रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ ही 2014 के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चले गए हैं. वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था के अस्त व्यस्त होने को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं.
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गुरूवार की शुरुआती स्थिति में ब्रेंट कच्चे तेल के दाम 101.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे, जो सितंबर 2014 के बाद तेल के दामों का अभी तक का सबसे ऊंचा स्तर है. अमेरिका के वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल के सूचकांक पर भी दाम 96.51 डॉलर तक पहुंच गए थे, जो अगस्त 2014 के बाद उसका सबसे ऊंचा स्तर है.
गुरूवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में सैन्य अभियान के आदेश दे दिए और इस कदम से यूरोप में युद्ध की शुरुआत हो सकती है. रूस नाटो के पूर्व की तरफ विस्तार के अंत की मांग कर रहा है. रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल का उत्पादक है. वह मुख्य रूप से यूरोप की रिफाइनरियों को कच्चा तेल पहुंचाता है. रूस यूरोप का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का पूर्तिकर्ता भी है. यूरोप की 35 प्रतिशत गैस रूस से ही आती है.
आईएनजी कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख वार्रेन पैटरसन ने कहा, "यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान की घोषणा ने ब्रेंट को 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचा दिया है." उन्होंने यह भी कहा कि तेल बाजार घबराहट के साथ पश्चिमी देशों के रूस के खिलाफ अगले कदमों को देखने का इंतजार करेगा.
पैटरसन का मानना है, "तेल बाजार इस समय पहले से ही कड़ी स्थिति में है और ऐसे में इस बढ़ती हुई अनिश्चितता की वजह से वो और असुरक्षित हो गया है...ऐसे में दामों के अस्थिर और बढ़े हुए ही रहने की संभावना है." पश्चिमी देशों और जापान ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है.
जापान और ऑस्ट्रेलिया ने गुरूवार को कहा कि अगर यूक्रेन संकट की वजह से वैश्विक आपूर्ति पर असर पड़ा तो वो अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के दूसरे सदस्य देशों के साथ मिल कर अपने तेल के भंडारों में हाथ डालने के लिए तैयार हैं.
ओएनडीए के वरिष्ठ बाजार समीक्षक जेफ्री हेली ने कहा, "एक पहलू है जो दामों पर अस्थायी रूप से अंकुश लगा सकता है और वो है ईरान परमाणु संधि...खबर है कि इसी हफ्ते एक नए समझौते की घोषणा हो सकती है." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन संकट और उसके व्यापार परिणाम का तेल के दामों पर असर जारी रहेगा.
सीके/एए (रॉयटर्स)
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.