छह महीनों में 300 से ज्यादा लोगों को सजा में पीटा तालिबान ने
८ मई २०२३संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में कम से कम 274 पुरुष, 58 महिलाओं और दो लड़कों को सार्वजनिक रूप से फ्लॉगिंग या पीटने की सजा दी गई. सामान्य रूप से हर एक व्यक्ति को 30 से 39 बार पीटा गया.
इस तरह सजा पाने वाले अधिकांश लोगों को जिन 'अपराधों' के लिए सजा दी गई उनमें 'जीना' (विवाहेतर संबंध), घर से भाग जाना, चोरी, समलैंगिकता, शराब पीना, धोखाधड़ी और नशीले पदार्थों की तस्करी शामिल हैं.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन में मानवाधिकार प्रमुख फियोना फ्रेजर ने बताया कि "शारीरिक दंड यातना के खिलाफ संधिपत्र का उल्लंघन है और यह बंद हो जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र मौत की सजा का मजबूती से विरोध करता है और इस पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र को इस अवधि में मौत की सजा के एक मामले की भी खबर मिली है, जिसमें अदालत की अनुमति से एक व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में मृत्युदंड दिया गया. इस व्यक्ति को 2017 में एक व्यक्ति को चाकू मार कर जान से मार देने का दोषी पाया गया था.
इस्लामी कानून की दुहाई
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के जवाब में तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोषियों को इस्लामी कानून के तहत सजा दी गई है और लोगों के लिए एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सजाओं की जरूरत है.
मंत्रालय के मुताबिक, "हर राजनीतिक तंत्र के अपने मानक और तरीके होते हैं जो उसे दूसरे तंत्रों से अलग बनाते हैं. इस्लामी अमीरात अपनी सभी गतिविधियां पावन धर्म इस्लाम की रोशनी में निभा रहा है और उसके प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है."
तालिबान ने इस तरह की सजाएं देना करीब दो साल पहले देश में सत्ता में आते ही शुरू कर दिया था, बावजूद इसके कि शुरू में उसने 1990 के दशकों के अपने शासन के मुकाबले ज्यादा नरम शासन का वायदा किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक 'फ्लॉगिंग' का पहला मामला अक्टूबर 2021 में कपीसा राज्य में सामने आया था. उस मामले में एक पुरुष और एक महिला को विवाहेतर संबंध बनाने का दोषी पाया गया था और उन्हें धार्मिक गुरुओं और स्थानीय तालिबान अधिकारियों की मौजूदगी में लोगों के सामने 100-100 बार कोड़े लगाए गए थे.
प्रतिशोध का अधिकार
दिसंबर 2022 में तालिबान के अधिकारियों ने हत्या के दोषी पाए गए एक व्यक्ति को मौत की सजा दे दी थी. फाराह राज्य में तालिबान के आदेश पर सैकड़ों लोगों के सामने मृतक के पिता ने उस व्यक्ति को गोली मार दी थी.
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद के नवंबर में न्यायाधीशों और उनके द्वारा इस्लामी कानून के इस्तेमाल को लेकर तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा की बातों को ट्वीट किया था. उसके बाद से देश में शारीरिक दंड के मामलों में बढ़ोतरी आई है.
पिछले हफ्ते जारी किए गए एक वीडियो मैसेज में तालिबान के उप मुख्य न्यायाधीश अब्दुल मालिक हक्कानी ने यह भी कहा कि तालिबान के सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता हासिल करने के बाद प्रतिशोध के 175 फैसलेदिए हैं, जिनमें पीड़ित या उसके रिश्तेदार को अपराध करने वाले को सजा देने का अधिकार दिया जाता है.
हक्कानी के मुताबिक इन 175 फैसलों में 'फ्लॉगिंग' के 79 मामले और पत्थर से मारने के 37 मामले शामिल हैं. 2001 में अमेरिका के हमले के बाद सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भी तालिबान ने उन इलाकों में इस तरह की सजा जारी राखी जहां उसका नियंत्रण था.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2010 से अगस्त 2021 के बीच तालिबान ने इस तरह के 182 फैसले दिए, जिनकी वजह से 213 लोगों की मौत हुई और 64 लोग घायल हुए.
सीके/एए (एपी, डीपीए)