महाराष्ट्र बिल्डिंग हादसे में 60 लोग जिंदा बचाए गए
२५ अगस्त २०२०
महाराष्ट्र के रायगढ़ में पांच मंजिला इमारत गिरने से एक की मौत हो गई है जबकि बचाव दल ने मलबे के नीचे से 60 से अधिक लोगों को जिंदा बचा लिया है. राहत और बचाव का काम अब भी जारी है.
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हादसा महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड में हुआ. सोमवार शाम पांच मंजिला इमारत अचानक भरभराकर गिर गई और मलबे में दबने से अब तक एक की मौत हो गई है. मलबे के नीचे अब भी 18 लोगों के दबे होने की आशंका है. इस इमारत में 45 फ्लैट थे जहां लगभग 200 के करीब लोग रहते थे. स्थानीय विधायक भारतशेठ मारुति गोगावले के मुताबिक, "बिल्डिंग में रहने वाले एक शख्स की मौत हो गई है. अब भी कुछ लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं."
मुंबई से 170 किलोमीटर दूर दक्षिण में रायगढ़ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि हादसे के बाद मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए सोमवार रात भर बचाव कार्य चला और वह अब भी जारी है. हादसे वाली जगह पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कहा है कि इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई. हादसे के फौरन बाद स्थानीय लोग और पुलिस के जवान घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुट गए. भारी बारिश और कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ के बीच एंबुलेंस लोगों को पास के अस्पताल में पहुंचाने के काम में जुटी रही. मलबे में दबे लोगों को ढूंढने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की तीन टीमें और दमकल विभाग की 12 गाड़ियां रात भर बचाव कार्य में जुटी रही. मंगलवार सुबह भी बचाव कार्य जारी रहा.
मलबे के नीचे अब भी कुछ लोग दबे हो सकते हैं. तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों का इलाज मुंबई में हो रहा है. यह इमारत करीब 10 साल पुरानी बताई जा रही है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इमारत गिरने के एक घंटा पहले हिल रही थी और जैसे ही इमारत गिरनी शुरू हुई घरों के अंदर मौजूद लोग जान बचाने के लिए भागने लगे. हालांकि इमारत किस वजह से गिरी यह अब तक साफ नहीं हो पाया है लेकिन देश में खराब निर्माण सामग्री और नियमों की अनदेखी की वजह से कई हादसे होते आए हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में देश भर में 1,161 इमारतें गिरने की वजह से 1,200 लोगों की मौत हई थी.
8 दिसंबर को दिल्ली में एक फैक्टरी में लगी आग से 43 लोगों की मौत हो गई. लेकिन भारत में पहले भी आग से बड़े हादसे हो चुके हैं जिनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई है.
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दबवाली हादसा
23 दिसंबर 1995 को हरियाणा के सिरसा जिले के दबवाली के राजीव मैरिज पैलेस में लगी आग में 540 लोगों की मौत हो गई थी. यहां डीएवी स्कूल का वार्षिकोत्सव चल रहा था. यहां एक इलेक्ट्रिक जेनरेटर में शॉर्ट सर्किट हुआ. इससे वहां लगे टैंट में आग लग गई. कार्यक्रम में करीब 1500 लोग मौजूद थे. एक ही निकास द्वार होने की वजह से भगदड़ मच गई. मरने वालों में 170 बच्चे थे. (सांकेतिक तस्वीर.)
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बारीपाड़ा हादसा
फरवरी 1997 में ओडिशा के बारीपाड़ा में हिंदू धर्मगुरू स्वामी निगमानंद के हजारों अनुयायी पूजा के लिए इकट्ठा हुए थे. यहां लोगों के लिए टैंट लगाए गए थे. शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने और उसके बाद मची भगदड़ से 206 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में 148 लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए थे. (सांकेतिक तस्वीर)
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पुत्तिंगल मंदिर हादसा
10 अप्रैल 2016 को केरल के कोल्लम जिले में पुत्तिंगल मंदिर में पटाखे चलाने के दौरान आग लग गई. मंदिर में उस समय करीब 15,000 लोग मौजूद थे. इस हादसे में 111 लोगों की जान गई थी. इसके बाद केरल में मंदिरों में पटाखे चलाने पर रोक लगा दी गई. 1952 में सबरीमाला मंदिर में पटाखों की वजह से लगी आग में 68 लोगों की मौत हो गई थी.
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कुंभकोणम स्कूल हादसा
16 जुलाई 2004 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कृष्णा इंग्लिश स्कूल में मिड डे मील खाना बनाते समय आग लग गई. रसोई में लगी ये आग स्कूल में फैल गई. इस हादसे में 94 बच्चों की मौत हो गई थी. मरने वालों में अधिकतर छोटे बच्चे थे. (सांकेतिक तस्वीर)
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मेरठ मेला हादसा
10 अप्रैल 2006 को मेरठ में चल रहे ब्रांड इंडिया फेयर नाम के एक मेले में आग लग गई. आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट मानी गई. यहां लगे टैंट में आग लग गई. करीब 2000 लोगों की मौजूदगी वाली इस जगह पर एक ही निकास द्वार था. इस हादसे में 65 लोगों की मौत हो गई थी. (सांकेतिक तस्वीर)
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कोलकाता अस्पताल हादसा
9 दिसंबर 2011 को कोलकाता के आमरी अस्पताल के बेसमेंट में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. आग बढ़कर अस्पताल के दूसरे वार्डों और आईसीयू तक पहुंच गई. इस हादसे में 89 लोगों की मौत हो गई थी.
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उपहार सिनेमा हादसा
13 जून 1997 को दिल्ली के ग्रीन पार्क में मौजूद उपहार सिनेमा हॉल में सनी देओल की फिल्म बॉर्डर के शो के दौरान आग लग गई. ये आग सिनेमा हॉल के बाहर लगे ट्रांसफॉर्मर में लगी जो तेजी से फैली. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई और 103 गंभीर रूप से घायल हो गए थे. (सांकेतिक तस्वीर)
तस्वीर: Geety Images/AFP/S. Hussain
श्रीरंगम हादसा
23 जनवरी 2004 को तमिलनाडु के श्रीरंगम में एक शादी के दौरान आग लग गई थी. शादी की वीडियोग्राफी कर रहे कैमरे में लगी आग तेजी से फैली. आग के बाद छत गिरने से ज्यादा लोग हताहत हुए. इस आग में दूल्हे समेत 57 लोगों की मौत हो गई थी. (सांकेतिक तस्वीर)
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शिवकाशी हादसा
पटाखे बनाने के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु के शिवकाशी में 5 सितंबर 2012 को एक पटाखा फैक्टरी में आग लग गई. ये फैक्टरी अवैध तरीके से चल रही थी. इस हादसे में 54 लोगों की मौत हो गई थी और 78 घायल हो गए थे. (सांकेतिक तस्वीर)
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दिल्ली अनाज मंडी हादसा
8 दिसंबर को दिल्ली के झांसी रानी रोड स्थित अनाज मंडी में स्कूल बैग और स्टेशनरी बनाने वाली एक अवैध फैक्टरी में आग लग गई. इस आग में 43 लोगों की मौत हो गई और 11 गंभीर घायल हो गए. मृतकों में अधिकतर फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर थे.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
सूरत कोचिंग आग हादसा
24 मई 2019 को गुजरात के सूरत में एक कोचिंग सेंटर में आग लग गई. कोचिंग के ग्राउंड फ्लोर पर आग लग गई थी. इससे पहले फ्लोर पर जाने वाली लकड़ी की सीढ़ियों में भी आग लग गई. फर्स्ट फ्लोर पर फंसे कई बच्चे आग और दम घुटने से मारे गए. आग को देखकर कई बच्चे छत से कूद गए और मारे गए. इस घटना में 22 बच्चों की जान गई थी.