नए शोध बताते हैं कि साल 2019 में महासागर का पानी अब तक के सबसे गर्म स्तर को छू चुका है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नया डाटा "जलवायु परिवर्तन का एक और सबूत है."
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शोध से पता चला है कि दुनियाभर के महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं. यह शोध चीनी जर्नल एडवांसेस इन एटमॉसफेरिक साइंसेस में छपा है, जिसके मुताबिक महासागर का तापमान पिछले दशक में रिकॉर्ड स्तर पर रहा.
इसके अलावा, रिसर्च पृथ्वी के जल पर मानव प्रेरित गरमाहट के प्रभाव को दर्शाती है, जिससे समुद्र के तापमान में वृद्धि हुई है. साथ ही शोध कहता है कि सागरों का अम्लीकरण और चरम मौसम आने वाले दिनों में और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने के कारण महासागरों का पानी ऐसीडिक, यानी अम्लीय होता है.
शोधकर्ताओं में से एक जॉन अब्राहम कहते हैं, "1980 के दशक के बाद से गर्म होने की गति लगभग 500 फीसदी बढ़ गई है." मिनेसोटा की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट थॉमस में थर्मल विज्ञान के प्रोफेसर अब्राहम इस नतीजे से हैरान नहीं हैं. उनके मुताबिक, "ईमानदारी से कहूं तो नतीजे अनपेक्षित नहीं हैं. तापमान बढ़ रहा है. इसने और गति पकड़ ली है. यह बिना किसी कमी के बरकरार है. वास्तव में अगर हम कुछ महत्वपूर्ण और तुरंत नहीं करते हैं, तो यह गंभीर खबर है."
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'जीवन पर गंभीर खतरा'
जिस दर से महासागर गर्म हो रहे हैं वह बहुत ही खतरनाक गति है. शोध के मुताबिक 1955 से 1986 की अवधि की तुलना में 1987 से 2019 की अवधि में गरमाहट की दर लगभग 4.25 गुना तेज हो गई है. प्रोफेसर अब्राहम और उनके सहयोगियों ने पाया कि 1981-2019 के मध्य के मुकाबले सिर्फ 2019 में समुद्र का औसत तापमान 0.075 डिग्री सेल्सियस था.
बीजिंग के इंस्टीट्यूट ऑफ एटमॉसफेरिक फिजिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के मुख्य लेखक लिजिंग चेंग पिछले 25 सालों में महासागर के तापमान में वृद्धि की तुलना "36 लाख हिरोशिमा परमाणु बम विस्फोट" से करते हैं. महासागरों का बढ़ता तापमान ना केवल समुद्री जीवन और भूमि पर जीवन, दोनों पर व्यापक प्रभाव डालता है.
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग का भी उदाहरण शोधकर्ताओं ने दिया है जिस कारण वहां समुद्र के तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है. पूरे ऑस्ट्रेलिया में अभी तक आग से 80 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन नष्ट हो चुकी है और 25 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
एए/एके (डीपीए)
ऐसा करेंगे तो पर्यावरण करेगा आपका शुक्रिया
छोटी मोटी दूरी के लिए गाड़ी निकालने की बजाए पैदल या साइकिल लेना और अपने नेताओं पर पर्यावरण को बचाने के कदम उठाने का दबाव डालने जैसे आपके प्रयास बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं.
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जिम्मेदारी से करें यात्रा
पैदल चलना या साइकिल चलाना आपके कार्बन फुटप्रिंट घटाने में काफी मदद करेगा. इसके साथ साथ आपकी सेहत भी सुधरेगी. अगर कम विमान यात्राएं करें तो हानिकारक गैसों का उत्सर्जन घटाने में भी मदद कर सकेंगे. यानि हो सके तो ट्रेन से यात्रा करें या आसपास की किसी जगह का आनंद लें.
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खरीदारी में समझदारी
केवल जरूरत की चीजें खरीदना और नई नई चीजों के लालच में ना पड़ना आपके ग्रह के लिए भी बहुत अच्छा है. ऐसी चीजें खरीदें जो पर्यावरण सम्मत तरीके से बनाई गई हों और जहां तक हो सके सैकेंड हैंड चीजों को भी मौका दें. जब आप कुल मिलाकर कम चीजों का उपभोग करेंगे तो उससे पृथ्वी के संसाधन बचेंगे और वह अमीर होगी.
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खाने की बर्बादी से तौबा
हर साल उगाया जाने वाला करीब एक तिहाई खाना बर्बाद हो जाता है. कम से कम अपने स्तर पर तो आप खाने की और बर्बादी को रोक ही सकते हैं. कुछ बच जाए तो अगली बार खा लें, बाकी बचे जैविक कचरे को डालकर कम्पोस्ट बना लें. इसे अपने लिए सब्जियां और फल उगाने में इस्तेमाल करेंगे तो खाने में रसायनों से भी बचेंगे.
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बत्ती बुझाएं, बिजली बचाएं
बिजली का इस्तेमाल बचत के साथ करें. कमरे से निकलते समय लाइट, पंखा ऑफ करना, काम के बाद कंप्यूटर या कोई और स्क्रीन ऑफ करना - ऐसे छोटे छोटे कदम दूरगामी बचत करते हैं. धीरे धीरे यह आदत बन जाती है और आप अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अनजाने में ही योगदान कर रहे होते हैं.
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चुप्पी तोड़िए!
अगर अब तक नहीं तोड़ी है तो इस साल तो तय कर ही लीजिए कि जहां कहीं भी संभव हो वहां जलवायु परिवर्तन के कारकों को रोकने के लिए आवाज उठाएंगे. इसके लिए हर किसी को सड़क पर उतरने की जरूरत नहीं है लेकिन आप अपने स्थानीय नेता पर इसका दबाव बना सकते हैं. इस बारे में अपने जानने वालों से बात कर सकते हैं. याद रखिए, बात करने से ही बात बनती है.
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खानपान में थोड़ा बदलाव करें
जो लोग मांसाहारी हैं वे भी अपने खान पान में ज्यादा से ज्यादा पौधों से मिलने वाली चीजों को जगह देकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं. मीट कभी कभी खाएं और डेयरी उत्पादों का सीमित उपयोग करें तो जंगलों को कटने से बचा सकेंगे, जिसके कारण कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा. निजी तौर पर शाकाहारी लोगों का कार्बन फुटप्रिंट कम होता है.
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रिसाइकिल, रिसाइकिल और रिसाइकिल
प्लास्टिक के कारण होते प्रदूषण और जीव जंतुओं पर उसके दुष्प्रभाव की जितनी बात की जाए कम है. समुद्र प्लास्टिकों से अट गए हैं. अगर आप चीजें ज्यादा से ज्यादा रिसाइकिल करेंगे तो कम प्लास्टिक इस्तेमाल में आएगा. अगर चाहें तो अपसाइकिल के विकल्प को भी आजमा सकते हैं. सोचिए, रचनात्मक बनिए और एक ही चीज का पूरा इस्तेमाल कीजिए.
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बाहर निकलिए, प्रकृति से मिलिए
जितना हो सके और जब जब मौका निकाल सकें, कमरों से बाहर निकलिए और प्रकृति के नजारों का आनंद उठाइए. बाहर निकल कर अपने इस खूबसूरत ग्रह को सराहिए और नए जोश के साथ जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से इसे बचाने में जुट जाइए. (रिपोर्ट: इनेके म्यूल्स/आरपी)