ऑस्ट्रेलिया की पुलिस योजना को पैसिफिक नेताओं का समर्थन
२९ अगस्त २०२४
पैसिफिक देशों में प्रशिक्षण के लिए ऑस्ट्रेलिया की पुलिस की तैनाती की योजनाओं को पैसिफिक आईलैंड्स फोरम में समर्थन मिला है. इसे चीन के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
विज्ञापन
ऑस्ट्रेलिया प्रशांत महासागर में स्थित देशों की पुलिस को ट्रेनिंग और सुविधाएं मुहैया कराना चाहता है, जिसका पैसिफिक आईलैंड्स फोरम के कई सदस्यों ने समर्थन किया है. इसके लिए ऑस्ट्रेलिया 27.1 करोड़ डॉलर खर्च करेगा, जिसका उद्देश्य पुलिस प्रशिक्षण में सुधार करना और एक मोबाइल रीजनल पुलिसिंग इकाई बनाना है. यह योजना चीन की सुरक्षा क्षेत्र में भूमिका का विस्तार रोकने के लिए पश्चिमी देशों के प्रयासों का हिस्सा है.
टोंगा, फिजी, पलाऊ और पापुआ न्यू गिनी के नेताओं ने कहा कि यह कार्यक्रम द्वीप राष्ट्रों को नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और आर्थिक अपराधों से निपटने में मदद करेगा, जो कि लाखों वर्ग किलोमीटर के महासागर में फैले इस क्षेत्र में हो रहे हैं.
पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने बुधवार को टोंगा में पत्रकारों से कहा, "पूरा पैसिफिक ग्रह का सबसे बड़ा अप्रशिक्षित क्षेत्र है. पापुआ न्यू गिनी, ऑस्ट्रेलिया की सहायता से, पैसिफिक पुलिसिंग इनिशिएटिव के तहत क्षेत्र में बनाए जाने वाले चार पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों में से पहले केंद्र का मेजबान होगा.”
इस पहल के तहत एक बहुराष्ट्रीय पुलिस बल का गठन किया जाएगा, जिसे क्षेत्र के देशों में बड़े हादसों या संकट के समय तैनात किया जा सकेगा.
ऑस्ट्रेलिया से वित्तीय समर्थन
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने कहा कि इस योजना के तहत ब्रिसबेन में एक समन्वय केंद्र स्थापित किया जाएगा. इस पर टोंगा में पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के दौरान सहमति बनी.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पुलिस बलों ने ऐतिहासिक रूप से संकटों के समय इस क्षेत्र में मदद की है, लेकिन नए मॉडल से पैसिफिक आइलैंड्स को अधिक भूमिका निभाने की क्षमता मिलेगी.
चीन की पांडा-डिप्लोमेसी
चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग ऑस्ट्रेलिया गए तो उन्होंने पांडा भेजने का वादा किया. मूल रूप से चीन में पाए जाने वाले पांडा उसके के लिए कूटनीति का एक औजार रहे हैं. देखिए, कैसे काम करती है चीन की पांडा-कूटनीति.
तस्वीर: Roshan Patel/picture alliance/dpa
क्या है चीन की पांडा डिप्लोमेसी?
पांडा भालू चीन में ही पाए जाते हैं. अक्सर चीन इन्हें विदेशों को तोहफे में देता है. इसे चीन की तरफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाने के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.
तस्वीर: Asanka Ratnayake/POOL/AFP/Getty Images
कब शुरू हुई यह कूटनीति?
1949 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद से ही चीन ने पांडा कूटनीति का इस्तेमाल किया है. 1957 में चीनी नेता माओ त्से तुंग ने सोवियत संघ की 40वीं वर्षगांठ पर पांडा भेंट किए थे. 1972 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चीन की ऐतिहासिक यात्रा पर गए थे, तो उन्हें भी पांडा भेंट किए गए.
तस्वीर: Asanka Ratnayake/POOL/AFP/Getty Images
अब उपहार नहीं
1984 के बाद चीन ने पांडा उपहार में देना बंद कर दिया क्योंकि उनकी आबादी घट रही थी. अब ये विदेशी चिड़ियाघरों को उधार पर दिए जाते हैं. अक्सर यह उधार 10 साल के लिए होता है और एक जोड़ा पांडा एक साल रखने के लिए चीन 10 लाख डॉलर तक लेता है.
तस्वीर: Asanka Ratnayake/POOL/AFP/Getty Images
खुश करने के लिए
2013 में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन में कहा था कि चीन पांडा कूटनीति का इस्तेमाल व्यापारिक साझीदारों को खुश करने के लिए करता है. जैसे कि कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया को जब पांडा उपहार में दिए गए तो उस वक्त उन देशों से चीन ने यूरेनियम को लेकर समझौता किया था.
तस्वीर: Bernd Wüstneck/dpa/picture alliance
नाराजगी जाहिर करने के लिए
2010 में चीन ने अमेरिका में जन्मे दो पांडा, ताई शान और माई लान को वापस बुला लिया. उसके बाद उसने तत्कालीन अमरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की तिब्बत के नेता दलाई लामा के साथ मुलाकात पर आपत्ति जताई.
तस्वीर: Roshan Patel/picture alliance/dpa
बढ़ रही है आबादी
एक वक्त चीन में पांडा की प्रजाति खतरे में पड़ गई थी. लेकिन पिछले सालों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है. 1980 के दशक में वहां 1,100 पांडा थे जो 2023 में बढ़कर 1,900 हो गए. अन्य देशों में फिलहाल 728 पांडा हैं.
तस्वीर: Roshan Patel/picture alliance/dpa
6 तस्वीरें1 | 6
अल्बानीजी ने कहा, "संप्रभु राष्ट्र यह तय करेंगे कि वे इसमें कैसे भाग लेंगे, लेकिन यह प्रक्रिया पैसिफिक पुलिस और देशों के पुलिस प्रमुखों के नेतृत्व में चल रही है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया से वित्तीय समर्थन मिला है." उन्होंने कहा कि एक साथ काम करने से पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और मजबूत होगी और हमारी ही निगरानी में रहेगी.
पलाऊ के राष्ट्रपति सुरंगेल व्हिप्स जूनियर ने कहा कि पिछले साल उनके देश, जो कि ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले तीन पैसिफिक देशों में से एक है, पर तीन बड़े साइबर सुरक्षा हमले हुए थे, और यह पहल "हम सभी को मिलकर हमारे सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों को हल करने का प्रयास है."
विज्ञापन
चीन को झटका
टोंगा के प्रधानमंत्री सियाओसी सोवालिनी ने कहा कि 18 देशों वाले पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के सदस्य यह तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे इसमें कैसे भाग लेंगे. इससे पहले, वानुआतु और सोलोमन आइलैंड्स के राजनयिकों ने इस पर संदेह जताया था. दोनों देशों के चीन से गहरे संबंध हैं. हालांकि अल्बानीजी ने बाद में मीडिया को बताया कि बुधवार की बैठक में सोलोमन आइलैंड्स ने इसका समर्थन किया.चीन इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर कर्ज बांटता रहा है और अब पुलिसिंग में अधिक भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है.
27 सालों में डूब जाएगा इस द्वीप का बड़ा हिस्सा
प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप तुवालु जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील देशों में से है. तुवालु ने जलवायु परिवर्तन और प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए हैं.
तस्वीर: Mario Tama/Getty Images
दक्षिणी प्रशांत का छोटा सा देश
तुवालु ऑस्ट्रेलिया और हवाई के ठीक बीच में स्थित है. यह मात्र 26 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहां करीब 11,200 लोग रहते हैं. समुद्र में जब ज्वार भाटाएं आती हैं तो इस द्वीप के मुख्य भूभाग का करीब 40 प्रतिशत इलाका समुद्र के नीचे डूब जाता है.
तस्वीर: Mario Tama/Getty Images
जलवायु परिवर्तन का खतरा
अनुमान है कि 2050 तक इसकी राजधानी फुनाफुटी का आधा हिस्सा डूब जाएगा. इन हालात की तैयारी करने के लिए तुवालु ने ऑस्ट्रेलिया के साथ "फलेपी यूनियन" संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत समुद्र से जमीन लेकर फुनाफुटी के क्षेत्रफल को करीब छह प्रतिशत बढ़ाने के लिए 1.69 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर मिलेंगे. इस जमीन पर नए घर बनेंगे.
तस्वीर: Mario Tama/Getty Images
मिलेगी सुरक्षा
तुवालु उन 42 देशों के समूह का सदस्य है जिन पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर का सबसे ज्यादा खतरा है. इस संधि के तहत ऑस्ट्रेलिया तुवालु की बड़ी प्राकृतिक आपदाओं, महामारी और सैन्य आक्रमणों के दौरान भी सहायता करेगा.
तस्वीर: Mario Tama/Getty Images
दुनिया को संदेश
तुवालु के जोखिम भरे हालात ने उसे जलवायु परिवर्तन की राजनीति के केंद्र में ला दिया है. 2021 में उस समय के विदेश मंत्री साइमन कोफे ने संयुक्त राष्ट्र के कोप26 सम्मेलन को ऐसी जगह पर घुटनों तक गहरे पानी में खड़े रह कर संबोधित किया था जो पहले पानी के ऊपर थी.
तस्वीर: Tuvalu Foreign Ministry/REUTERS
कैसे बचेगी पहचान
2021 में तुवालु ने कहा था कि बढ़ता समुद्र अगर पूरे देश को ही निगल गया तो वो एक राष्ट्र के तौर पर अपनी मान्यता और अपने आर्थिक समुद्री इलाके को बरकरार रखने के तरीके तलाश रहा है. अब इस संधि के तहत ऑस्ट्रेलिया एक विशेष वीजा कार्यक्रम के तहत हर साल इस द्वीप राष्ट्र के 280 लोगों को ऑस्ट्रेलिया प्रवास करने की इजाजत देगा.
तस्वीर: Mick Tsikas/AAP/AP/picture alliance
चीन से चिंता
2019 में तुवालु ने कृत्रिम द्वीप बनाने के चीनी कंपनियों के प्रस्तावों को ठुकरा दिया था. यह उन 13 देशों में से थे जिनके ताइवान के साथ आधिकारिक रूप से कूटनीतिक रिश्ते हैं, जिस वजह से चीन से उसके रिश्ते अच्छे नहीं हैं. प्रधानमंत्री कौसेया नतानो पिछले साथ ताइवान गए थे और वहां "मजबूती से" चीन के साथ खड़े होने का वादा किया था. (रॉयटर्स)
तस्वीर: Susan Walsh/AP/picture alliance
6 तस्वीरें1 | 6
ऑस्ट्रेलिया ने पहले कहा था कि पैसिफिक आइलैंड्स में पुलिसिंग के लिए चीन की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए, इसके बाद चीन ने जनवरी में कहा था कि उसके पास द्वीप राष्ट्रों को सुरक्षा में मदद करने की एक रणनीति है. बुधवार की पहल का उद्देश्य इस क्षेत्र के देशों की चीन की मदद पर निर्भरता को कम करना है. चीन पहले से ही सोलोमन आइलैंड्स और किरिबाती में पुलिस योजना चला रहा है.
वानुआतु और सोलोमन आइलैंड्स ने चिंता जताई कि यह पुलिसिंग योजना एक "भू-रणनीतिक सुरक्षा सिद्धांत" का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे चीन को बाहर करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बुधवार को बीजिंग में एक समाचार ब्रीफिंग में कहा कि पैसिफिक आइलैंड देशों के साथ चीन का पुलिसिंग सहयोग सामान्य है और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है. उन्होंने कहा, "यह किसी तीसरे पक्ष पर लक्षित नहीं है और न ही इससे संबंधित है."
अमेरिका का समर्थन
अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया की इस योजना का समर्थन किया है. टोंगा में पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के दौरान अमेरिकी शीर्ष राजनयिक कर्ट कैंपबेल ने कहा कि अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के आग्रह पर वैसी ही अपनी योजना को छोड़ दिया है.
कैंपबेल ने एक रिपोर्टर द्वारा फिल्माए गए एक संवाद में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी से कहा, "हमने आपको रास्ता दे दिया है, तो अब आप इस पर चलें."
इस पर अल्बानीजी ने हंसते हुए जवाब दिया, "आप चाहे तो खर्च का आधा हिस्सा उठा सकते हैं. आपको थोड़ी ही लागत आएगी."
किससे व्यापार करता है चीन
चीन को व्यापारिक साझीदार बनाने में अमेरिका और रूस से लेकर भारत तक हर तरफ झिझक दिखाई देती है. तो चीन व्यापार करता किससे है? देखिए, चीन सबसे ज्यादा निर्यात किसे करता है.
तस्वीर: AFP
सबसे ज्यादा निर्यात
2023 में चीन ने सबसे ज्यादा निर्यात आसियान देशों को किया है. कुल 523.7 अरब डॉलर का निर्यात हुआ. हालांकि यह 2022 से पांच फीसदी कम था.
तस्वीर: AFP
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ में चीन पर और ज्यादा पाबंदियां लगाने पर चर्चा हो रही है. 2023 में उसने चीन से 501.2 अरब डॉलर का आयात किया था. हालांकि 2022 से 10.2 फीसदी कम था.
तस्वीर: Ludovic Marin/AP/picture alliance
अमेरिका
अमेरिकी व्यापारिक जगत में चीन का सबसे बड़ा विरोधी दिखाई देता है. लेकिन 2023 में उसने 500.3 अरब डॉलर का आयात किया था. यह 2022 से 13 फीसदी कम था.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance
हांग कांग
एक इलाके के तौर पर चीन से आयात के मामले में हांग कांग चौथे नंबर पर रहा. उसने 274.6 अरब डॉलर का आयात किया. यह 2022 से 6.3 फीसदी कम था.
तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO
जापान
जापान और चीन के बीच राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के बावजूद जापान चीन का पांचवां सबसे बड़ा आयातक रहा. उसने 157 अरब डॉलर का आयात किया. 2022 के मुकाबले यह 8.4 फीसदी कम था.
तस्वीर: Yomiuri Shimbun via AP Images/picture alliance
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया ने 2023 में चीन से 149 अरब डॉलर का सामान आयात किया था जो 2022 के मुकाबले 7.2 फीसदी कम था.
तस्वीर: Kyodo/picture alliance
भारत
भारत और चीन के रिश्तों में भले ही तनाव हो, व्यापार पर इसका असर दिखाई नहीं देता. 2022 के मुकाबले 2023 में आयात 0.8 फीसदी बढ़कर 117.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
तस्वीर: GIANLUIGI GUERCIA/AFP
रूस
2023 में रूस ने ही चीन के निर्यात को नेगेटिव होने से बचाया. 2022 के मुकाबले चीन से उसका आयात 46 फीसदी बढ़कर 111 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
तस्वीर: Vladimir Smirnov/dpa/TASS/picture alliance
8 तस्वीरें1 | 8
इस योजना के तहत, विभिन्न पैसिफिक आइलैंड्स देशों से चुने गए लगभग 200 अधिकारियों का एक समूह क्षेत्रीय संवेदनशील और आपदा क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर और आमंत्रित किए जाने पर तैनात किया जा सकता है.
ऑस्ट्रेलियाई नेता ने फिजी, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी और टोंगा के नेताओं के साथ खड़े होकर इस योजना की घोषणा की, जो इस क्षेत्र में चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा से प्रभावित एकजुटता का प्रतीक था.
चीन ने 2022 में पैसिफिक आईलैंड्स फोरम के साथ एक क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा था. इसके बाद से उसने कुछ कमजोर पैसिफिक पुलिस बलों को मार्शल आर्ट्स प्रशिक्षण और चीनी निर्मित वाहनों के बेड़े प्रदान किए हैं.