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चीनी कानून को क्यों कहा जा रहा है “हांगकांग का अंत”

२२ मई २०२०

चीन में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की पहले दिन की बैठक में हांगकांग को लेकर एक सुरक्षा कानून पर चर्चा हो रही है. देशद्रोह और तोड़फोड़ पर बैन लगाने वाले इस कानून को जानकार ‘हांगकांग का अंत’ बता रहे हैं.

Hongkong Neues Jahr beginnt mit Protesten
तस्वीर: Reuters/N. Chitrakar

चीनी कांग्रेस में जिस नए हांगकांग सुरक्षा कानून का प्रस्ताव पेश हुआ है उसका मकसद देशद्रोह और तोड़फोड़ वाले मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की अनुमति देना है. हांगकांग की लोकतंत्र-समर्थक हस्तियों के अलावा, ताइवान और अमेरिका की ओर से भी इसकी कड़ी आलोचना हो रही है. विरोधियों का मानना है कि नया कानून धर्मनिरपेक्षता और राज्य की शक्ति को अवरुद्ध करने वाला है.

चीन का कम्युनिस्ट शासन पहले से चेतावनी देता आया था कि वह हांगकांग में सामने आ रहे मतभेदों और चीन-विरोध को बर्दाश्त नहीं करेगा. हांगकांग को वह अपना अर्ध-स्वायत्त शहर मानता है, जहां पिछले साल करीब सात महीने तक लोकतंत्र समर्थक आंदोलन चले थे.

इस कानून के पहले भी सन 2003 में चीन इससे मिलते जुलते कानून का प्रस्ताव ला चुका है. उस समय भी बहुत बड़े स्तर हुए विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था. चीन के सालाना संसद सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ली केचियांग ने कहा कि हांगकांग में चीन "राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी तंत्र एवं व्यवस्था को स्थापित और उसमें सुधार" करेगा.

हांगकांग के मिनी-संविधान ‘बेसिक लॉ' के अनुच्छेद 23 में लिखा है कि देशद्रोह जैसे गंभीर मामलों में शहर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करना चाहिए. इससे पहले आज तक इस अनुच्छेद का इस्तेमाल नहीं किया गया है. हांगकांग में प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी के मूल्यों की काफी मान्यता रही है, जबकि मुख्यभूमि चीन में स्थिति इसके बिल्कुल उलट मानी जाती है. सन 1997 में जब अपने उपनिवेश हांगकांग को ब्रिटेन ने वापस चीन को सौंपा था तभी इन मूल्यों को सुरक्षित रखने को लेकर समझौता हुआ था.

हांगकांग की प्रतिक्रिया

हाल के महीनों में कोरोना के चलते लगी पाबंदियों के कारण इस कदम का सबसे ज्यादा विरोध सड़कों के बजाए इंटरनेट पर दिखाई दे रहा है. सोशल मीडिया साइटों, चैटिंग ऐप्स में हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता फिर से विरोध प्रदर्शन को शुरू करने का आह्वान कर रहे हैं. हांगकांग की सिविक पार्टी के सांसद डेनिस क्वॉक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "इससे हांगकांग का अंत हो जाएगा, कोई गलतफहमी मत रखिएगा इससे ‘एक देश, दो व्यवस्था' का अंत होना तय है.”

मशहूर लोकतंत्र समर्थक एक्टिविस्ट जोशुआ वॉन्ग का कहना है कि आजादी के लिए संघर्ष करने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए यह चीन का साफ संदेश है. वॉन्ग ने ट्विटर पर लिखा, "बीजिंग हांगकांगवासियों की आलोचना को अपनी ताकत और डर से चुप कराना चाहता है.”

हांगकांग की नेता कैरी लैम ने कानून को लेकर चीन का "पूरा समर्थन" करने का आश्वासन दिया है. पीपुल्स कांग्रेस में हिस्सा ले रही लैम ने इससे जुड़ी कानून प्रक्रियाएं जल्द से जल्द पूरी करने की बात कही.

कोरोना पर चीन का ‘मौन'

चीनी कांग्रेस की एक हफ्ते तक चलने वाली सालाना बैठक के लिए देश भर से जुटे करीब 2,897 सदस्यों ने कोरोना संकट के कारण करीब दो महीने बाद मिले हैं. सत्र की शुरुआत भी कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों की स्मृति में कुछ देर मौन रखने के साथ हुई.

चीन में 80,000 से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए और 4,500 से अधिक की इसके कारण जान चली गई. प्रधानमंत्री ली ने अपने संदेश में कहा कि वायरस के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए उन्होंने देशवासियों से "पहले से भी दोगुनी कोशिश करने" का आह्वान किया. 

बड़ी आर्थिक घोषणाएं

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने पहली बार साल के लिए आर्थिक वृद्धि के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया है. सन 1990 में ऐसे लक्ष्य तय करने की शुरुआत हुई थी और इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि लक्ष्य तय ना किया गया हो. प्रधानमंत्री ली ने कहा कि कोरोना की महामारी के बाद चीन सबसे पहले अर्थव्यवस्था में खर्च को बढ़ाने पर जोर देगा ताकि "रोजगार में स्थिरता और जनजीवन का अच्छा स्तर सुनिश्चित किया जा सके.” चीन करीब 526 अरब डॉलर मूल्य के विशेष सरकारी बॉन्‍ड भी जारी करेगा, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च को बढ़ावा दिया जाएगा. चार दशक में पहली बार ऐसा हुआ कि 2020 की पहली तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था करीब 6.8 प्रतिशत सिकुड़ी है.

आरपी/एके (रॉयटर्स, डीपीए, एएफपी)

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