यूगांडा के एनगाम्बा द्वीप पर एक अनाथालय है जहां चिम्पांजी रहते हैं. क्या इनके असली घर यानी वन सुरक्षित नहीं रखे जा सकते? एक शख्स ऐसी ही कोशिश में जुटा है.
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यूगांडा के एनगाम्बा द्वीप चिम्पांजियों का अनाथालय है. यहां हर किसी की अपनी दुख भरी कहानी है. किसी ने अपनी मां को खोया तो किसी को शिकारियों ने अपंग बना दिया. कोई चुरा लिया गया तो कोई अपने परिवार से भटक गया. और अब ये सब एक अनाथालय में हैं जहां कुछ लोग उनका बहुत ख्याल रखते हैं. लेकिन सिर्फ ख्याल रखना उनके लिए काफी है क्या? अनाथालय के केयरटेकर फिलिप सेकुल्या एक चिंपांजी के बारे में बताते हैं, "वह डरपोक हो गया है. जब वह दूसरे चिम्पांजियों को शोर करते हुए सुनता है, जैसा कि वे लौटने के समय करते हैं, तो वह डर जाता है."
चिम्पांजी भावनात्मक तौर पर बहुत जटिल जीव होते हैं. परिवार का नुकसान उनके बर्ताव में डिसऑर्डर पैदा करता है. एनगाम्बा के केयरटेकर चिम्पांजियों के ट्रॉमा की थेरेपी में काफी समय लगाते हैं. जैसे मदीना के साथ. मदीना को शिकारी पश्चिम एशिया में बेचने वाले थे. जब वह छोटी थी तो उसे काहिरा जाने वाली एक फ्लाइट के यात्री के बैग से पकड़ा गया. काफी समय तक वह खुद में सिमटी और डरी हुई रही. अब वह पेंटिग सीख रही है.
तस्वीरों में, जानवरों के अनोख रिकॉर्ड
जानवरों के अनोखे रिकॉर्ड
कुछ जानवरों में ऐसी खासियतें होती हैं जो उन्हें दूसरे से अलग बनाती हैं. आइए डालते हैं एक नजर ऐसे ही कुछ जबरदस्त जानवरों पर.
तस्वीर: Fotolia/photobar
चीता
कोई भी जानवर चीते से तेज नहीं भाग सकता. चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने की क्षमता रखता है.
तस्वीर: Fotolia/stephane angue
अमेरिकी हिरन
लगातार दौड़ने में कोई भी जानवर इस उत्तर अमेरिकी हिरन का मुकाबला नहीं कर सकता. यह हिरन पांच किलोमीटर तक 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है.
तस्वीर: Getty Images
शुतुरमुर्ग
कोई भी पक्षी इससे तेज नहीं भाग सकता. इसके लिए 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ना कोई समस्या नहीं है. यह लगातार आधा घंटा 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है. यह दुनिया का अकेला परिंदा है जिसके पैर में दो उंगलियां होती हैं और यह उड़ भी नहीं सकता.
तस्वीर: AP
रुएपल गिद्ध
सबसे ऊंची उड़ान इस अफ्रीकी गिद्ध की है. 1973 में एक रुएपल गिद्ध 11,200 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे एक विमान से टकरा गया. ज्यादातर परिंदे सौ से दो हजार मीटर तक ही ऊंचाई पर ही उड़ते हैं. प्रवासी परिंद कभी कभी हिमालच के पर्वतों के ऊपर से उड़ते हुए नौ हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
पूमा (पहाड़ी शेर)
पूमा सबसे ऊंची छलांग लगाने की क्षमता रखता है. 50 किलो वजन का पूमा भी आश्चर्यजनक तौर पर जमीन से साढ़े पांच मीटर ऊंचाई तक उछल सकता है. जमीन पर रहने वाले जानवरों में यह एक रिकॉर्ड है. पानी में सिर्फ डॉल्फिन सात मीटर की ऊंचाई तक उछल सकती है.
तस्वीर: Bas Lammers
हमिंग बर्ड
यह दुनिया का सबसे छोटा पक्षी है. इस प्रजाति की एक और चिड़िया मक्खी चिड़िया को पक्षियों में कद और काठी से हिसाब से सबसे छोटा माना जाता है. इनमें से ज्यादातर का वजन दो ग्राम और लंबाई छह सेंटीमीटर होती है.
तस्वीर: Fabian Schmidt
स्पर्म व्हेल
यह सबसे गहरा गोता लगाती है. अपने बच्चों को दूध पिलाने वालों में शामिल यह अकेला जानवर है जो तीन हजार मीटर गहराई तक गोता लगा सकती है. यह एक घंटे तक पानी के नीचे रह सकती है. पानी के भीतर इसके खून का प्रवाह सिर्फ दिल और दिमाग तक सीमित रहता है.
तस्वीर: 2010 Universum Film GmbH / Richard Herrmann
अफ्रीकी हिरन
यह जानवर सबसे ज्यादा गर्मी बर्दाश्त करने की क्षमता रखता है. इसके अपने शरीर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है, जिसे बर्दाश्त करना इंसान के लिए मुश्किल होता है. यह हिरन कई हफ्तों तक पानी के बिना रह सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/zb
चमगादड़
इनसे बेहतर कोई नहीं सुन सकता. शिकार के वक्त यह जानवर ऐसी आवाजें भी सुन सकता है जो सिर्फ आधुनिक उपकरणों से जरिए सुनी जा सकती हैं. यही खूबी इसके शिकार को आसान बनाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
पिस्सू और टिड्डे
ये छोटे छोटे पिस्सू हाई जंप लगाने के चैंपियन हैं. ये पिस्सू अपनी शारीरिक लंबाई से दो सौ गुना ऊंची छलांग लगा सकते हैं. टिड्डा और भी उस्ताद है जो अपने कद से चार सौ गुना ज्यादा ऊंची छलांग लगा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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चिम्पांजी को इंसान का सबसे करीबी रिश्तेदार कहा जाता है. इनकी जगह जंगलों में है. यूगांडा के वर्षावनों में इनका घर है. उत्तरी यूगांडा में कुछेक बचे हुए वर्षावन हैं जहां ये जानवर रहते हैं. लेकिन उनकी जिंदगी का आधार खतरे में है. जंगलों का बड़ा हिस्सा काट दिया गया है और वहां खेत बन गए हैं. जंगलों से विस्थापित चिम्पांजी और उनके साथियों को चारा खोजने के लिए खेतों में जाना पड़ता है. किसान फ्रांसिस कासांगाकी कहते हैं, "हमें सब कुछ काट देना पड़ा पड़ा क्योंकि हमें जंगली चिम्पांजियों, लाल पूंछ वाले बंदरों और बबूनों से समस्या हो रही थी. वे हमारी गन्ने की फसल को नष्ट कर देते थे. मुझे इतना नुकसान हो रहा था कि मेरे सामने आसपास के जंगल को काटने के अलावा और कोई चारा नहीं था."
देखिए, कागज के फूल नहीं कागज के पशु
कागज के फूल नहीं कागज के पशु
अपनी अफ्रीका की यात्रा में जंगली पशुओं से सामना जापानी कलाकार ची हीतोतसुयामा को अंदर तक प्रभावित कर गया. वहां से लौटकर उन्होंने अखबारों को रोल कर वैसे ही पशु बनाए. इंसानों को याद दिलाने के लिए कि यह धरती पशुओं की भी है.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
दिल की पुकार, 2011
जापानी कलाकार ने एक घायल राइनो को देखा था. उसी से प्रेरणा लेकर 2011 में अखबारों से बना डाला यह जीवंत शिल्प.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
सागर की यात्रा, 2014
2014 में सी टर्टिल को इस रूप में ढालने के पीछे हीतोतसुयामा को आशा थी कि दुनिया भर में उनकी दुर्दशा के बारे में जागरुकता बढ़े.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बाइसन का झुण्ड, 2012
2012 की इस कृति में कलाकार ने अखबारों से बने बाइसन में जैसे जान डाल दी है. एक रचना में एक से तीन महीने का समय लगता है.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
गोरिल्ला की मां, 2011
हीतोतसुयामा फुजी में बड़ी हुईं, जो पेपर के निर्माण के लिए प्रसिद्ध शहर है. उनके दादाजी एक पेपर मिल के मालिक भी थे जहां बचपन में वह अक्सर खेला करती थीं.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बच्चों के लिए
जापान के फूनाबाशी एंडरसन पार्क में बच्चों के लिए बने संग्रहालय में बेकार हो चुके उत्पादों से रची कला दिखाई गई है. अखबार से इसलिए बनाया क्योंकि वे सूचना को फैलाने का काम करते हैं.
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
बंदर के सोने की ध्वनि
हीतोतसुयामा का संदेश है कि इंसान याद रखे "इसी पृथ्वी पर और भी कई जीवित प्राणी रहते हैं. हम सबको अपने जीवन में एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए."
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
सागर के जीवों का ख्याल, 2014
हीतोतसुयामा मानती हैं कि इंसान को "पर्यावरण को ठीक करने" का ख्याल छोड़कर उसे नष्ट ना करने की ओर ध्यान देना चाहिए. (जेनिफर कॉलिंस/आरपी)
तस्वीर: Hitotsuyama Studio
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हर साल कटाई की वजह से तीन प्रतिशत वर्षावन कम हो जाते हैं. तो फिर यूगांडा के इन वानरों को बचाने के लिए क्या किया जाए कि देश की अद्भुत धरोहर बची रहे? ये ऐसा सवाल है जिसे जूलियस कवाम्या ने कुछ साल पहले उठाया था. वह पहले खुद चिम्पांजियों के खिलाफ थे, क्योंकि वे उनके खेतों को नुकसान पहुंचाते थे. अब वे चिम्पांजियों की रक्षा करने वाले संगठन चिम्पांजी सैंक्चुअरी एंड वाइल्डलाइफ कन्जर्वेशन ट्रस्ट के लिए काम करते हैं. उन्होंने ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे इंसानों और जानवरों के लिए पर्याप्त पैदावार होती है. वह बताते हैं, "हम पैशन फ्रूट उगाते हैं. इनसे काफी मुनाफा होता है. इसलिए हम किसानों से इन्हें उपजाने के लिए कह रहे हैं ताकि उनकी आय बढ़े."
साल में दो बार होने वाले इन फलों से किसानों की अच्छी आमदनी होती है. इस तरह चिम्पांजियों का भी भला होता है क्योंकि उन्हें पैशन फ्रूट से प्यार है. कुछेक बच गए जंगलों में वे अभी भी बिना की चिंता के रह सकते हैं.