भारत में बेरोजगारी का आलम यह है कि देश छोड़कर विदेश जाना चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. युवाओं में हताशा देखी जा रही है और सरकारी नीतियां नाकाम हो रही हैं.
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छोटे ही सही, सृजन उपाध्याय एक उद्योगपति थे. वह बिहार में छोटी दुकानों और सड़क किनारे लगने वाले ठेलों को पकौड़े और अन्य ऐसी ही चीजें सप्लाई करते थे. फिर कोरोनावायरस महामारी आई और उनके अधिकतर ग्राहकों के धंधे चौपट हो गए. नतीजा यह हुआ कि उनका धंधा भी चौपट हो गया.
धंधा चौपट होने के बाद 31 साल के आईटी ग्रैजुएट उपाध्याय ने इस महीने पंजाब के राजपुरा की यात्रा की. वहां वह ऐसे वीजा कंसल्टेंट से मिले जो कनाडा का वर्क वीजा दिलाने का वादा कर रहे हैं. उनके साथ उनका पड़ोसी भी गया था, जो कॉमर्स में ग्रैजुएट है लेकिन उसकी डिग्री उसे नौकरी नहीं दिला सकी.
सृजन उपाध्याय कहते हैं, "हमारे लिए नौकरियां हैं ही नहीं. जब भी सरकारी नौकरियां आती हैं तो उनमें नकल या पेपर लीक जैसी बातें ही सुनाई देती हैं. शुरू में जैसा भी काम मिले, लेकिन हमें यकीन है कि कनाडा में तो नौकरी मिल ही जाएगी.”
उफान पर बेरोजगारी
भारत में बेरोजगारी उफान पर है. मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक पिछले छह साल में से पांच साल देश की बेरोजगारी दर अंतरराष्ट्रीय दर से ज्यादा रही है. इसमें कोरोनावायरस ने भी अपनी भूमिका अदा की है. अप्रैल 2020 में भारत की बेरोजगारी दर सबसे ऊपर 23.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. पिछले महीने यह 7.9 प्रतिशत पर थी.
इसके मुकाबले कनाडा में बेरोजगारी दर दिसंबर में 5.9 फीसदी थी जो दुनिया के अन्य धन देशों से भी बेहतर है. सबसे धनी देशों में से अधिकतर ने बीते अक्टूबर में लगातार छठे महीने बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की थी. अमेरिका आदि कई देश तो कामगारों की कमी से जूझ रहे हैं.
ये हैं भारत के सबसे गरीब राज्य
नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि भारत की 25.01 प्रतिशत आबादी गरीब है. कुछ राज्य तो ऐसे हैं जहां लगभग आधी आबादी गरीब है. ये हैं सबसे गरीब दस राज्यः
उत्तर पूर्व के कई राज्य टॉप 10 में हैं. मेघालय की 32.67 प्रतिशत आबादी गरीब है.
तस्वीर: NESFAS
6. असम
असम भी मेघालय के बराबर खड़ा है जहां 32.67 फीसदी लोग गरीब हैं.
तस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW
7. छत्तीसगढ़
29.91 प्रतिशत गरीबों के साथ यह खनिज प्रधान राज्य सातवें नंबर पर है.
तस्वीर: Journalist Murali Krishnan
8. राजस्थान
राजस्थान में 29.46 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.
तस्वीर: Joachim Hiltmann/imageBROKER/picture alliance
9. ओडिशा
ओडिशा में आज भी एक तिहाई आबादी (29.35 प्रतिशत) गरीबी में जी रही हैं.
तस्वीर: ZUMA Press/imago images
10. नागालैंड
उत्तर पूर्वी राज्य इस सूची में दसवें नंबर पर है जहां 25.23 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.
तस्वीर: STRDEL/AFP via Getty Images
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भारत के लिए हालात और खराब हैं क्योंकि इसका आर्थिक विकास पहले जितनी नौकरियां पैदा नहीं कर पा रहा है. इस कारण युवा हताश हैं और अपनी शिक्षा और कौशल के उलट छोटे-मोटे काम करने को मजबूर हैं. जो सक्षम हैं वे विदेशों की ओर रुख कर रहे हैं.
हालात कहीं ज्यादा खराब
सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास कहते हैं, "बेरोजगारी दर के आंकड़े जैसे हालात दिखा रहे हैं, असल में स्थिति उससे कहीं ज्यादा खराब है. बेरोजगारी दर सिर्फ यह दिखाती है कि कितने लोग सक्रिय रूप से नौकरी खोज रहे हैं और नौकरी नहीं मिल पा रही है. समस्या ये है कि नौकरी खोजने वाले लोगों की संख्या ही घट रही है.”
आलोचक कहते हैं कि युवाओं के बीच यह हताशा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे विफलताओं में से एक है क्योंकि वह युवाओं को नौकरियां देने के बड़े वादों के साथ सत्ता में आए थे. इस बारे में जब सरकार के श्रम और वित्त मंत्रालय से टिप्णियां मांगी गईं तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. श्रम मंत्रालय की नौकरियों वाली वेबसाइट पर पिछले महीने नौकरी चाहने वालों की संख्या एक करोड़ 30 लाख थी जबकि नौकरियां थीं दो लाख 20 हजार.
नया साल, नई महंगाई
2022 की शुरुआत भारतीयों के लिए महंगाई के झटके के साथ हो रही है. कार से लेकर एटीएम से पैसे निकालने तक महंगा हो रहा.
मुफ्त निकासी की सीमा खत्म होने के बाद एटीएम से नकद निकालने पर ज्यादा शुल्क देना होगा.
तस्वीर: Jaipal Singh/dpa/picture alliance
ऐप से खाना मंगाना महंगा
ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर अब रेस्तरां के बजाय डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर से ही टैक्स वसूल होगा. ऐसे में ग्राहकों पर इसका बोझ पड़ सकता है. ऐप से टैक्सी और ऑटो बुक कराने पर भी जीएसटी लगेगा.
तस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/picture-alliance
कार महंगी
साल 2021 में ऑटो कंपनियां महंगे कच्चे माल के कारण कारों की कीमत कई बार बढ़ा चुकी हैं. करीब 10 ऑटो कंपनियां अपनी कारों के अलग-अलग मॉडलों के दाम बढ़ा रही हैं.
श्रम मंत्रालय ने दिसंबर में संसद को बताया था कि ‘रोजगार पैदा करना और युवाओं को रोजगार पाने में सक्षम बनाना सरकार की प्राथमिकता है.' मंत्रालय ने कहा था कि वह छोटे उद्योगों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
रोजगार पर राजनीति
रोजगार की खराब होती स्थिति का फायदा विपक्षी दल आने वाले दिनों में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश कर रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक जनसभा में कहा, "क्योंकि यहां नौकरियां नहीं हैं, इसलिए हर बच्चा कनाडा की ओर देखता है. मां-बाप उम्मीद करते हैं कि किसी तरह उनका बच्चा कनाडा चला जाए. मैं आपसे वादा करता हूं कि पांच साल के अंदर वे लोग वापस आने लगेंगे क्योंकि यहां उनके लिए इतने सारे मौके पैदा होंगे.”
उन्होंने यह तो नहीं बताया कि ये मौके कैसे पैदा होंगे लेकिन उनकी पार्टी ‘आम आदमी पार्टी' के कार्यकर्ता कहते हैं कि उनकी नीतियां नौकरियां पैदा करने वाले उद्योगों को आकर्षित करेंगी.
पंजाब में एक पार्टी ने वादा किया है कि राज्य में जो नौकरियां पैदा होंगी, उन पर पहला हक स्थानीय युवकों का होगा. पड़ोसी हरियाणा में तो सरकार ने ऐसा आदेश भी जारी कर दिया है. लेकिन विशेषज्ञ इस रणनीति को संदेह की नजर से देखते हैं.
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क्या है उपाय?
बेंगलुरु की अजीम प्रेजमी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल इंपलॉयमेंट के प्रमुख अमित बसोले कहते हैं, "अगर कोई खास क्षेत्र ऐसा कर रहा है तो कुछ हद तक ऐसी रणनीति अपनाई जा सकती है. लेकिन जब पूरे देश में ही नौकरियां पैदा नहीं हो रही हों तो यह रणनीति समस्या का हल नहीं हो सकती.”
सीएमआईई के व्यास कहते हैं कि भारत को ऐसे उद्योगों में ज्यादा निवेश की जरूरत है जहां ज्यादा लोगों की जरूरत हो. साथ ही उनकी सलाह बांग्लादेश की तर्ज पर ज्यादा महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की भी है.
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
ऑक्सफैम की 2021 की रिपोर्ट कहती है कि लॉकडाउन के दौरान भारत में अरबपति 35 फीसदी और अधिक अमीर हुए. इसके विपरीत लाखों नौकरियां भी गईं. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे लोग बेरोजगार हुए और उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई.
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
महामारी में धनी हुए और धनी
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में मार्च 2020 के बाद की अवधि में 12,97,822 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. इतनी राशि का वितरण अगर देश के 13.8 करोड़ सबसे गरीब लोगों में किया जाए तो इनमें से हर व्यक्ति को 94,045 रुपये दिए जा सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
असमानता की खाई
एक ओर लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि दर्ज की गई तो वहीं पिछले साल अप्रैल महीने में हर घंटे 1,70,000 लोगों की नौकरी चली गई. ऑक्सफैम का कहना है कि महामारी ने असमानता को और बढ़ाया है.
तस्वीर: IANS
"द इनइक्वालिटी वायरस"
"द इनइक्वालिटी वायरस" रिपोर्ट में सिर्फ भारत का ही जिक्र नहीं है बल्कि इसमें दुनिया का हाल बयान किया गया है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में असमानता की खाई चौड़ी हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर लोग और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं, उन्हें इससे निकलने में वर्षों लग सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
अमीरों ने नुकसान की भरपाई जल्द की
अरबपति जेफ बेजोस और टेस्ला के संस्थापक ईलॉन मस्क की संपत्ति कोविड-19 के दौरान तेज गति से बढ़ी जबकि दुनिया के गरीबों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ऑक्सफैम इंटरनैशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने एक बयान में कहा, "हम असमानता में सबसे बड़ी वृद्धि के गवाह बन रहे हैं."
तस्वीर: Antonio Pisacreta/ROPI/picture-alliance
अमीरों पर अधिक टैक्स की मांग
रिपोर्ट में आय की असमानता का जिक्र तो किया ही गया है साथ ही मांग की गई है कि जो धनी लोग हैं उन पर उच्च संपत्ति कर लगाया जाए और श्रमिकों के लिए मजबूत संरक्षण का इंतजाम हो. रिपोर्ट में कहा गया है अमीर लोग महामारी के समय में आरामदायक जिंदगी का आनंद ले रहे हैं वहीं स्वास्थ्य कर्मचारी, दुकान में काम करने वाले और विक्रेता जरूरी भुगतान करने में असमर्थ हैं.
तस्वीर: Deepalaya
मुकेश अंबानी की आय
भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ने महामारी के दौरान प्रति घंटा 90 करोड़ रुपये कमाए जबकि देश में 24 प्रतिशत लोग 3,000 प्रति माह से कम कमा रहे थे. महामारी के दौरान मुकेश अंबानी को एक घंटे में जितनी आमदनी हुई, उतनी कमाई करने में एक अकुशल मजदूर को दस हजार साल लग जाएंगे.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/I. Khan
गरीबों पर टूटा आर्थिक कहर
कोविड-19 ने सबसे ज्यादा गरीबों को प्रभावित किया है, कोरोना का तूफान ऐसे आया कि गरीब, हाशिये पर खड़े श्रमिकों, महिलाओं और कमजोर लोगों की नौकरी इसमें नौकरी चली गई. विश्व बैंक की चेतावनी है कि 10 करोड़ से अधिक लोग चरम गरीबी में धकेले जा सकते हैं.
तस्वीर: DW/A. Ansari
संकट से उबारने में एक दशक
ऑक्सफैम का कहना है कि लोगों को संकट के पूर्व (कोरोना महामारी) पर ले जाने में एक दशक से ज्यादा का समय लग सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच दुनिया भर के अरबपतियों की कुल संपत्ति 3.9 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 11.95 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P. Karadjias
गरीबों का बोझ उठा सकते हैं अरबपति
ऑक्सफैम के शोधकर्ताओं ने हिसाब लगाया कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की नेट वर्थ किसी को भी गरीबी में जाने से रोकने के लिए काफी है और यह राशि धरती पर हर इंसान के लिए कोरोना के टीके के भुगतान के लिए पर्याप्त होगी.
तस्वीर: Dennis Van TIne/Star Max//AP Images/picture alliance
दुनिया भर से ली गई राय
रिपोर्ट के लिए ऑक्सफैम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी. 87 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महामारी के चलते अपने देश में आय असमानता में बड़ी या बहुत बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान जताया
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas
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2018 से 2021 के बीच भारत ने 1991 के बाद अर्थव्यवस्था की सबसे लंबी गिरावट झेली है. इस दौरान बेरोजगारी की औसत दर 7.2 प्रतिशत रही जबकि अंतरराष्ट्रीय दर 5.7 फीसदी थी. जिस देश में सालाना एक करोड़ से ज्यादा लोग रोजगार की आयु में पहुंच रहे हों, उसके लिए यह एक बड़ी समस्या है. अर्थशास्त्री कहते हैं कि अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है कि इतने सारे लोगों को रोजगार दे सके.
बसोले कहते हैं कि जीडीपी में हर एक प्रतिशत वृद्धि के साथ कामगारों की संख्या की बढ़ोतरी में भी कमी आई है और एक एक प्रतिशत की दर से नौकरियां बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था को 10 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा. वह कहते हैं कि 1970 और 1980 के दशक में जब जीडीपी की विकास दर 3-4 प्रतिशत थी, तब रोजगार 2 प्रतिशत की दर से बढ़ा था.
पंजाब में लोगों को विदेश भेजने का काम करने वाले काउंसलर लवप्रीत सिंह कहते हैं कि उनकी एजेंसी ब्लूलाइन के पास रोजाना करीब 40 ग्राहक आ रहे हैं. 27 साल के सिंह कहते हैं, "मैं चार साल से यह काम कर रहा हूं. अब मैं खुद कनाडा रहा हूं. नेता लोग नौकरियों का वादा तो करते रहते हैं लेकिन पूरा कोई नहीं करता.”