तेल समृद्ध यूएई बिजली बनाने के लिए कचरे का इस्तेमाल करेगा
५ नवम्बर २०२१
संयुक्त अरब अमीरात को कचरे के पहाड़ और बिजली की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन अब यूएई के अधिकारी एक ऐसे संयंत्र पर काम कर रहे हैं जो कचरा जलाकर बिजली पैदा कर सकता है.
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दुनिया के शीर्ष तेल निर्यातकों में से एक संयुक्त अरब अमीरात कचरे की समस्या को कम करने और साथ ही गैस वाले बिजली स्टेशनों पर निर्भरता को कम करने के लिए खाड़ी क्षेत्र के पहले कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्रों का निर्माण कर रहा है. इस तरह से खाड़ी देश के सामने दो बड़ी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. कचरे का निस्तारण होगा और बिजली के लिए गैस पर निर्भरता भी कम होगी.
पहला संयंत्र शारजाह में तैयार हो रहा है और इस साल पूरा होने की उम्मीद है. पूरा होने पर संयंत्र सालाना तीन लाख टन कचरे का निपटान करेगा, जिससे 28,000 घरों को बिजली मिलेगी. इसी तरह का एक संयंत्र दुबई में निर्माणाधीन है. 2024 में चालू होने के बाद यह संयंत्र दुनिया में सबसे बड़ा होगा और सालाना 1.9 मिलियन टन कचरे का निपटान करेगा.
घरों से साल भर में कितना कचरा निकलता है?
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कचरा जलाकर बिजली
एक समय था जब संयुक्त अरब अमीरात का ज्यादातर हिस्सा सिर्फ रेगिस्तान था. लेकिन तेजी से विकास हुआ और शारजाह, दुबई और अबू धाबी जैसे शहर व्यापार और पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरे. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक 1990 की तुलना में यूएई में बिजली के इस्तेमाल में 750 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आज देश की जनसंख्या एक करोड़ है. तीस साल पहले की तुलना में यह पांच गुना अधिक है. अमीर यूएई अधिक बिजली का उपयोग करता है और लगभग किसी भी अन्य देश की तुलना में प्रति व्यक्ति अधिक कचरा पैदा भी करता है.
फूलों के कचरे से बीमार होती नदियां
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बढ़ता कचरे का पहाड़
अधिकारियों का अनुमान है कि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 1.8 किलोग्राम कचरा पैदा करता है. समय के साथ कचरा जमा हुआ और आज दुबई में केवल छह स्थान हैं जहां कचरे के बड़े ढेर हैं. स्थानीय सरकारी अधिकारियों के मुताबिक यह ढेर करीब 400 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. अगर इस समय कोई समाधान नहीं निकलता है तो 2041 तक ऐसे ढेर यूएई में 58 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैल जाएंगे.
यूएई के सामने एक और समस्या गैस पर उसकी भारी निर्भरता है. 90 प्रतिशत बिजली गैस से चलने वाले संयंत्रों में पैदा होती है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है. पिछले साल ऊर्जा पैदा करने के लिए यूएई का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया था. यूएई ने कुछ दिन पहले ही घोषणा की थी कि वह 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का इरादा रखता है.
एए/वीके (एएफपी)
'राइट टु रिपेयर' का नाम सुना है?
धरती पर बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक कचरे को लेकर विशेषज्ञों में बहुत चिंता है. इससे निपटने के लिए कई अभियान चल रहे हैं, जिनमें से एक है 'राइट टु रिपेयर'. यानी चीजें ठीक करने का अधिकार.
तस्वीर: Greenpeace/Fully Syafi
खराब हुआ, फेंक दो
मामूली खराबी आने पर महंगे गैजेट्स को फेंक दिया जाता है या फेंकना पड़ता है. क्योंकि बहुत से देशों में या तो रिपेयर की सुविधा नहीं है या फिर इतनी मंहगी है कि लोग नया लेना बेहतर समझते हैं.
तस्वीर: Adam Gasson/PA Wire/empics/picture alliance
आसान हो ठीक कराना
इसी चिंता के मद्देनजर अब यूरोप और अमेरिका के नेता और नीति-निर्माता चाहते हैं कि गैजेट्स को ठीक यानी रिपेयर करना आसान बनाया जाए.
तस्वीर: unsplash.com/D. Vollenweider
कंपनियों की कोशिश
आलोचक कहते हैं कि कंपनियां जानबूझ कर अपने उत्पाद ऐसे बनाती हैं कि उन्हें ठीक करना मुश्किल हो. या फिर उपभोक्ताओं को स्पेयर पार्ट्स मिलना मुश्किल बना दिया जाता है.
तस्वीर: DW/T. Schauenberg
स्पेयर पार्ट दो
इसी साल मार्च में यूरोप ने वॉशिंग मशीन, डिश वॉशर्स, फ्रिज और टीवी स्क्रीन बनाने वाली कंपनियों को उस चीज का बनना बंद होने के दस साल बाद तक स्पेयर पार्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/G. Czepluch
फोन और गैजेट भी शामिल हों
अब सरकारें चाहती हैं कि ऐसा ही नियम फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बनाने के लिए भी हो. जुलाई में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन ने 'राइट टु रिपेयर' अधिकार के पक्ष में सर्वसम्मति से मतदान किया.
तस्वीर: DW
आसान नहीं रिपेयर
कंपनियां कह रही हैं कि वे भी उपभोक्ताओं को अधिकार देना चाहती हैं लेकिन हर बार रिपेयर करना संभव और सुरक्षित नहीं होगा क्योंकि यह मामला बहुत जटिल है.
2019 में पूरी दुनिया में 5.36 करोड़ टन इलेक्ट्रॉनिक सामान कूड़े में फेंक दिया गया था. यूएन के मुताबिक इसमें से सिर्फ 17.4 प्रतिशत रीसाइकल हो पाया. हर साल यह कचरा 4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है.
तस्वीर: Greenpeace/Antolin Avezuela
ठीक कराने में मदद
इस साल 'राइट टु रिपेयर यूरोप' नाम के संगठन ने विएना शहर प्रशासन के साथ मिलकर एक वाउचर योजना चलाई. इसके तहत उत्पादों को फेंकने के बजाय ठीक करवा कर दोबारा इस्तेमाल करने पर 100 यूरो का कूपन दिया गया.
तस्वीर: DW
घट सकता है कचरा
लोगों ने 26 हजार चीजें ठीक करवाईं. इस तरह विएना शहर का इलेक्ट्रॉनिक कचरा 3.75 प्रतिशत कम हुआ. अमेरिका के ऑरेगन राज्य के पोर्टलैंड शहर में भी ऐसी ही योजना आने वाली है.