जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़, सूखा समेत अन्य जल-संबंधी जोखिमों में बढ़ोतरी हो रही है और आबादी के साथ मांग बढ़ने व जल उपलब्धता में कमी से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ने की आशंका है.
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यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी (डब्ल्यूएमओ) ने मंगलवार को "द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज 2021: वॉटर नाम की अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि 2018 में विश्व स्तर पर 3.6 अरब लोगों के पास प्रति वर्ष कम से कम एक महीने पानी की अपर्याप्त पहुंच थी और 2050 तक यह संख्या पांच अरब से अधिक होने की संभावना है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "स्थिति इस तथ्य से खराब हो रही है कि पृथ्वी पर केवल 0.5 प्रतिशत पानी ही उपयोग योग्य और उपलब्ध ताजा पानी है."
डब्लूएमओ के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 20 सालों में पानी से संबंधित खतरों की आवृत्ति में वृद्धि हुई है. 2000 के बाद से बाढ़ से संबंधित आपदाओं में पिछले दो दशकों की तुलना में 134 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि के दौरान सूखे की संख्या और अवधि में भी 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
अधिकांश सूखे से संबंधित मौतें अफ्रीका में हुईं, जो उस क्षेत्र में सूखे के लिए मजबूत एंड-टु-एंड चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता का संकेत देती हैं. अधिकांश बाढ़ से संबंधित मौतें और आर्थिक नुकसान एशिया में दर्ज किए गए थे, जबकि अफ्रीका सूखे से संबंधित मौतों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था.
डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी टालस कहते हैं, "बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप वैश्विक और क्षेत्रीय वर्षा में परिवर्तन हो रहा है, जिससे बारिश के पैटर्न और कृषि मौसम में बदलाव आ रहा है, जिसका खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है."
खेती, जिसके लिए मिट्टी नहीं चाहिए
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पिछले साल पानी से संबंधित चरम घटनाओं का सिलसिला जारी रहा, जिसमें लाखों लोग विस्थापित हुए और पूरे एशिया में सैकड़ों लोग मारे गए. अफ्रीका में दो अरब से अधिक लोग अभी भी पानी की कमी वाले देशों में रहते हैं और सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता तक पहुंच की कमी का सामना करते हैं.
जल-संबंधी आपदाओं को कम करने में जल संसाधन प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए डब्ल्यूएमओ ने सिफारिश की है कि देश, खास तौर से छोटे द्वीप विकासशील राज्य और सबसे कम विकसित देश, एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन और सूखे और बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणालियों में निवेश बढ़ाएं.
डब्ल्यूएमओ देशों से बुनियादी हाइड्रोलॉजिकल वैरिएबल्स के लिए डेटा एकत्र करने में क्षमता अंतराल को भरने का भी आग्रह करता है, जो जल क्षेत्र में बेहतर समर्थन अनुकूलन के लिए सूचना उपयोगकर्ताओं के साथ जलवायु सेवाओं के सह-विकास और संचालन के लिए जलवायु सेवाओं को रेखांकित करता है.
एए/सीके (एपी, एएफपी)
10 आपदाएं जो जलवायु परिवर्तन की वजह से आईं
आग हो या बाढ़, शीत लहर हो या टिड्डियों का हमला, विशेषज्ञों का कहना है कि मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन दुनिया के मौसम पर कहर बरपा रहा है. देखिए पिछले दो सालों में कैसी कैसी आपदाएं आईं.
तस्वीर: Ethan Swope/AP Photo/picture alliance
जंगली आग
इसी साल गर्मियों में ग्रीस में गर्मी की ऐसी लहर देखी गई जैसी पहले कभी नहीं आई. उसकी वजह से घातक जंगली आग फैल गई जिसने करीब 2,50,000 एकड़ जंगलों को जला कर राख कर दिया. अल्जीरिया और तुर्की में तो आग से करीब 80 लोग मारे गए. इटली और स्पेन में भी आग का प्रकोप देखा गया.
तस्वीर: NICOLAS ECONOMOU/REUTERS
रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी
जून में पश्चिमी कनाडा और उत्तर पश्चिमी अमेरिका में अभूतपूर्व गर्मी देखी गई. ब्रिटिश कोलंबिया के लिट्टन शहर में पारा 49.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया जो कि एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड था. वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) विज्ञान संघ का कहना था कि इस तरह की रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन के बिना "वास्तव में असंभव" थी.
तस्वीर: Jeff McIntosh/empics/picture alliance
घातक बाढ़
जुलाई में जर्मनी में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में 165 लोग मारे गए. स्विट्जरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम में भी बाढ़ का प्रकोप रहा और 31 लोग मारे गए. डब्ल्यूडब्ल्यूए ने कहा कि धरती के लगातार गर्म होने की वजह से इस तरह की भीषण बारिश की संभावना बढ़ जाती है.
तस्वीर: David Young/dpa/picture alliance
चीन में तबाही
जुलाई में ही चीन में भी बाढ़ की तबाही देखी गई. केंद्रीय शहर जेनजाउ में एक साल के बराबर की बारिश बस तीन दिनों में हो जाने के बाद ऐसी बाढ़ आई कि उसमें 300 से भी ज्यादा लोग मारे गए. कई लोग तो सुरंगों और सबवे ट्रेनों में अचानक बढ़े पानी में डूब कर ही मर गए.
तस्वीर: Wang Zirui/Costfoto/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया में भी बाढ़
मार्च में पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में भारी बारिश के बाद ऐसी बाढ़ आई जो दशकों में नहीं देखी गई थी. कई दिनों तक लगातार हुई बारिश की वजह से देश की नदियों में पानी का स्तर 30 सालों में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गया. हजारों लोगों को बाढ़ ग्रस्त इलाकों से दूर भागना पड़ा.
तस्वीर: Dan Himbrechts/VAAP/imago images
फ्रांस में शीत लहर
बसंत में फ्रांस में आई शीत लहर ने देश के लगभग एक तिहाई अंगूर के बागीचों को नष्ट कर दिया, जिनसे करीब 2.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. डब्ल्यूडब्ल्यूए के मुताबिक जलवायु परिवर्तन ने इस ऐतिहासिक ठंड की संभावना को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Desmazes
अमेरिका में तूफान
अगस्त में इदा तूफान ने उत्तरपूर्वी अमेरिका में भारी तबाही फैलाई. कम से कम 100 लोग मारे गए और करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. अमेरिका के छह सबसे ज्यादा नुकसानदायक तूफानों में से चार पिछले पांच सालों में ही आए हैं.
तस्वीर: Sean Rayford/AFP/Getty Images
टिड्डियों का हमला
जनवरी 2020 में पूर्वी अफ्रीका में अरबों टिड्डियों ने इतनी फसलें तबाह कीं कि इलाके में खाद्य संकट का खतरा पैदा हो गया. विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में टिड्डियों के जन्म के पीछे भी जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली चरम मौसम की घटनाएं ही हैं.
तस्वीर: Yasuyyoshi Chiba/AFP/Getty Images
अफ्रीका में बाढ़
अक्टूबर 2019 में भारी बारिश की वजह से सोमालिया में हजारों लोग विस्थापित हो गए, दक्षिणी सूडान में पूरे के पूरे शहर जलमग्न हो गए और केन्या, इथियोपिया और तंजानिया में बाढ़ और भूस्खलन में दर्जनों लोग मारे गए.
तस्वीर: Reuters/A. Campeanu
अमेरिका में सूखा
अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों में आए 500 साल में सबसे बुरे सूखे का प्रकोप जारी है. 'साइंस' पत्रिका में छपे एक अध्ययन के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से सूख के ये हालात दशकों तक जारी रह सकते हैं. -सीके/एए (एएफपी)