सरकारी एजेंसियां सोशल मीडिया पर उपलब्ध डाटा का इस्तेमाल कर रही हैं. निजी कंपनियां उनकी मदद कर रही हैं. क्या जासूसी का यह तरीका ठीक है?
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आप कहां जा रहे हैं, क्या खा रहे हैं और यहां तक कि क्या सोच रहे हैं. सरकारों को भी पता है और कंपनियों को भी. चाहे-अनचाहे ये सूचनाएं आप जासूसों को दे रहे हैं. और अगर आपको लगता है कि इन सूचनाओं का इस्तेमाल नहीं हो रहा होगा, तो आप गलतफहमी में जी रहे हैं. फेसबुक और ट्विटर ने बीते सप्ताह डाटा का विश्लेषण करने वाली एक कंपनी जियोफीडिया को अपने ग्राहकों का डेटा लेने से प्रतिबंधित कर दिया. एक गैर सरकारी संस्था के मुताबिक इस कंपनी ने ऐसे लोगों की पहचान करने में अधिकारियों की मदद की जिन्होंने काले लोगों पर हिंसा के खिलाफ आंदोलनों में हिस्सा लिया था.
द अमरेकिन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने जियोफीडिया की शिकायत की थी. एसीएलयू का कहना था कि जियोफीडिया ने अमेरिकी पुलिस एजेंसियों को कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पोस्ट और लोकेशन डाटा उपलब्ध करवाए थे. एसीएलयू ने जियोफीडिया के कुछ दस्तावेज भी जारी किए हैं. ये दस्तावेज दिखाते हैं कि जियोफीडिया ने कैसे इस बात की डींगें हांकी थी कि पुलिस की गोली से एक काले आदमी की मौत के बाद हुए आंदोलनों को उसने पूरी सफलता के साथ कवर किया. ये दस्तावेज दिखाते हैं कि जियोफीडिया के पास ट्विटर का पूरा डेटा मौजूद था जिसका लोकेशन और अन्य मानकों पर विश्लेषण किया गया.
देखिए, दिमाग पर क्या असर डालता है सोशल मीडिया
ऐसा है दिमाग पर सोशल मीडिया का असर
क्या आपने भी कई बार सोचा है कि हर वक्त मोबाइल या कंप्यूटर पर फेसबुक, ट्विटर वगैरह नहीं देखा करेंगे, लेकिन ऐसा कर नहीं सके हैं? सोशल मीडिया एक क्रांति है लेकिन ये भी तो जानें कि वो आपके दिमाग के साथ क्या कर रहा है. देखिए.
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खुद पर काबू नहीं?
विश्व की लगभग आधी से ज्यादा आबादी तक इंटरनेट पहुंच चुका है और इनमें से कम से कम दो-तिहाई लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. 5 से 10 फीसदी इंटरनेट यूजर्स ने माना है कि वे चाहकर भी सोशल मीडिया पर बिताया जाने वाला अपना समय कम नहीं कर पाते. इनके दिमाग के स्कैन से मस्तिष्क के उस हिस्से में गड़बड़ दिखती है, जहां ड्रग्स लेने वालों के दिमाग में दिखती है.
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लत लग गई?
हमारी भावनाओं, एकाग्रता और निर्णय को नियंत्रित करने वाले दिमाग के हिस्से पर काफी बुरा असर पड़ता है. सोशल मीडिया इस्तेमाल करते समय लोगों को एक छद्म खुशी का भी एहसास होता है क्योंकि उस समय दिमाग को बिना ज्यादा मेहनत किए "इनाम" जैसे सिग्नल मिल रहे होते हैं. यही कारण है कि दिमाग बार बार और ज्यादा ऐसे सिग्नल चाहता है जिसके चलते आप बार बार सोशल मीडिया पर पहुंचते हैं. यही लत है.
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मल्टी टास्किंग जैसा?
क्या आपको भी ऐसा लगता है कि दफ्तर में काम के साथ साथ जब आप किसी दोस्त से चैटिंग कर लेते हैं या कोई वीडियो देख कर खुश हो लेते हैं, तो आप कोई जबर्दस्त काम करते हैं. शायद आप इसे मल्टीटास्किंग समझते हों लेकिन असल में ऐसा करते रहने से दिमाग "ध्यान भटकाने वाली" चीजों को अलग से पहचानने की क्षमता खोने लगता है और लगातार मिल रही सूचना को दिमाग की स्मृति में ठीक से बैठा नहीं पाता.
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क्या फोन वाइब्रेट हुआ?
मोबाइल फोन बैग में या जेब में रखा हो और आपको बार बार लग रहा हो कि शायद फोन बजा या वाइब्रेट हुआ. अगर आपके साथ भी अक्सर ऐसा होता है तो जान लें कि इसे "फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम" कहते हैं और यह वाकई एक समस्या है. जब दिमाग में एक तरह खुजली होती है तो वह उसे शरीर को महसूस होने वाली वाइब्रेशन समझता है. ऐसा लगता है कि तकनीक हमारे तंत्रिका तंत्र से खेलने लगी है.
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मैं ही हूं सृष्टि का केंद्र?
सोशल मीडिया पर अपनी सबसे शानदार, घूमने की या मशहूर लोगों के साथ ली गई तस्वीरें लगाना. जो मन में आया उसे शेयर कर देना और एक दिन में कई कई बार स्टेटस अपडेट करना इस बात का सबूत है कि आपको अपने जीवन को सार्थक समझने के लिए सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया की दरकार है. इसका मतलब है कि आपके दिमाग में खुशी वाले हॉर्मोन डोपामीन का स्राव दूसरों पर निर्भर है वरना आपको अवसाद हो जाए.
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सारे जहान की खुशी?
दिमाग के वे हिस्से जो प्रेरित होने, प्यार महसूस करने या चरम सुख पाने पर उद्दीपित होते हैं, उनके लिए अकेला सोशल मीडिया ही काफी है. अगर आपको लगे कि आपके पोस्ट को देखने और पढ़ने वाले कई लोग हैं तो यह अनुभूति और बढ़ जाती है. इसका पता दिमाग फेसबुक पोस्ट को मिलने वाली "लाइक्स" और ट्विटर पर "फॉलोअर्स" की बड़ी संख्या से लगाता है.
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डेटिंग में ज्यादा सफल?
इसका एक हैरान करने वाला फायदा भी है. डेटिंग पर की गई कुछ स्टडीज दिखाती है कि पहले सोशल मी़डिया पर मिलने वाले युगल जोड़ों का रोमांस ज्यादा सफल रहता है. वे एक दूसरे को कहीं अधिक खास समझते हैं और ज्यादा पसंद करते हैं. इसका कारण शायद ये हो कि सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में अपने पार्टनर के बारे में कल्पना की असीम संभावनाएं होती हैं.
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जियोफीडिया उन दर्जनों कंपनियों में से एक है जो सोशल मीडिया पर उपलब्ध सार्वजनिक सूचनाओं का विश्लेषण करती हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने पहले भी ऐसी कंपनियों पर लगाम कसने की कोशिशें की हैं. ट्विटर ने कुछ समय पहले ऐनालिटिक टूल डाटामिनर के जरिए लोगों के मेसेज ट्रैक करने से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को रोक दिया था. लेकिन एसीएलयू इन कदमों से संतुष्ट नहीं है. वह चाहती है कि ऐसे ऐप्स को पूरी तरह ब्लॉक किया जाए तो जासूसी एजेंसियों या पुलिस को निगरानी रखने में मदद कर रहे हैं.
इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन (ईएफएफ) में काम करने वालीं वकील सोफिया कोप कहती हैं कि जो कंपनियां लोगों की निजी जानकारियों का विश्लेषण करती हैं उनकी जिम्मेदारी बनती है कि पता लगाएं, उनके उपलब्ध कराए गए डाटा का इस्तेमाल कौन करेगा. कोप चाहती हैं कि कंपनियों से पूछना चाहिए कि डाटा का इस्तेमाल कौन और कैसे करेगा. हालांकि यह पुरानी बहस है कि सरकारी एजेंसियों को इस डाटा पर कितना अधिकार मिलना चाहिए और कंपनियों को उनकी किस हद तक मदद करनी चाहिए. याहू पर हाल ही में आरोप लगे थे कि वह अमेरिकी अधिकारियों के लिए लोगों के ईमेल स्कैन कर रही है.
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व्हाट्सऐप के 10 राज
व्हाट्सऐप हम सब यूज करते हैं. उसमें कुछ ऐसी बातें हैं जो आपको पता हों तो जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. पेश हैं 10 ऐसी बातें...
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नीले टिक्स से छुटकारा पाएं
सेटिंग्स में प्राइवेसी में जाकर रेड रिसिप्ट को डिसेबल कर दें. आप मैसेज पढ़ चुके हैं या नहीं, मेसेज भेजने वाले को पता नहीं चलेगा.
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प्रोफाइल फोटो छिपाएं
अगर आप चाहते हैं कि अनजान लोग आपकी प्रोफाइफल फोटो न देख पाएं तो प्राइवेसी में जाकर प्रोफाइल फोटो में माई कॉन्टैक्ट्स का ऑप्शन चुनें.
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ग्रुप चैट को म्यूट करें
ग्रुप्स में भेजे जाने वाले मैसेज परेशान कर रहे हैं तो ग्रुप चैट पर टैप करें. ग्रुप इन्फो में जाएं म्यूट का ऑप्शन चुनें.
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कैलेंडर
व्हाट्सऐप कैलेंडर फीचर बहुत अच्छा है. आप कोई डेट टाइप कीजिए यह आपको कैलेंडर पर लिंक कर देगा. आप रिमाइंडर सेट कर सकते हैं.
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दूसरों से मैसेज छिपाएं
सेटिंग्स में नोटिफिकेशन में जाएं और शो प्रीव्यू को ऑफ कर दें. इससे आपका फोन सामने होगा तो नोटिफिकेशन में सिर्फ नाम दिखेगा, मैसेज नहीं. तब आपका मैसेज कोई और नहीं देख पाएगा.
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टेक्स्ट को बोल्ड या आइटैलिक्स करें
व्हाट्सऐप मसेंजर फॉर्मैटिंग कर सकते हैं. बोल्ड करने के लिए टेक्स्ट को दो * के बीच में लिखें. जैसे कि *Hello*. आइटैलिक्स के लिए अंडरस्कोर का इस्तेमाल करें. जैसे _I am not coming_.
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लास्ट सीन छिपाएं
आपने कितनी देर पहले व्हाट्सऐप देखा, इससे आपकी प्राइवेसी डिस्टर्ब हो सकती है. इसे छिपाने के लिए सेटिंग्स में अकाउंट में जाएं. वहां से प्राइवेसी में जाकर लास्ट सीन को ऑफ कर दें.
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कैमरा रोल से इमेज हटाएं
व्हाट्सऐप के सारे फोटो आपके पर्सनल फोटो के साथ दिखने लगते हैं. उन्हें रोकने के iOS यूजर्स सेटिंग्स से चैट्स में जाएं. वहां से फोटो में और सेव इनकमिंग मीडिया को ऑफ कर दें.
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एंड्रॉयड वाले
एंड्रॉयड यूजर्स के लिए प्रक्रिया थोड़ी सी टेढ़ी है. sdcard/WhatsApp/Media में जाकर New पर टैप करें और फिर .nomeida नाम से एक फाइल क्रिएट करें.
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व्हाट्सऐप को लॉक करें
एंड्रॉयड और विंडोज यूजर्स व्हाट्सऐप को पिन से लॉक कर सकते हैं. इसके लिए WhatsApp Locker ऐप इन्सटॉल करें.
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कंप्यूटर पर व्हाट्सऐप देखें
web.whatsapp.com खोलें. फिर अपने फोन पर व्हट्सऐप फॉर वेब ऑप्शन में जाएं. फोन से डेस्कटॉप पर खुला कोड स्कैन करें. आपका व्हाट्सऐप कनेक्ट हो जाएगा.
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लेकिन सोशल मीडिया का मामला ईमेल से अलग है. यहां लोग जानबूझ कर अपनी मर्जी से सूचनाएं सार्वजनिक कर रहे हैं. लिहाजा सवाल यह है कि इस डाटा को निजी माना जाए या नहीं.