मणिपुर में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर की हत्या के कुछ ही दिनों के अंदर अब भारतीय सेना के एक जवान की हत्या कर दी गई है. इस घटना से राज्य में आम लोगों के साथ साथ सुरक्षाबलों की सुरक्षा लेकर को भी सवाल खड़े हो गए हैं.
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सिपाही सरतो थांगथांग कॉम छुट्टी ले कर इम्फाल पश्चिम जिले में अपने घर गए गए हुए थे, जहां से अज्ञात लोगों ने शनिवार 16 सितंबर को उनका अपहरण कर लिया. अगली सुबह उनके घर से करीब 15 किलोमीटर दूर उनका शव मिला. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उनके सिर पर एक गोली लगने का निशान था.
सरतो थांगथांग कॉम की हत्या में शामिल लोगों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. 41 साल के सरतो थांगथांग कॉम डिफेंस सर्विस कोर की एक पलटन में तैनात थे. यह भारतीय सेना का एक विशेष दस्ता है, जिसका काम सेना की तीनों शाखाओं की इमारतों और अन्य संवेदनशील इमारतों की रक्षा करना होता है.
कॉम आदिवासियों का हाल
सरतो थांगथांग कॉम समुदाय के सदस्य थे, जिन्हें मणिपुर के अल्पसंख्यक आदिवासी समुदायों में से एक माना जाता है. ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता बॉक्सर और पूर्व राज्य सभा सदस्य एमसी मैरी कॉम भी इसी समुदाय की सदस्य हैं.
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उन्होंने दो सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर उनसे अपील की थी उनके समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं. मैरी कॉम ने पत्र में लिखा था कि कॉम समुदाय के लोग मैतेई और कुकी समुदायों के बीच में फंसे हुए हैं और अक्सर दोनों पक्षों की तरफ से उनके समुदाय के लोगों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है.
उन्होंने यह भी बताया था कि कम संख्या बल और कमजोर आंतरिक प्रशासन होने की वजह से उनके समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा नहीं कर पाते हैं. भारतीय सेना के सिपाही की हत्या को लेकर मणिपुर में सरकार की नीतिकी आलोचना की जा रही है. सुरक्षा मामलों के जानकार सुशांत सिंह ने एक्स पर लिखा है कि यह सेना के शीर्ष नेतृत्व और राज्य में बीजेपी सरकार दोनों पर टिप्पणी है.
मणिपुर सरकार की तरफ से इस घटना पर अभी तक कोई बयान नहीं आया है. पिछले महीने मणिपुर पुलिस ने सेना के असम राइफल्स पर कामकाज में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कर दी थी. सेना ने इस आरोप का खंडन किया था. इससे पहले मैतेई संगठनों के विरोध के कारण विष्णुपुर में एक जांच चौकी से असम राइफल्स के जवानों को हटा कर राज्य पुलिस और सीआरपीएफ को तैनात किया गया था.
मणिपुर हिंसा से बेपटरी हुई जिंदगी
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर बीते कई दिनों से हिंसा की चपेट में है. हिंसा के बाद वहां स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है. कई लोग प्रदेश से भागकर पड़ोसी राज्यों में शरण लेने को मजबूर हैं. जानिए, वहां के हालात.
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हिंसा की कहानी
मणिपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण राज्य में हिंसा भड़क गई थी. दरअसल मैतेयी संगठनों ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट में मैतेयी संगठनों ने एक याचिका दायर की थी. उस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार से इस मांग पर विचार करने और चार महीने के भीतर केंद्र को अपनी सिफारिश भेजने का निर्देश दिया था.
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जमीन, नौकरी और संसाधन का झगड़ा
गैर-आदिवासी मैतेयी समुदाय लंबे अरसे से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है. मैतेयी समुदाय की दलील है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद वे लोग राज्य के पर्वतीय इलाकों में जमीन खरीद सकेंगे. आदिवासी संगठनों को चिंता है कि अगर मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया तो सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों से आदिवासियों को वंचित होना पड़ेगा.
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हिंसा के बाद सेना की तैनाती
राज्य में हिंसा के फौरन बाद वहां सेना की तैनाती कर दी गई थी और तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए थे. हिंसा से निपटने के लिए सेना और असम राइफल्स के 10 हजार सैनिकों को तैनात किया गया है. हिंसाग्रस्त इलाकों में शांति बहाली के लिए सेना फ्लैग मार्च कर रही है.
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हिंसा में कई मरे
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि हिंसा में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई. हालांकि सेना ने कहा है कि 7 मई को हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई. राज्य में कर्फ्यू में भी ढील दी गई है. सबसे ज्यादा हिंसा प्रभावित चूड़ाचांदपुर में भी हालात सामान्य बताए जा रहे हैं.
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जला दिए गए आशियाने
बीते दिनों हुई हिंसा में कई मकान, दुकान और गाड़ियां आग के हवाले कर दी गईं. और लोगों को अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकानों पर शरण लेनी पड़ी.
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बन गए शरणार्थी
हिंसा के बाद सेना ने कई हजार लोगों को कैंपों तक सुरक्षित पहुंचाने का काम किया और उनके रहने का इंतजाम किया. करीब 23 हजार लोगों को सेना ने अपने कैंपों में रखा है.
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मणिपुर छोड़ कर जाते लोग
हिंसा के बाद से ही कई लोग राज्य छोड़कर चले गए हैं. इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जो पढ़ाई के लिए मणिपुर में थे. असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम आदि के राज्यों ने अपने छात्रों को निकालने का इंतजाम किया है. दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने भी अपने छात्रों को वहां से निकालने का फैसला किया है.
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खाने के लिए कतार में लोग
सेना के कैंपों में कई परिवार रह रहे हैं और वे अपने घर से बहुत दूर हैं. ऐसे में सेना ने उनके रहने और भोजन का इंतजाम किया है. कई लोग अब इन्हीं कैंपों में फिलहाल रहने को मजबूर हैं.
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मामला सुप्रीम कोर्ट में
मणिपुर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मणिपुर में हिंसा की जांच एसआईटी से कराए जाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है.