कोरोना काल ने सबको अपने और अपने आसपास के माहौल के बारे में सोचने का मौका दिया. ये अनुभव सबके लिए अलग अलग रहे. इसलिए इस श्रृंखला में हम कोरोना, लॉकडाउन और उसके बाद हुए अनलॉक पर कुछ अनुभवों को साझा कर रहे हैं.
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कोरोना जब आया, तो वह हमसे बहुत दूर था, किसी दूसरे देश की खबर था, कौतुहल की वजह था. और फिर जब वह पास आया, तो इस ताकत के साथ आया कि सब अपने अपने घरों में दुबकने को विवश हो गए. कोरोना काल का अनुभव लोगों के लिए ऐसा अप्रत्याशित था, जो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा. हमारी पीढ़ियों ने ऐसी कोई महामारी देखी भी नहीं कि उससे निबटने का कोई अनुभव हो.
ऐसे में सरकारों ने फैसले लिए. पहली बार सरकारों के फैसले राजनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि विशेषज्ञों से पूछकर लिए गए. और इन फैसलों में लोकतांत्रिक परंपराओं से ज्यादा अहम यह बात रही है कि लोगों की जान किस तरह बचाई जाए, जिन लोगों के रोजगार पर असर पड़ा, उनकी आजीविका का बंदोबस्त कैसे किया जाए और जो लोग घर पर रहने को मजबूर हैं, उनके अकेलेपन को कम करने के लिए क्या किया जाए.
पश्चिम के लोकतांत्रिक देशों में बहुत से लोगों ने कभी अदालत के माध्यम से, तो कभी प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकारों पर जोर दिया. सरकारों पर दबाव बनाया गया, उनके फैसलों पर बहस कर, उनकी खामियों को सामने लाकर. सरकारों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी बदलाव किए ताकि लॉकडाउन के बावजूद चुनाव होते रहें, और लोगों को जहां तक संभव हो, घर की सुरक्षा में काम करने का मौका मिलता रहे.
हम जिस समाज में रह रहे हैं, वह आर्थिक विकास पर आधारित समाज है. काम रहेगा तो नौकरी रहेगी, नौकरी रहेगी तो आमदनी रहेगी और आमदनी रहेगी, तो जिंदगी अपने ढर्रे पर चलती रहेगी. कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने इस संरचना को अस्तव्यस्त कर दिया. फिलहाल फिर उसी संरचना को वापस लाने की कोशिश हो रही है, लेकिन लॉकडाउन के अनुभवों ने हमें यह भी दिखाया है कि जिंदगी दूसरे तरीके से भी चल सकती है. पर्यावरण सम्मत तरीके से, प्रकृति के दोहन के बदले, उसे बचाते हुए समाज का विकास हो सकता है.
लॉकडाउन में हर किसी की अपनी अपनी मुश्किलें रही हैं, अपना अपना अनुभव रहा है. यहां हम अपनी टीम के कुछ अनुभवों को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. आपसे इस बात की चर्चा करना चाहते हैं कि आपके क्या अनुभव रहे. आपने अपने और अपने समाज के बारे में क्या सोचा? कोरोना की चुनौती ने पहली बार सारी दुनिया को एक धागे में पिरो दिया है. इससे पहले इतना साफ कभी नहीं था कि हमारी जिंदगी की डोर एक दूसरे के साथ जुड़ी है. समस्या का समाधान हमारे साथ आने में हैं, हमारे साझा प्रयासों में है.
भारत में या यहां यूरोप में, महामारी भले ही एक रही हो, चुनौतियां और अनुभव अलग अलग रहे हैं. हिंदी टीम के सदस्यों के कुछ अनुभवों के साथ आपको इस बातचीत में शामिल होने का निमंत्रण दे रहे हैं. आइए हमारे साथ फेसबुक पर इन अनुभवों पर चर्चा कीजिए और अपने अनुभव हमारे साथ साझा कीजिए.
कामकाजी लोगों की जिंदगी में ऐसा मौका शायद दोबारा कभी नहीं आएगा जब उन्हें इतना लंबा वक्त घर में रहने को मिलेगा. इसलिए शिकायत करने की जगह इस वक्त का फायदा उठाएं. वक्त काटने के लिए हम लाए हैं कुछ अच्छे आइडिया.
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खाना पकाएं
इसे मजबूरी ना समझें. खाने के साथ क्रिएटिव भी हुआ जा सकता है. यूट्यूब और फेसबुक पर दिलचस्प खाना पकाने के तमाम वीडियो मौजूद हैं. इनका इस्तेमाल कीजिए, हर दिन संडे लगने लगेगा.
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कसरत कीजिए
जिम बंद है, यह बहाना अब नहीं चलेगा क्योंकि बॉलीवुड की कई हस्तियां घर में वर्कआउट के वीडियो पोस्ट कर साबित कर चुकी हैं कि बिना जिम की मशीनों के भी कसरत मुमकिन है. योगा के लिए तो जिम की जरूरत वैसे भी नहीं है.
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घर की सफाई
आपकी काम वाली यूं भी इन दिनों नहीं आ रही है. तो मिलजुल कर घर की सफाई कीजिए. हो सकता है इस दौरान आपको कहीं कोई पुराना खत, कोई पुरानी तस्वीर मिल जाए जो आपके होंठों पर मुस्कान ला दे.
पूरी की पूरी सिरीज एक ही बार में देख लेने का मौका फिर कहां मिलेगा. नेटफ्लिक्स और ऐमजॉन प्राइम की जो फिल्में और सिरीज आपकी लिस्ट में अब तक थीं, उन्हें देख डालिए.
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लूडो खेलिए
जिस जमाने में स्मार्टफोन नहीं थे लोग परिवार के साथ बैठ कर लूडो, बिजनेस और कैरम जैसे गेम खेला करते थे. कुछ देर के लिए ही सही, वह दौर लौट आया है, तो इसका पूरा आनंद लीजिए.
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टैक्स रिटर्न भरिए
अगर अब तक नहीं भरी है, तो यह अच्छा मौका है. टैक्स रिटर्न के अलावा बैंक इत्यादि के कागजी काम हों तो उन्हें भी इस दौरान निपटा लीजिए.
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कुछ नया सीखिए
आप कोई ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं. अपने स्मार्टफोन के ऐप स्टोर में जाइए और देखिए कितने तरह के कोर्स उपलब्ध हैं. यह भी नहीं करना चाहते हैं तो परिवार में एक दूसरे से ही कुछ नया सीख लीजिए.
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छुट्टी की तैयारी कीजिए
ना जाने अगली छुट्टी कब होगी लेकिन उसकी प्लानिंग तो की ही जा सकती है. गोवा जाना है या शिमला, इतना तो तय किया जा सकता है. एक दूसरे के साथ बैठ कर होटल भी खोजे जा सकते हैं.
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पौधे उगाइए
घर में पौधों को उगते देखना एक सकारात्मक अहसास देता है. रोज अपने पौधों को पानी दीजिए, उनके साथ बैठ कर कुछ वक्त बिताइए. बीमारी के इस बुरे दौर में यह अच्छी सोच में फायदेमंद होगा.
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किताबें पढ़िए
आपने आखिरी बार कोई किताब कब उठाई थी? अगर हमेशा किताब उठाने के लिए खाली वक्त का इंतजार कर रहे थे, तो लीजिए आ गया वो खाली वक्त. अगर घर में नई किताब नहीं है, तो इस बीच बहुत सी लाइब्रेरी ऑनलाइन किताबें निःशुल्क दे रही हैं.
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दोस्तों से बातें कीजिए
भाग दौड़ की जिंदगी में पुराने दोस्त कई बार पीछे छूट जाते हैं. उन्हें फोन कीजिए, उनका हालचाल पूछिए. क्या पता आपकी एक कॉल उनकी मायूसी दूर कर दे.
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कुछ भी मत कीजिए
जरूरी नहीं है कि हर वक्त कुछ ना कुछ करना ही है. अपने शरीर और दिमाग को थोड़ा सा ब्रेक दीजिए क्योंकि कुछ दिनों बाद फिर से बसों और ट्रेनों में धक्के खाने हैं और घंटों ट्रैफिक में गुजारने हैं.