बचपन में मानव तस्करी का शिकार हुआ सोमालिया का एक बच्चा ब्रिटेन लाया गया. घर में नौकर बना कर रखा गया. यह कहानी है मो फरा की जो आगे चलकर ब्रिटेन के लिए ओलंपिक में चार गोल्ड मेडल जीत कर लाए.
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पहली बार मो फरा ने अपने जीवन से जुड़ी ऐसी बातें बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री 'दि रियल मो फरा' में बताई हैं. अपना असली नाम हुसैन अब्दी काहिन और जन्मस्थान दिजिबूती बताया है. मो फरा ने अपनी आपबीती बयान करते हुए यह भी बताया कि आठ या नौ साल की उम्र में उन्हें एक अनजान महिला तस्करी कर ब्रिटेन ले आई थी और घर में नौकर बना कर रखा था. डॉक्यूमेंट्री में मो फरा कहते हैं, "सच यह है कि मैं वह नहीं हूं जो आप सोचते हैं कि मैं हूं. मो फरा ना तो मेरा नाम है और ना ही मेरी सच्चाई."
पूर्वी अफ्रीका के देश सोमालिया से लाने के बाद उस महिला ने उनका नाम मोहम्मद फरा रखा और किसी और परिवार के बच्चों के देखभाल के काम में लगा दिया. अब तक मो फरा ने बताया था कि वह अपने परिवार के साथ सोमालिया से ब्रिटेन रेफ्यूजी के रूप में आए थे. मो फरा की गिनती ओलंपिक के महानतम एथलीटों में होती है. उन्होंने 2012 के लंदन ओलंपिक और 2016 के रियो ओलंपिक दोनों में 5,000 मीटर-10,000 मीटर दौड़ में दोहरे स्वर्ण पदक जीते हैं. इस तरह मो फरा ओलंपिक में चार स्वर्ण जीतने वाले पहले अश्वेत ब्रिटिश ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने.
अब 39 साल के हो चुके मो फरा ने खुलासा किया है कि उनके माता पिता तो कभी ब्रिटेन आए ही नहीं. उन्होंने बताया कि जब वह केवल चार साल के थे तभी उनके पिता की मौत सोमालिया में नागरिक हिंसा की चपेट में आने से हो गई थी. उनकी मां और दो भाई सोमालिया से अलग होकर बसे सोमालीलैंड में रहते हैं, जिसकी कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं है.
जिस महिला ने उन्हें सोमालिया से तस्करी कर बाहर निकाला था, उसी ने यात्रा के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे और उन्हें मो फरा नाम दिया था. अब अपने जीवन के सच को दुनिया से शेयर करने की प्रेरणा उन्हें उनके बच्चों से मिली है. मो फरा कहते हैं, "अपनी कहानी बताने का सबसे बड़ा कारण यही है कि मैं सामान्य महसूस करना चाहता हूं और ऐसा नहीं जैसे कि मैंने कुछ पकड़ कर रखा है."
2016: खेल की दुनिया के सबसे बड़े सितारे
नए ओलंपिक चैंपियनों से लेकर नई टेनिस सनसनी तक, साल 2016 खेल के सितारों के कई यादगार कारनामों से भरा रहा. एक नजर सबसे चमकदार खेल सितारों पर.
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नई टेनिस क्वीन
सबसे कड़ी चुनौती सेरेना विलियम्स को पीछे छोड़ जर्मन टेनिस खिलाड़ी ऑन्जेलिक कैर्बर ने विश्व वरीयता क्रम में पहले नंबर पर कब्जा किया. स्टेफी ग्राफ के बाद वे पहले स्थान पर आने वाली पहली जर्मन टेनिस खिलाड़ी हैं.
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देर आए, दुरुस्त आए
स्कॉटिश टेनिस खिलाड़ी एंडी मरे को पेशेवर टेनिस खेलते हुए 12 साल हो गए थे, लेकिन इस साल जाकर वह लंदन में एटीपी टूर फाइनल में सर्बिया के नोवाक जोकोविक को हराकर विश्व नंबर एक बन पाए.
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यादगार उपलब्धि
यान फ्रोडेनो ने हवाई में हुए दुनिया के सबसे कठिन ट्रायथलन मुकाबले को जीत कर इस बार भी आयरनमैन का खिताब हासिल किया. लगातार दो साल तक ये खिताब जीतने वाले वह पहले जर्मन बने.
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महानतम ओलंपियन
अमेरिकी तैराकी माइकल फेल्प्स ने 23 गोल्ड मेडल के साथ ओलंपिक खेलों में आज तक के सबसे सफल एथलीट के तौर पर अपना करियर समाप्त किया. रियो ओलंपिक में ही उन्होंने पांच गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीते.
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सबसे तेज इंसान
जमैका के विश्वप्रसिद्ध धावक यूसेन बोल्ट ने 2008 में बीजिंग और 2012 में लंदन के बाद रियो ओलंपिक में भी 100 मीटर, 200 मीटर, 4x100-मीटर रिले रेस का गोल्ड जीतने का कमाल कर दिखाया. वे 11 बार विश्व चैंपियन बन चुके हैं.
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टीम ऑफ द ईयर
लॉरा लुडविग (बाएं) और कीरा व्लाकेनहोर्स्ट (दाएं) ने रियो ओलंपिक के गोल्ड मेडल समेत बीच बॉलीबॉल में साल के सभी खिताब जीते. इन दोनों जर्मन खिलाड़ियों को जर्मनी की 'टीम ऑफ द ईयर' माना गया.
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पैरालंपिक स्टार
मार्कुस रेम रियो में ऑस्कर पिस्टोरियस के लंदन ओलंपिक जैसा प्रदर्शन करना चाहते थे. लेकिन आईएएएफ ने उनका एप्लीकेशन रद्द कर दिया. फिर वे पैरालंपिक में खेले और लंबी कूद और 4x100-मीटर रिले में गोल्ड जीता.
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विवादास्पद मगर सफल
कई लोग इनका "प्लास्टिक क्लब" कहकर मजाक उड़ाते हैं. आरबी लाइप्जिग क्लब ने बुंडेसलीगा के पहले 16 मैचों में आज तक की किसी भी नई प्रमोटेड टीमों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाया. टीम ने डॉर्टमुंड, बायर्न म्युनिख सबको हार का स्वाद चखाया.
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डबल विजेता
क्रिस्टियानो रोनाल्डो के फैन्स की फेहरिस्त में कुछ और नाम शामिल. फ्रांस में यूरो 2016 के फाइनल में रियाल मैड्रिड स्टार को चोट लग गई. लेकिन अपनी बेंच से ही उन्होंने पुर्तगाली टीम के खिलाफ जीतने पर खूब खुशी मनाई.
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टॉप पोजीशन से रिटायर
मर्सिडीज ड्राइवर निको रोसबर्ग ने पहले तो फॉर्मूला वन ड्राइवर्स टाइटल जीता और फिर कुछ ही दिन बाद मात्र 31 साल की उम्र में रिटायरमेंट की घोषणा भी कर दी. (ओलिविया गेर्स्टेनबैर्गर/आरपी)
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फरा की पत्नी तानिया को 2010 में उनकी शादी के पहले पता चलने लगा था कि महान एथलीट की "कहानी में कई टुकड़े गायब हैं." कुछ समय बाद फरा ने उन्हें अपनी सच्चाई बता दी थी. फरा ने बताया कि अनजान महिला के साथ यूके पहुंचने के बाद उनसे वह कागज लेकर फाड़ दिया गया था जिसमें उनके रिश्तेदार का पता लिखा था. घर में नौकर का काम करते हुए उन्होंने अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कभी मुंह नहीं खोला. वह बताते हैं, "अकसर मैं बाथरूम लॉक करके खूब रोता था."
मो फरा के जीवन में नया मोड़ आया तब उनके फिजिकल एजुकेशन टीचर ऐलन वॉटकिंसन ने ध्यान दिया कि कैसे दौड़ते समय इस युवा लड़के का मूड बिलकुल बदल जाता था. फरा ने बताया कि एथलेटिक्स ने उन्हें मुक्ति का रास्ता दिखाया. अपनी सच्चाई सबसे उन्होंने वॉटकिंसन को बताई और उन्होंने ने ही मो फरा को ब्रिटिश नागरिकता दिलाने के लिए आवेदन करवाया. एक लंबी प्रक्रिया के बाद 25 जुलाई 2000 को फरा ब्रिटिश नागरिक बने.
तस्करों की कमर तोड़ेंगी ये 5 चीजें
ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार करीब 4.58 करोड़ लोग गुलामी झेल रहे हैं. दुनिया में मानव तस्करी का सालाना कारोबार 150 अरब डॉलर का है. मानव तस्करी और आधुनिक गुलामी को मिटाने के लिए कैसे प्रभावी हथियार मौजूद हैं, देखिए..
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शिकायत करने की तकनीक
तकनीकी विकास और वैज्ञानिक खोजें इस समय तस्करों पर नजर रखने, उनका पता लगाने और उन्हें सजा दिलाने में कारगर साबित हो रही हैं. अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी 'लेबरवॉयस' के माध्यम से फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग गुमनाम रहते हुए अपने मोबाइल फोन से किसी तरह के दुर्व्यवहार, असुरक्षा, बाल मजदूरी या वेतन से जुड़ी शिकायत कर सकते हैं.
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अवैध तस्करी को रोकने वाले फिंगरप्रिंट
ऐसे टूल विकसित किए गए हैं जिनसे उद्योगों के कच्चे माल से लेकर कीमती चीजों की तस्करी को भी डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक से ट्रैक किया जा सकेगा. तकनीकों के कारण बड़ी से बड़ी कंपनियां पर कच्चे माल की अपनी सप्लाई चेन में ईमानदारी बरतने और उसमें आधुनिक गुलामों से काम ना करवाने का दबाव होगा.
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कानूनों का सहारा
कई नए कानून मानव तस्करी और गुलामी में कमी लाने की दिशा में बड़े बदलावों का रास्ता खोल सकते हैं. 2017 में भारत में एंटी-ट्रैफिकिंग बिल पर हस्ताक्षर होने हैं. इसमें कई मौजूदा कानूनों को मिलाने और तस्करी के शिकार बने लोगों को अपराधी मानने की बजाए पीड़ित समझकर उनकी मदद करने के प्रावधान हैं. ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों से भारत में ही गुलामी करवाई जाती है.
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शिक्षा और जागरुकता
भारत में साल 2016 में आधुनिक गुलामी के शिकार लोगों की संख्या 1.8 करोड़ के आसपास आंकी गई है. दिसंबर में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बाल मजदूरी को खत्म करने का जोर शोर से आह्वान किया. शिक्षा के साथ साथ सार्वजनिक, सरकारी और कार्पोरेट जगत में इस तरह की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए जिससे हर स्तर पर लोगों को गुलामी और तस्करी के प्रति जागरुक किया जा सके.
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आंकड़ों की ताकत पहचानना
एक्सपर्ट मानव गुलामी के खिलाफ लड़ाई की तुलना 1980 के दशक में एचआईवी/एड्स से निपटने के प्रयासों से करते हैं. एड्स की तर्ज पर ही पहले गुलामी से जुड़ी धारणा को बदलना जरूरी है. लोगों की पहचान से जुड़े आंकड़े जमा करना, तस्करी के खिलाफ 'मास्टर प्लान' बनाना और इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी होना सबसे अहम है. (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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मानव तस्करी का अपना अनुभव साझा करने के लिए समाज कल्याण संस्थाओं ने उनकी प्रशंसा की है. ब्रिटेन की रेफ्यूजी काउंसिल ने ट्वीट कर लिखा है, "दिल तोड़ देने वाली अपनी कहानी बताने की बहादुरी के लिए @Mo_Farah प्रशंसा के पात्र हैं." शरणार्थियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठन ने कहा कि उनकी कहानी से शरण चाहने वाले तमाम लोगों की मजबूरियां रेखांकित होती हैं.
इधर मो फरा अब भी उम्मीद करते हैं कि जिस लड़के मो फरा के पासपोर्ट पर उन्हें ब्रिटेन लाया गया था वह जहां कहीं भी हो ठीक हो.