30 करोड़ बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार बनेः रिपोर्ट
२७ मई २०२४
हर साल 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होते हैं. वैश्विक स्तर पर किए गए एक अध्ययन में डराने वाले आंकड़े सामने आए हैं.
विज्ञापन
ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनियाभर में हर साल 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण और प्रताड़नाओं के शिकार हो रहे हैं. वैश्विक स्तर पर इस तरह का यह पहला अध्ययन है, जो दिखाता है कि इंटरनेट पर बच्चों के शिकार हो जाने की समस्या कितनी बड़ी है.
27 मई को प्रकाशित इस शोध के मुताबिक पिछले 12 महीने में दुनिया के हर आठवें बच्चे को इंटरनेट पर यौन शोषण का शिकार होना पड़ा. इसमें गतिविधियों का शिकार बने. रिपोर्ट के मुताबिक अनचाहे अश्लील संदेश भेजने या यौन गतिविधियों के आग्रह करने के पीड़ित बच्चों की संख्या भी लगभग इतनी ही रही.
ऑनलाइन यौन उत्पीड़न की ये गतिविधियां ब्लैकमेल करने तक भी गईं और कई मामलों में निजी तस्वीरों की एवज में अपराधियों ने धन की मांग की. इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंससे लेकर डीपफेक तकनीक के जरिए आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें बनाकर भी बच्चों को शिकार बनाया गया.
इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्न की बाढ़
इंटरनेट वॉच फाउंडेशन के मुताबिक बीते कुछ सालों में चाइल्ड पोर्न परोसने वाली वेबसाइटों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
तस्वीर: Grazvydas Januska/Zoonar/picture alliance
लाखों नये पोर्न यूआरएल
इंटरनेट वॉच फाउंडेशन का कहना है कि इंटरनेट पर ढाई लाख से ज्यादा चाइल्ड पोर्न वेबसाइट मौजूद हैं. 2019 में इनकी संख्या 1,32,676 थी जो इस साल बढ़कर 2,55,588 हो गयी है.
तस्वीर: Jean François Ottonello/MAXPPP/picture alliance
महामारी है कारण
फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि यूआरएल में हुई बढ़ोतरी की एक वजह महामारी और लॉकडाउन भी है जिसके कारण बच्चों समेत ज्यादा संख्या में लोग घरों में रह रहे थे और पहले से ज्यादा पोर्न देख रहे थे.
तस्वीर: PA Wire/picture alliance
खुद बना रहे वीडियो
रिपोर्ट कहती है कि खुद के बनाये पोर्न वीडियो इस वक्त सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं. 2019 में 38,424 ऐसी वेबसाइटें थीं जिन पर खुद बनाये वीडियो शेयर किये गये. 2022 में इनकी संख्या 1,99,363 हो गयी.
तस्वीर: NurPhoto/IMAGO
क्या है खुद बनाये वीडियो
ये ऐसे वीडियो हैं जिन्हें माता-पिता की सहमति के बिना बनाया गया लेकिन इनके लिए बच्चे जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि उन्हें लुभाया जाता है. इसलिए इन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझना जरूरी है.
तस्वीर: Grazvydas Januska/Zoonar/picture alliance
11-13 साल की लड़कियां
इंटरनेट पर जो चाइल्ड पोर्न मौजूद है उसमें 11 से 13 साल की लड़कियों की संख्या बाकी समूहों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.
तस्वीर: empics/picture alliance
5 तस्वीरें1 | 5
शोधकर्ता कहते हैं कि यह समस्या पूरी दुनिया में फैली है लेकिन अमेरिका में खतरा बेहद ज्यादा आंका गया है. वहां हर नौ में से एक व्यक्ति ने कभी ना कभी बच्चों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार की बात मानी.
लड़के खासतौर पर खतरे में
चाइल्डलाइट के प्रमुख पॉल स्टैन्फील्ड ने बताया, "बच्चों के यौन उत्पीड़न की संख्या इतनी बड़ी है कि औसतन हर सेकंड पुलिस या किसी समाजसेवी संस्था को इस तरह की घटना की शिकायत मिलती है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है जो जरूरत से ज्यादा समय से ढकी-छिपी रही है. ऐसा हर देश में होता है और बहुत तेजी से बढ़ रहा है. इसके लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत है.”
पिछले महीने की ब्रिटेन की पुलिस ने चेतावनी जारी की थी कि पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय गिरोह ब्रिटिश किशोरों को यौन उत्पीड़न के बाद ब्लैकमेल का शिकार बना रहे हैं.
सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं के मुताबिक किशोर लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में खासतौर पर तेजी देखी जा रही है. ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (एनसीए) ने लाखों शिक्षकों को चेताया था कि वे अपने छात्रों के साथ ऐसे किसी व्यवहार को लेकर सजग रहें.
जापान: सहमति से सेक्स की उम्र 13 साल से बढ़ाकर हुई 16 साल
जापान में सेक्स के लिए सहमति की उम्र 13 साल से बढ़ाकर 16 साल कर दी गई है. यह फैसला यौन अपराधों से जुड़े कानूनों में सुधार के तहत किया गया है. 1907 के बाद जापान में सहमति की उम्र में बदलाव नहीं किया गया था.
तस्वीर: Christin Klose/dpa/picture alliance
पुराने कानून की आलोचना
एज ऑफ कंसेंट, यानी सहमति की कानूनी उम्र, से कम आयु वाले शख्स के साथ सेक्स या यौन गतिविधि वैधानिक तौर पर बलात्कार मानी जाती है. जापान दुनिया में सबसे कम कंसेंट एज वाले देशों में था.
तस्वीर: Ryan
यौन अपराधों पर चिंता
लंबे समय से इसे बदलने की मांग हो रही थी. आलोचकों का कहना था कि मौजूदा कानून बच्चों को बलात्कार और अन्य यौन अपराधों से बचाने के लिए काफी नहीं हैं.
तस्वीर: Christophe Gateau/dpa/picture alliance
एक सदी से ज्यादा वक्त तक सुधार नहीं
इससे पहले 2017 में यौन अपराधों से जुड़ी दंड संहिता में बदलाव किए गए थे. तब करीब एक सदी बाद पहली बार इस तरह की समीक्षा हुई थी. पुराने कानून की एक बड़ी आलोचना अपराध साबित करने की आम प्रक्रिया थी.
तस्वीर: Christin Klose/dpa/picture alliance
विक्टिम शेमिंग
पुराने कानून में मुकदमा करने वाले को साबित करना पड़ता था कि डराने-धमकाने या हिंसा के कारण पीड़ित यौन अपराध को रोकने की स्थिति में नहीं थी/था. आलोचकों का कहना था कि यह स्थिति विक्टिम ब्लेमिंग को शह देती है.
तस्वीर: Romain Fellens/picture alliance
भारतीय कानून
भारत में सहमति की उम्र 18 साल है. 1940 से 2012 तक यह 16 साल थी. 2012 में पॉक्सो ऐक्ट में इसे बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया. इससे कम उम्र के शख्स के साथ की गई सभी यौन गतिविधियां गैरकानूनी हैं, भले वो सहमति से क्यों ना हुई हों. (सांकेतिक तस्वीर)
तस्वीर: imago stock&people
कानून में समकालीनता की कमी
ऐसे में कई जानकार सहमति की उम्र की समीक्षा किए जाने की जरूरत बताते हैं. उनकी दलील है कि किशोरों के बीच सहमति से सेक्स होना सामान्य है और इसे गैर-कानूनी रखने का मतलब है कि कानून अपने इर्द-गिर्द के समाज और उसकी वास्तविकताओं के प्रति सचेत नहीं है.
तस्वीर: Colourbox
चीफ जस्टिस की अपील
दिसंबर 2022 में एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने संसद से पोक्सो के तहत सहमति की उम्र पर पुनर्विचार की अपील की थी. कई हाई कोर्ट भी कानून में संशोधन कर सहमति की उम्र 16 साल किए जाने की अपील कर चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
अन्य देशों में कैसी व्यवस्था
अमेरिका में अलग-अलग प्रांतों में अलग अलग-अलग व्यवस्था और सहमति की उम्र आमतौर पर 16 से 18 के बीच है. ब्रिटेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, फिनलैंड, स्पेन में सहमति की उम्र 16 साल है. जर्मनी, पुर्तगाल, इटली में यह 14 साल है. वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां सेक्स से पहले शादी जरूरी है.
तस्वीर: DW
8 तस्वीरें1 | 8
अधिकारियों के मुताबिक ये अपराधी बच्चों की ही उम्र का होने का ढोंग रचकर सोशल मीडिया पर संपर्क करते हैं और फिर इनक्रिप्टेड मेसेजिंग ऐप्स के जरिए बातचीत बढ़ाकर पीड़ितों को अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो साझा करने को उकसाते हैं.
अक्सर देखा गया है कि निजी तस्वीरें मिलने के एक घंटे के भीतर ही ये ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं और जितना ज्यादा हो सके धन ऐंठने की कोशिश करते हैं क्योंकि उनका मकसद शारीरिक संतुष्टि नहीं बल्कि धन उगाहना होता है.
विज्ञापन
भारत में कई गुना वृद्धि
भारत में इस तरह के अपराधों में तेजी से वृद्धि देखी गई है. पिछले साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के बाद से भारत में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के मामलों में 87 फीसदी की वृद्धि हुई. नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रन नामक संस्था की इस रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों के यौन शोषण की ऑनलाइन सामग्री में 3.2 करोड़ का इजाफा हुआ है.
कैसे दें रिवेंज पॉर्न का जवाब
04:38
‘वी प्रोटेक्ट ग्लोबल अलांयस' ने अक्तूबर में अपनी चौथी सालाना रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया कि 2021 में उसके सर्वेक्षण में 54 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि बचपन में उन्हें ऑनलाइन यौन शोषण का सामना करना पड़ा. साथ ही, 2020 से 2022 के बीच बच्चों के अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर साझा करने के मामलों में 360 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि सोशल ऑनलाइन गेमिंग प्लैटफॉर्म खासतौर पर बच्चों के यौन शोषण के गढ़ बन रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि कई बार तो बच्चों को फांसने में 19 सेकंड का समय लगता है जबकि औसतन समय 45 मिनट है.
निजी तस्वीरों के आधार पर धन ऐंठने के मामले 2021 में 139 थे जबकि 2022 में इनकी संख्या दस हजार को पार कर गई.