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करोड़ों साल पुराने चमगादड़ों की एक अलग प्रजाति का पता चला

१४ अप्रैल २०२३

वैज्ञानिकों ने कुछ साल पहले दुनिया के सबसे पुराने चमगादड़ों के कंकाल को खोजा था. अब उनकी प्रजाति का पता चल गया है और उम्मीद की जा रही है कि इनसे उड़ने वाले स्तनधारियों की उत्पत्ति के बारे में अहम सुराग मिलेंगे.

इस प्रजाति के चमगादड़ के बारे में जानकारी नहीं थी
5.2 करोड़ साल पुराने चमगादड़ का कंकालतस्वीर: Brian Boyle|MPA|FPPO/Cover-Images/IMAGO

अमेरिका के व्योमिंग इलाके में इन कंकालों की खोज हुई थी. नई रिसर्च में जिन जीवों की बात की गई है वो इकारोनिक्टेरिस गुनेली प्रजाति के हैं जिसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी. इनमें से एक कंकाल 2017 में और दूसरा 1994 में मिला था. आज दुनिया में मौजूद 14,000 से ज्यादा जीवों की प्रजातियों का इनसे संबंध है. 

चमगादड़ों के ये कंकाल 5.2 करोड़ साल पुराने हैं. ये दो और प्रजातियों से जुड़े हैं जिनके कंकाल उसी इलाके में पहले मिले थे, हालांकि वो इनसे थोड़े नये थे. जहां उनकी खोज हुई है इयोसिन एपॉक के दौर में यह सबट्रॉपिकल इलाका एक ताजे पानी की झील पर नम पारिस्थितिकी तंत्र था. इयोसिन एपॉक का कालखंड 5.6-3.3 करोड़ साल पहले तक का माना जाता है. उस कालखंड में महाद्वीप आज जिस रूप में दिखाई पड़ते हैं उस तरफ जाने की प्रक्रिया जारी थी. 

चमगादड़ों को बचाए रखना क्यों जरूरी है

जीव समान लेकिन प्रजाति अलग

नीदरलैंड्स की नेचुरलिस बायोडाइवर्सिटी सेंटर से जुड़े जीवाश्मविज्ञानी  टिम रीटबेर्गेन नई रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं. उनका कहना है, "यह चमगादड़ आज के कीटपतंगों को खाने वाले चमगादड़ों से ज्यादा अलग नहीं था." रीटबेर्गेन ने बताया, "अगर यह अपने पंखों को मोड़ कर शरीर के साथ सटा ले तो आसानी से हमारी हथेली में छिप जायेगा. इसके पंख तुलनात्मक रूप से छोटे और चौड़े हैं जो उड़ने के दौरान खूब फड़फड़ाते हैं. इसके दांत साफ तौर पर यह दिखा रहे हैं कि यह कीड़ों को खाने वाला चमगादड़ है. इस बात की पूरी संभावना है कि यह इकोलोकेटिंग चमगादड़ है." इकोलोकेटिंग चमगादड़ शिकार और उड़ान भरने के लिए तरंगों का इस्तेमाल करते हैं जो चमगादड़ों में आम है.

जीवों की उत्पत्ति से जुड़े राज खोलेगा चमगादड़ का कंकालतस्वीर: Mick Ellison/American Museum of Natural History/REUTERS

इसके दांत नुकीले और उभरे हुए हैं जो कीड़ों की बाहरी त्वचा को काटने के काम आते हैं, इनकी बनावट उस तरह की नहीं है जो फल खाने में मददगार हो. 

बहुत कुछ नहीं बदला है चमगादड़ों में

इन दोनों जीवाश्मों में यह देखा जा सकता है कि चमगादड़ अपने इतिहास की शुरुआत में जिस रूप में थे उसके कई तत्व आज के दौर की आधुनिक प्रजातियों में भी मौजूद हैं. रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के जीवाश्मविज्ञानी मैट जोन्स का कहना है, "चमगादड़ बहुत हद तक वैसे ही दिखते हैं जैसे कि जीवाश्म के रिकॉर्ड में एक पूरा कंकाल. हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं कि हम इसे आधा चमगादड़ कह सकें या फिर दूसरे शब्दों में हमारे पास संक्रमण काल का कोई अच्छा जीवाश्म नहीं है."

आधुनिक चमगादड़ों के पूर्वजों के बारे में पक्की जानकारी नहीं हैतस्वीर: James Ross/AAP/IMAGO

 इसके साथ ही जोन्स ने यह भी कहा, "इकारोनिक्टेरिस गुनेली आधुनिक चमगादड़ों से थोड़ा अलग है, इसके पैर लंबे हैं औऱ हाथ की हड्डियां भी लंबाई में थोड़ी अलग है. सबसे ज्यादा नजर आने वाली चीज है कि इसकी तर्जनी में नाखून हैं. उस दौर की दूसरी प्रजातियों में भी नाखून है, लेकिन आज के दौर के ज्यादातर चमगादड़ों में यह लुप्त हो चुका है."

भारत में अचानक चमगादड़ों की मौत

यह प्रजाति उसी इलाके में मिली दो और प्रजातियों के काफी करीब है इनके नाम हैं इकारनिक्टेरिस इंडेक्स और ओनिकोनिक्टेरिस फिनेइ. इससे पता चलता है कि उस दौर के चमगादड़ों में जितना सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा विविधता थी.

यह जीवाश्म चमगादड़ों के अब तक के सबसे पुराने कंकाल का है. दोनों कंकाल पूरे हैं और काफी हद तक सुरक्षित भी. इस दौर के जो दूसरे जीवाश्म मिले हैं उनमें कुछ दांत और जबड़ों के हिस्से हैं जिनकी खोज चीन और पुर्तगाल में हुई थी.

और पुराना हुआ चमगादड़

चमगादड़ों के इतिहास के बारे में वैज्ञानिक कई सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं. इस पुराने कंकाल से अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि पूरी तरह से विकसित पहला चमगादड़ अब तक जो सोचा गया था उससे लाखों साल पहले धरती पर आया था. जोन्स का कहना है, "शायद पैलियोसिन इपोक के दौरान उनकी उत्पत्ति हुई, यह लगभग एक करोड़ साल का वो अंतराल है जो मिसोजोइक युग और इओसिन एपॉक के बीच में था." 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर के खत्म होने के बाद इसी दौर में उत्पत्ति से जुड़े कई प्रयोग शुरू हुए और स्तनधारी जीवों का धरती पर प्रभुत्व शुरू हुआ.

चमगादड़ सोनार तरंगों के सहारे उड़ान भरते और शिकार करते हैंतस्वीर: James Ross/AAP/IMAGO

सिर्फ दो कशेरुकी जीव समुदाय ही उड़ने की काबिलियत हासिल कर सके इनमें एक था उड़ने वाला सरीसृप टेरोसॉर और दूसरा चिड़िया. ये दोनों चमगादड़ों से पहले धरती पर आ गये थे. धूमकेतू ने टेरोसॉर का अस्तित्व मिटा दिया. वैज्ञानिक आज भी यह गुत्थी नहीं सुलझा पाये हैं कि कौन सा स्तनधारी चमगादड़ों का पूर्वज था.

 जोन्स का कहना है, "चमगादड़ संभवतया छोटे पेड़ों पर रहने वाले कीटभक्षी स्तनधारियों से विकसित हुए. हालांकि उस दौर के ऐसे कई कीटभक्षियों के जीवाश्म मौजूद हैं जिनसे शायद चमगादड़ों की उत्पत्ति हुई लेकिन किससे यह साफ नहीं है."

एनआर/सीके (रॉयटर्स)

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