फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग की माफी एक अच्छा कदम जरूर है लेकिन यह काफी नहीं है. वक्त आ गया है कि लोग फेसबुक, गूगल जैसी चीजों के सच को समझें.
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अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश होने से पहले मार्क जकरबर्ग काफी व्यस्त रहे. पिछले हफ्ते वे "ऑनेस्ट ऐड्स ऐक्ट" का समर्थन करते दिखे. इस कानून के अनुसार इंटरनेट में राजनीतिक विज्ञापन करने पर भी वही नियम लागू होंगे जो रेडियो और टीवी पर होते हैं. चुनाव और राजनीतिक मुद्दों से जुड़े विज्ञापन देने वालों को अपनी पहचान और लोकेशन बतानी होगी, और साथ ही यह भी कि विज्ञापन के लिए पैसा कौन दे रहा है. फिलहाल कांग्रेस के सामने यह प्रस्ताव रखा गया है. जकरबर्ग ने यह भी सुनिश्चित किया कि फेसबुक यूरोपीय संघ के डाटा सुरक्षा अधिनियम जीडीपीआर का भी सम्मान करेगा.
सोमवार को जकरबर्ग अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश होने से पहले वॉशिंगटन में सांसदों से मुलाकात कर रहे थे. तब उन्होंने कहा कि वे अलग अलग राजनीतिक दृष्टिकोण वाले अंतरराष्ट्रीय जानकारों का एक समूह तैयार करेंगे और उनके सामने फेसबुक का डाटा रखेंगे, ताकि विभिन्न देशों में होने वाले चुनावों में फेसबुक की भूमिका को पारदर्शी तरीके से परखा जा सके. अपने वॉशिंगटन दौरे के दूसरे दिन उन्होंने सांसदों के सामने माफी मांगी. उन्होंने माना कि फेसबुक से गलती हुई है और भविष्य में बेहतर तरीके से काम करने का वादा भी किया.
यह माफी बहुत जरूरी थी क्योंकि जकरबर्ग केवल फेसबुक के संस्थापक, सीईओ और अध्यक्ष ही नहीं हैं, बल्कि कंपनी के 60 प्रतिशत मताधिकार भी उन्हीं के पास है. ऐसे में वे कंपनी के एक ऐसे नेता हैं, जो उसकी हर हरकत के लिए जिम्मेदार हैं. जितनी जरूरी यह माफी थी, उतना ही जरूरी ऑनेस्ट ऐड्स ऐक्ट के तहत विज्ञापन के नियमों को मजबूत करना और यूरोप के जीडीपीआर पर सहमति देना भी था.
लेकिन जकरबर्ग के झांसे में मत आइए. वह अब इन नियमों को मान रहे हैं क्योंकि यह उनकी मजबूरी है. अमेरिका में 2016 के चुनावों में रूस का हाथ होने और ब्रेक्जिट में कैम्ब्रिज एनेलिटिका की भूमिका की खबर के बाद, दुनिया भर में ना ही जनता और ना सरकारें अब फेसबुक को नजरअंदाज कर सकती हैं. इसलिए जकरबर्ग को सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है और कुछ अस्पष्ट से वादे कर दिए हैं कि वह अपने हर ऐप की जांच कराएंगे. यह कतई काफी नहीं है.
क्या है कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल?
फेसबुक के डाटा लीक मामले में पांच चेहरे शक के घेरे में हैं. जानिए कौन हैं ये और क्या रही इनकी भूमिका.
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स्कैंडल के पीछे के चेहरे
फेसबुक पर आरोप है कि उसने पांच करोड़ लोगों के डाटा पर सेंध लगने दी. इस डाटा का इस्तेमाल कथित रूप से ब्रेक्जिट और अमेरिकी चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप के प्रोपेगंडा के लिए किया गया. इसे फेसबुक का अब तक का सबसे बड़ा डाटा ब्रीच कहा जा रहा है, जानिए कौन कौन शामिल है इसमें.
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कनाडा का विसल ब्लोअर
28 साल के क्रिस्टोफर वाइली ने ब्रिटेन के अखबार ऑब्जर्वर को यह जानकारी दी कि उसी ने कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी के लिए ऐसा प्रोजेक्ट बनाया था जिसका इस्तेमाल डॉनल्ड ट्रंप की टीम ने किया. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने कहा है कि वाइली अपने और कंपनी के काम को गलत तरीके से देख रहा है.
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स्टिंग ऑपरेशन
ब्रिटेन के चैनल 4 ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के कई वरिष्ठ अधिकारियों का स्टिंग ऑपरेशन किया. इसमें कंपनी के सीईओ एलेक्सैंडर निक्स भी शामिल हैं. वीडियो में उन्हें 2016 में डॉनल्ड ट्रंप की जीत का श्रेय लेते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के डाटा का इस्तेमाल कर उन तक गलत जानकारी, घूस और यहां तक यौनकर्मी महिलाएं भी पहुंचाई गईं.
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ऐप से हुई शुरुआत
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगान ने एक पर्सनैलिटी ऐप तैयार किया. इसके लिए उसने फेसबुक से तीन करोड़ लोगों का डाटा लिया. यह डाटा उसने कैम्ब्रिज एनालिटिका को दिया और बताया कि उसने जो भी किया है, वह कानूनी रूप से गलत नहीं है. कोगान का कहना है कि कंपनी उन्हें बलि का बकरा बना रही है.
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जकरबर्ग के खिलाफ जांच
फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने माफी मांगते हुए कहा है कि उनसे चूक हुई और भविष्य में ऐसा नहीं होगा. ब्रिटेन और यूरोप की सांसदों ने उन्हें समन किया है. वहीं अमेरिका के उपभोक्ता नियामकों ने फेसबुक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. कंपनी के शेयर के दामों पर भी इस स्कैंडल का बड़ा असर पड़ा है.
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रणनीति बनाने वाले
डॉनल्ड ट्रंप के पूर्व स्ट्रैटजिस्ट स्टीव बैनन का नाम भी काफी उछल रहा है. माना जाता है कि उन्होंने ही प्रोपेगंडा वाले वे संदेश डेवलप किए जो लोगों तक पहुंचे. बैनन कैम्ब्रिज एनेलिटिका के पूर्व बोर्ड मेंबर हैं. पिछले साल अगस्त में उन्होंने व्हाइट हाउस छोड़ दिया और तब से ट्रंप उनसे दूरी बनाए हुए हैं.
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ऐसा पहली बार भी नहीं हो रहा है जब फेसबुक पर डाटा की निजता के हनन का आरोप लगा हो. आठ साल पहले इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन नाम की संस्था ने दावा किया था कि फेसबुक ने अपनी स्थापना के कुछ समय बाद ही डाटा गोपनीयता की सेटिंग में ऐसे बदलाव किए थे जिनके तहत यूजर अपना कुछ डाटा सार्वजनिक करने पर मजबूर थे.
साथ ही, फेसबुक का यह स्कैंडल एक बड़ी समस्या की छोटी सी झलक भर है. इंटरनेट के दूसरे बड़े खिलाड़ी, मसलन गूगल और ट्विटर ने भी अमेरिकी चुनाव के दौरान गलत जानकारी फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने रवैये से साबित कर दिया है कि लोगों के डाटा और उनकी निजता को बचाना, उनके लिए प्राथमिकता नहीं है. अभी सोमवार को ही अमेरिका में 20 ग्राहक समूहों ने शिकायत दर्ज की है कि गूगल के वीडियो प्लेटफॉर्म ने अमेरिकी बाल संरक्षण कानूनों का हनन किया है और 13 साल से कम उम्र के बच्चों का निजी डाटा जमा किया है.
यह हैरानी की बात नहीं है कि फेसबुक और गूगल हमारे डाटा के लिए इतने भूखे हैं. भले ही जकरबर्ग अमेरिकी कांग्रेस के सामने बोलते रहे हों कि फेसबुक एक "आदर्शवादी" कंपनी है, जिसका मकसद केवल लोगों को एक दूसरे से जोड़ना है, और भले ही गूगल भी यह दावा करता रहे कि उसका लक्ष्य लोगों तक जानकारी पहुंचाना है, लेकिन सच्चाई तो यही है कि दोनों कंपनियों का असली काम लोगों के डाटा को जमा करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन चलाना है. दोनों ही कंपनियां लोगों को एक दूसरे से जोड़ कर या फिर जानकारी दे कर कमाई नहीं करती हैं, बल्कि लोगों की निजी प्रोफाइल को निशाना बना कर, वहां विज्ञापन बेच कर पैसा कमाती हैं. अगर आपको अब भी कोई शक है, तो अपनी "पर्सनल हिस्ट्री" डाउनलोड कर के देख लीजिए.
ऐसे जानिए फेसबुक पर अपना इतिहास
फेसबुक आपके बारे में इतना सब जानता है कि अगर आप भी कहीं कुछ भूल जाएं तो वह आपको बता सकता है. आप फेसबुक के आर्काइव में जाकर अपनी जानकारी कुछ इस तरह से निकाल सकते हैं.
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फेसबुक सेटिंग
सबसे पहले फेसबुक की अपनी सेटिंग में जाएं. (Facebook.com/settings)
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डाटा डाउनलोड
इसके बाद वाले पेज पर एक विकल्प आता है, अपने डाटा के डाउनलोड करने का.
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डाउनलोड आर्काइव
फिर क्या, क्लिक करें डाउनलोड आर्काइव. इस कमांड को लेने के बाद फेसबुक चंद मिनट लेगा आपका आर्काइव तैयार करने में.
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आर्काइव अलर्ट
चंद मिनटों बाद फेसबुक आपको आर्काइव तैयार होने का अलर्ट भेजेगा.
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जिप फाइल
इस अलर्ट के बाद आपको डाउनलोड आर्काइव का विकल्प क्लिक करना होगा. इसके बाद आपके कंप्यूटर पर जिप फाइल डाउनलोड होगी.
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फिर क्या
इसके बाद आप आर्काइव की एक-एक फाइल में जाकर झांक सकते हैं. फेसबुक पर आपकी जिंदगी की वो सभी जानकारी होगी जो आपने कभी इसके साथ साझा की थी.
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प्रोफाइल की कॉपी
अगर आप फेसबुक छोड़ने की सोच रहे हैं तो इस सोशल नेटवर्किंग साइट से अपने डाटा प्रोफाइल की एक कॉपी ले लेना बेहतर है. वाकई, फेसबुक अपने यूजर्स के बारे में बहुत जानता है.
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इन कंपनियों के समर्थन में जो दलील दी जाती है कि कोई भी इन्हें इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं है, वह भी बेतुकी है. आज की डिजिटल अर्थव्यवस्था में यह मुमकिन ही नहीं है कि आप इंटरनेट और सोशल मीडिया से दूर रहें. आपको गूगल, फेसबुक, एमेजॉन और एप्पल से तो जुड़े रहना पड़ेगा ही. यह कंपनियां हमारी ऐसी जरूरत बन गई हैं, जिनके बिना जीना अब मुमकिन ही नहीं रह गया है.
यह भी दिलचस्प है कि जब कांग्रेस ने जकरबर्ग से कहा कि वह फेसबुक को एक "पेड सर्विस" में तब्दील कर दें, जहां यूजर्स को पैसा देना होगा और कोई विज्ञापन नहीं चलेंगे, तो उन्होंने इसे मानने से इंकार कर दिया. उन्होंने कई सवालों के ऊटपटांग जवाब दिए, जैसे कि फेसबुक फेक अकाउंट बनाने की अनुमति नहीं देता है. भले ही यह तकनीकी तौर पर सही हो लेकिन सब जानते हैं कि ऐसा नहीं है.
यह सब दिखाता है कि जकरबर्ग जो भी कदम उठा रहे हैं, अपने बिजनेस मॉडल को बचाने और अपनी कंपनी को जितना हो सके, उसी रूप में आगे भी चलाते रहने का प्रयास है. माफी मांग कर वह सिर्फ सजा से बचने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी कांग्रेस और यूरोपीय संघ, दोनों को ही इस छलावे में नहीं फंसना चाहिए. फेसबुक और दूसरी इंटरनेट कंपनियों पर लगाम लगना बेहद जरूरी है, क्योंकि आने वाले समय में ये दुनिया भर के लोकतंत्र पर बड़ा असर डालने वाली हैं.
अमेरिका से ज्यादा फेसबुक इस्तेमाल करता है भारत
दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन पब्लिकेशन हाउस द नेक्स्ट वेब की एक रिपोर्ट मुताबिक फेसबुक के सबसे अधिक यूजर्स भारत में हैं. एक नजर सोशल साइट फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले टॉप 10 देशों पर
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भारत
24.1 करो़ड़ यूजर्स के साथ भारत में इस सोशल साइट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.
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अमेरिका
फेसबुक यूजर्स अमेरिका में 24 करोड़ है, उपयोगकर्ताओं की इस सूची में भारत के बाद अमेरिका का दूसरा स्थान है.
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ब्राजील
ब्राजील, तकरीबन 13.9 करोड़ फेसबुक यूजर्स के साथ तीसरे स्थान पर है.
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इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में यूजर्स की संख्या लगभग 12.6 करोड़ है, जो सूची में चौथे स्थान पर है.
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मैक्सिको
पांचवे स्थान पर अपने 8.5 करोड़ यूजर्स के साथ मैक्सिको का नंबर है
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फिलीपींस
फेसबुक यूजर्स की संख्या फिलीपींस में करीब 6.9 करोड़ है.
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वियतनाम
वियतनाम में इस सोशल मीडिया साइट का तकरीबन 6.4 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं.
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थाईलैंड
टूरिस्टों के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन थाईलैंड में तकरीबन 5.7 करोड़ फेसबुक यूजर्स हैं.
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तुर्की
तुर्की में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 5.6 करोड़ है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन में फेसबुक की लोकप्रियता घटी है, यहां तकरीबन 4.4 करोड़ यूजर्स है.