उत्तराखंड वन विभाग महीनों से किए जा रहे दावों को ठुकराता रहा है कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में एक नई बाघ सफारी के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए. अब केंद्रीय वन सर्वेक्षण विभाग ने 6,000 पेड़ काटे जाने की पुष्टि की है.
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मीडिया रिपोर्टों में महीनों से ये दावे किए जा रहे थे कि कॉर्बेट बाघ रिजर्व में एक नए स्थान पर सफारी की शुरुआत करने के लिए अवैध तरीके से हजारों पेड़ कटवा दिए गए हैं. अब केंद्रीय वन सर्वेक्षण विभाग ने इन दावों की पुष्टि कर दी है. विभाग की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है नई सफारी शुरू करने के लिए उत्तराखंड सरकार के वन विभाग ने 16.21 हेक्टेयर के इलाके में 6,903 पेड़ कटवा दिए.
विभाग ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से यह कर नई सफारी के लिए अनुमति ली थी कि उसके लिए सिर्फ 163 पेड़ काटे जाएंगे. लेकिन वन सर्वेक्षण विभाग ने सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों और फील्ड ट्रिप के जरिए पता लगाया है कि अनुमान है कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का सपना
पखरो नाम की नई सफारी को कॉर्बेट बाघ रिजर्व के कालागढ़ इलाके में बनाया जा रहा है. ये वही इलाका है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 मेंडिस्कवरी चैनल के एक कार्यक्रम के लिए शूटिंग में हिस्सा लिया था. प्रधानमंत्री ने ही इस इलाके में नई सफारी शुरू करने का सुझाव दिया था.
इसके तुरंत बाद ही उत्तराखंड सरकार ने सफारी पर काम करना शुरू कर दिया. सिर्फ 163 पेड़ काटने के आश्वासन पर केंद्र से अनुमति भी मिल गई. लेकिन अगस्त 2021 में एक्टिविस्ट और सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक अपील दायर की जिसमें उन्होंने दावा किया कि सफारी के लिए कॉर्बेट में 10,000 पेड़ काटे गए हैं.
क्या हो रहा है कॉर्बेट में
अदालत ने जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को इस मामले की जांच करने के लिए कहा तब प्राधिकरण ने एक जांच समिति बनाई. समिति ने इलाके का दौरा किया और अक्टूबर 2021 में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि समिति ने हजारों पेड़ों के काटे जाने के दावों को सही ठहराया और उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की.
वन विभाग ने इन दावों का खंडन किया था. अब वन सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में उन्हीं दावों की पुष्टि कर दी गई है लेकिन वन विभाग ने इस रिपोर्ट को भी स्वीकार नहीं किया है और सर्वेक्षण विभाग से पूछा है कि वो विस्तार से बताए कि ये आंकड़े किस आधार पर दिए गए हैं.
हालांकि वन विभाग ने कॉर्बेट में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के लिए अप्रैल 2022 में दो आईएफएस अफसरों को निलंबित कर दिया था और कॉर्बेट के निदेशक का तबादला कर दिया था. अगस्त 2022 में राज्य सरकार के विजिलेंस विभाग ने इन सबके खिलाफ मामला भी दर्ज किया.
राजसी बाघ की अद्भुत दुनिया
सुंदरता और सिहरन को एक साथ महसूस करना हो तो बाघ को देखिये. भारत का यह राष्ट्रीय पशु यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है. एक नजर बाघों के दुनिया पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Lomka
सबसे बड़ी बिल्ली
बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है. वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है. WWF के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.v. Erichsen
ताकतवर और फुर्तीला
बाघ शिकार करने के लिए बना है. उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते हैं. बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है. एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/N. Armer
अकेला जीवन
बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं. हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है. लेकिन उसके बाद बच्चे अपना अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं. लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है. एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है.
बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है. बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं. लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है. बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है.
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/W. Layer
सिकुड़ता आवास
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1,00,000 बाघ थे. वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे. लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3,000 से 4,000 बाघ ही बचे हैं. बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं. यह तस्वीर जावा में पाये जाने वाले बाघ की है.
तस्वीर: public domain
क्यों घटे बाघ
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया. जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली. दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया. इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है.
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढ़ने से डूब रहा है. इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है. WWF के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Chowdhury
कैसे बचेंगे बाघ
माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है. संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं. 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है. 2019 में भारत में करीब 3000 बाघ हैं.