इंटरनेट पर फैल रहा है जंगली जीवों का अवैध कारोबार
२३ मई २०१८
यहां होती है वन्यजीवों की फिजियोथेरेपी
यहां होती है वन्यजीवों की फिजियोथेरेपी
वन्य जीवों के लिए गंभीर रूप से घायल होने का मतलब है, मौत. लेकिन स्पेन का जीआरईएफए वन्यजीव अस्पताल ऐसे जीवों को बचाता है. यहां चील, गिद्ध, कुछुए जैसे जीवों की फिजियोथेरिपी और मसाज तक की जाती है.
पशुओं की देखरेख
तस्वीर में नजर आ रही इस चील को कई चोटें आई है. लेकिन डॉक्टर इस लाल चील के पैर के दवा लगा रहे हैं ताकि घाव जल्द भर सकें. जख्म गोली की वजह से हुआ है. इन पक्षियों का ऐसे शिकार करना गैर कानूनी है लेकिन ऐसे मामले यहां आते रहते हैं. डॉक्टरों को उम्मीद है कि इलाज के बाद यह उड़ने के लिए एकदम फिट हो जाएगा और अपने पुराने तौर-तरीकों को जल्द अपना लेगा. .
फिजियोथैरिपी की व्यवस्था
अस्पताल में इन पशुओं की जल्दी रिकवरी का एक कारण है यहां होने वाला फिजियोथैरेपी सेशन. जब उनके घाव भरते हैं, मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और ये चलने और उड़ने में स्वयं को कमजोर महसूस करने लगते हैं तब मसाज और स्ट्रेचिंग का सेशन इन्हें राहत देते हैं. हालांकि यह मसाज और स्ट्रेचिंग लाल चील के लिए बहुत सुकूनदायक तो नहीं होती लेकिन फिर भी ये इन्हें शांत रखता है.
एक्सीडेंट का शिकार
डॉक्टर्स बताते हैं कि यहां आने वाले 80 फीसदी जीव मानवीय कारणों के चलते यहां आए हैं. इनमें से कुछ शिकारियों का शिकार हो जाते हैं. लेकिन कई एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं. मसलन ये किसी कांच के दरवाजे से टकरा गए या कार के सामने आ गए. स्पेन में हर साल करीब 34 हजार पक्षी इसी तरह के टक्कर का शिकार होकर मर जाते हैं और कई अपाहिज हो जाते हैं.
सब साथ-साथ
अस्पताल में ये यूरोपीय और स्पेनिश कछुओं को अपना कमरा सभी प्रकार के कछुओं, सांपों और छिपकलियों और अन्य रेंगने वाले जीवों के साथ साझा करना पड़ता है. लेकिन यहां किसी को कोई समस्या नहीं है. सभी को अपनी निजी जगह भी मिलती है. लेकिन इनमें से अधिकतर शांत पड़े हैं. क्योंकि ज्यादातर कुपोषित है. लेकिन सर्दियों के बाद इन्हें सूरज की रोशनी का आनंद लेने की छूट मिलेगी और इन्हें तालाब में छोड़ा जाएगा.
हालात में सुधार
यह काली गर्दन वाला गुल बहुत कमजोर है लेकिन अब इसकी स्थिति बहुत बेहतर हो गई है. फूड पाइजनिंग के चलते इसकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी. हालत इतनी खराब थी कि यह उठ नहीं पा रहा थी और न ही कुछ खा रही थी. इसकी हालत में फिलहाल सुधार हो रहा है.
इलाज चलता है लंबा
यह छोटी गुल भी काफी कमजोर है और इसे इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया है. अभी इसे एंटीबॉयोटिक्स और अन्य दवाइयां दी जाएंगी ताकि इसे उल्टी या उबकाई न महसूस हो. लेकिन यह तब तक अस्पताल में रहेगी जब तक इसके शरीर से जहर पूरी तरह से नहीं निकलता. यह इलाज प्रक्रिया लंबी होती है लेकिन इसमें सफलता की दर अधिक है.
वन्यजीवों से सीख
इस अस्पताल में बच्चों को वन्य जीवों के खतरे के बारे में बताया जाता है. लेकिन यह भी सिखाया जाता है कि वह कैसे इनसे बचा जाएं और इन्हें कैसे बचाया जाए. यह सिर्फ वन्यजीवों की देखभाल और इलाज ही नहीं करता बल्कि लुप्त होते पशुओं की प्रजातियों को जिंदा बनाएं रखने के लिए काम करता है.
दोबारा मिलती जिंदगी
एक शताब्दी पहले तक काले गिद्ध स्पेन से बिल्कुल लुप्त हो चुके थे. लेकिन संरक्षण के तमाम कोशिशों के बाद अब यह गिद्ध एक बार फिर से यहां के आसमान में नजर आते हैं. इस गिद्ध में एक ट्रांसमिटर लगाया गया है जो इसके मूवमेंट को ट्रैक करेगा. इतने बड़े जीव का इलाज बिना किसी ऐनस्थीसिया दिए बेहद ही प्यार से किया जाता है.