हिमाचल प्रदेश में रविवार से भारी बारिश जारी है. जगह-जगह भूस्खलन से मकानों और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है.
विज्ञापन
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण पिछले तीन दिनों में 60 लोगों की मौत हो चुकी है. शिमला में बचावकर्मियों ने मंगलवार को शिव के मंदिर के मलबे से दो और शव निकाले हैं. अभी कई और लोगों के लापता होने की आशंका है.
शिमला में भारी बारिश के कारण कई मकानों का नुकसान हुआ है और सड़कें भी तबाह हो गई हैं. मंगलवार को एक और भूस्खलन के बाद शिमला के पुराने बस स्टैंड के पास कृष्णा नगर इलाके में कम से कम पांच घर ढह गए.
मकान और सड़कें तबाह
मौसमी आपदा के कारण हिमाचल प्रदेश को अब तक 10 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है. खराब मौसम को देखते हुए हिमाचल में स्कूल और कॉलेज 16 अगस्त को भी बंद रखने का फैसला लिया गया है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को बताया कि हिमाचल प्रदेश में अगले दो दिनों के अलावा उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में अगले चार से पांच दिनों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश जारी रहने की संभावना है.
हिमालय की सफाई में जुटा- हीलिंग हिमालयाज
03:52
हिमाचल में रविवार से जारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है. राज्य में चार राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) और लगभग 857 सड़कें घंसने और मलबा गिरने के कारण बंद हैं.
इसके अलावा राज्य में लगभग 4,285 बिजली ट्रांसफार्मर और 889 जलापूर्ति योजनाएं भी बंद पड़ीहैं जिसके कारण राज्य में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. राज्य के मंडी, कुल्लू और शिमला जिले प्राकृतिक आपदा के कारण बुरी तरह से प्रभावित हैं.
राहत कार्य जारी
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि पोंग बांध के पास कांगड़ा के निचले इलाकों से बुधवार तक 800 से अधिक लोगों को निकाला गया. बांध जलाशय में जल स्तर बढ़ने के कारण उनके गांवों का संपर्क टूट गया था. उन्होंने कहा, "निकासी अभियान अभी भी जारी है, और लोगों को निकाला जा रहा है."
पोंग बांध से मंगलवार को लगभग 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे कांगड़ा के इंदौरा और फतेहपुर के इलाकों में भीषण बाढ़ आ गई. भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के एक अधिकारी ने बुधवार को मीडिया से कहा, "पिछले तीन दिन से तीनों नदियों - ब्यास, सतलुज और रावी में प्रवाह बहुत अधिक था. आज इसमें भारी गिरावट आयी है. हमने भाखड़ा और पोंग दोनों बांधों से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम कर दी है क्योंकि पंजाब और हिमाचल के निचले इलाकों में पहले से ही बाढ़ की समस्या थी."
पंजाब में एक महीने के भीतर दूसरी बार गांवों में बाढ़ आई है. इससे खेतों में फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
दिल्ली में बाढ़ के अभूतपूर्व हालात
यमुना नदी में पानी का स्तर ज्यादा बढ़ जाने के बाद दिल्ली के कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है. माना जा रहा है कि दिल्ली में इससे पहले कभी भी यमुना में पानी का स्तर इतना ऊपर नहीं गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यमुना का स्तर
13 जुलाई, 2023 को यमुना में पानी का स्तर 208 मीटर पार कर गया, जबकि खतरे का निशान 205 मीटर पर है. इसके बाद नदी के पास बसे उत्तरी, पूर्वोत्तर दिल्ली के कई इलाकों और केंद्रीय और दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह एक नया रिकॉर्ड है. इससे पहले 1978 में पानी 207.49 मीटर तक पहुंचा था.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लोग हुए बेघर
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसे कई लोगों के मकान और दुकानें डूब चुकी हैं. हजारों लोगों को डूबे हुए इलाकों से निकाला गया है और अस्थायी आश्रय गृहों में रखा गया है. दिल्ली सरकार के मुताबिक पूरी राजधानी में करीब 2,500 राहत शिविर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/IMAGO
दूसरे राज्यों का योगदान
नदी में बाढ़ के लिए दिल्ली के साथ साथ दूसरे राज्यों में हुई बारिश को जिम्मेदार माना जा रहा है. दिल्ली सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार ने हथिनी कुंड बैराज में पानी छोड़ा और उसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ आ गई. हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल प्रदेश से पानी छोड़ने की वजह से वहां पानी ज्यादा हो गया था.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
स्कूल, कॉलेज बंद
बाढ़ के मद्देनजर दिल्ली में सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. निजी दफ्तरों को भी अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहने की सलाह दी गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम लोगों को से जब तक जरूरी ना हो तब तक घर से ना निकलने की अपील की है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
पीने के पानी की व्यवस्था को खतरा
बाढ़ की वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट संयंत्रों को बंद कर दिया गया, जिससे 2-3 दिनों के लिए पीने के पानी की सप्लाई बाधित होने की आशंका है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित
सिंघु बॉर्डर, बदरपुर बॉर्डर, लोनी बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर से दिल्ली में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित घोषित कर दिया गया है. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड से आने वाली बसों को भी सिंघु बॉर्डर पर ही खाली कर देने के आदेश दिए गए हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यातायात प्रभावित
बाढ़ग्रस्त इलाकों में सड़क यातायात के साथ साथ मेट्रो सेवायें भी प्रभावित हुई हैं. मेट्रो के चार पुल नदी के ऊपर बने हुए हैं और उन चारों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार को कम कर दिया गया. कुछ मेट्रो स्टेशनों तक पहुंचने के रास्ते में पानी भरा गया जिसकी वजह से स्टेशनों तक पहुंचना मुश्किल हो गया.
ये महिलाएं बाढ़ के पानी में ही अपने एक मृत रिश्तेदार का अंतिम संस्कार कर रही हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लाखों क्यूसेक पानी
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल भर हथिनी कुंड बैराज से करीब 352 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जाता है, लेकिन मंगलवार 11 जुलाई को अचानक 3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
22 किलोमीटर बहती है नदी
दिल्ली में यमुना वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर की यात्रा तय करती है. यह यमुना की कुल लम्बाई का सिर्फ दो प्रतिशत हिस्सा है लेकिन दिल्ली में यह बेहद प्रदूषित हो जाती है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
पहले भी आई बाढ़
दिल्ली में इससे पहले 2018 और 2013 में भी बाढ़ आई थी, जिनमें नदी के किनारे बसे कई इलाके डूब गए थे और लोगों को अस्थायी शिविरों में जाना पड़ा था. (रऊफ फिदा)