जो हर किसी को हो जाती है चाहे वह किसी भी उम्र का हो. करीब 9 करोड़ अमेरिकी खर्राटों के मारे हैं. बढ़ती उम्र के साथ खर्राटे की समस्या और गंभीर हो जाती है. वजन कम करने से खर्राटे की समस्या से भी मुक्ति मिल सकती है.
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खर्राटे भगाने के तरीके
शराब से परहेज- सोने से पहले शराब और अन्य नशीली चीजों के सेवन से बचना चाहिए. ऐसे पदार्थ गले में मांसपेशियों को आराम देते हैं और सांस लेने में अड़चन पैदा करते हैं. महिलाओं को एक ड्रिंक और पुरुषों को दो ड्रिंक से ज्यादा लेने से बचना चाहिए.
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खर्राटे भगाने के तरीके
नियमित कसरत- कसरत करने के तो कई फायदे हैं. नियमित कसरत से आप खर्राटे की समस्या से निजात पा सकते हैं. साथ ही नियत समय पर सोने की आदत डालें.
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खर्राटे भगाने के तरीके
सिगरेट छोड़ें- वैसे भी सिगरेट पीना अच्छी आदत नहीं है. सिगरेट भी खर्राटे का कारण हो सकते हैं. सिगरेट का धुआं नैजल और फेफड़ों को अवरोध पहुंचाता है जिस कारण खर्राटे की समस्या पैदा होती है.
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खर्राटे भगाने के तरीके
दो घंटे पहले- भारी भोजन और कैफीन उत्पादों का सेवन किसी भी स्थिति में खाने से दो घंटे पहले नहीं करना चाहिए. दूध से बने उत्पाद और सोया दूध का सेवन सोने के पहले नहीं करना चाहिए.
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खर्राटे भगाने के तरीके
सोने का तरीका- सोने के तरीके में बदलाव करके खर्राटे को काबू किया जा सकता है. सीधे सोने के बजाय करवट लेकर सोएं. इससे जीभ हवा को रोकती नहीं और इस वजह से होने वाला खर्राटा बंद हो जाता है. ऐसे तकिए भी मिलते हैं जो गर्दन की मांसपेशियों को मुड़ने से बचाते हैं. इससे खर्राटे कम हो सकते हैं.
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खर्राटे भगाने के तरीके
बेडरूम का वातावरण- सूखी हवा गले और नाक की झिल्ली में जलन पैदा करती है, जो खर्राटे का कारण बनती है. इसलिए कमरे की हवा में नमी होनी चाहिए. इसके लिए आप एक खुले तसले में पानी भर कर भी रख सकते हैं.
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खर्राटे भगाने के तरीके
स्लीप एप्निया- अगर खर्राटों का वक्त पर इलाज न किया जाए तो यह स्लीप एप्निया नामक बीमारी बन सकती है. सोते समय सांस कुछ सेकेंड के लिए रुक जाती है. ऐसे में तीखी आवाज के साथ सांस आती है, ये एप्निया कहलाता है. इसे समय पर काबू में लाना जरूरी है.