पहली बार अपने चंद्रयान को चांद पर उतारने के लिए अमेरिकी अंतरिक्षयात्रियों ने जिन दिशानिर्देशों को अपनाया था उन तीन पन्नों के दस्तावेज की बोली 1 लाख 75 हजार डॉलर में लगी है.
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20 जुलाई 1969 को जब अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने अपने चंद्रयान 'अपोलो 11' को पहली बार चांद पर उतारा तो उससे जुड़े कंप्यूटर प्रोसेसर के एक एक कदम का ब्यौरा 3 पन्नों में विस्तार से लिखा गया था. इन निर्देशों का पालन करते हुए ये अंतरिक्षयात्री सफलतापूर्वक चांद पर उतरने में कामयाब हुए.
चांद पर बस्ती की तैयारी
चांद पर घर बनाना अब सपना नहीं रहा. यूरोपीय स्पेस एजेंसी 2020 तक चांद पर मानव बस्ती बसाने की योजना में लगी है...
तस्वीर: ESA
नया रिहायशी ग्रह
यूरोपीय स्पेस एजेंसी चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बनाने के लिए सैकड़ों वैज्ञानिकों को एक साथ ला रही है. पृथ्वी के सबसे करीबी और सबसे ठंडे ग्रह को पृथ्वी से बाहर जीवन के लिए उपयुक्त माना जा रहा है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी की योजना मंगल पर जीवन बसाने की है.
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कैसे होगी 2020 में शुरुआत?
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का मानना है कि चंद्रमा पर अगले पांच सालों में रिसर्च स्टेशन की स्थापना की जा सकेगी. उन्होंने इस बारे में प्लान भी तैयार किया है जिसके मुताबिक चंद्रमा पर जाकर मनुष्य की सुविधाओं का इंतजाम रोबोट संभालेगा.
तस्वीर: ESA
मंगल की तरफ कदम
एयरोस्पेस कंपनी स्पेस नेक्स्टजेन की चंद्रमा पर ईंधन स्टेशन बनाने की योजना है. इसकी मदद से मंगल पर जाने के खर्च को 10 अरब अमेरिकी डॉलर तक कम किया जा सकेगा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी का यह भी मानना है कि चंद्रमा पर रहने के लिए सारी जरूरी सामग्री चंद्रमा की ही धरती पर मौजूद है.
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3डी प्रिंटिग तकनीक
यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने ब्रिटिश कंपनी फॉस्टर + पार्टनर्स को रिसर्च सेंटर के ऐसे ढांचे तैयार करने का काम सौंपा है जिस पर बाहरी ऊल्कापिंडों और अंतरिक्ष के विकिरण का असर ना पड़े. इस सबका निर्माण 3डी प्रिंटिंग तकनीक की मदद से होगा.
तस्वीर: ESA
जटिल लक्ष्य
चंद्रमा की धरती पर मौजूद स्रोतों से वैज्ञानिक ऊर्जा के उत्पादन में कामयाबी हासिल कर चुके हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्रोजेक्ट की कामयाबी से सोलर सिस्टम में और बड़े स्तर पर रिसर्च में मदद मिलेगी. क्योंकि अगला लक्ष्य यानि मंगल ग्रह, और भी जटिल होने वाला है.
तस्वीर: ESA
लाल ग्रह पर जीवन का लक्ष्य
नासा की योजना मंगल पर मानव अस्तित्व का आधार खोजने की है. यह मंगल का वह इलाका होगा जहां से पानी और बर्फ का स्रोत दूर ना हो. बर्फ का होना अनिवार्य है क्योंकि इससे पानी और ऑक्सीजन का उत्पादन भी किया जा सकता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Nasa
बंजर धरती पर जीवन
बाद में मंगल पर भेजा जाने हर वाला अंतरिक्ष यात्री वहां करीब 500 दिन बिताएगा. वहां वे ऑक्सीजन, भोजन और ईंधन बनाने की हालत में होने चाहिए. मंगल के वायुमंडल में ज्यादातर कार्बन डाय ऑक्साइड है. मंगल पर रहने वालों को वहां फसल उगाने की स्थिति में भी होना चाहिए.
तस्वीर: Bryan Versteeg/Mars One
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बीते शुक्रवार डलास में हेरिटेज ऑक्शंस ने ऐतिहासिक बन गए इन तीन पन्नों के दस्तावेज की नीलामी की. हेरिटेज ऑक्शंस का कहना है इस नीलामी में यह दस्तावेज 175000 डॉलर में बिका और खरीदने वाले शख्स ने अपने नाम को गुप्त रखा है.
अमेरिका में मौजूद हैरिटेज ऑक्शंस दुनियाभर की ऐतिहासिक विरासतों की नीलामी करने वाली कंपनी है. हेरिटेज का कहना है कि ये पन्ने एस्ट्रोनॉट बज एल्ड्रिन के निजी संग्रह का हिस्सा थे. हेरिटेज से जुड़े माइकल राइली कहते हैं, ''ये पन्ने मानव के पहली बार चांद पर उतरने के अनुभव के अद्भुत दस्तावेज हैं. इन्होंने ही हमें पृथ्वी से बाहर पहला वास्तविक कदम निकालने के लिए निर्देशित किया.''
अपोलो 11 पहला ऐसा अंतरिक्ष विमान था जिसकी मदद से मानव ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा. यान के सतह पर उतरने के 6 घंटे बाद पहले नील आर्मस्ट्रांग विमान से चंद्रमा की जमीन पर उतरे. इसके 20 मिनट बाद एल्ड्रिन ने भी बाहर कदम रखा. इन यात्रियों ने चंद्रमा की सतह पर सवा दो घंटा बिताया. इस दौरान इन्होंने चंद्रमा की सतह से 21.5 किलोग्राम खनिज वापस पृथ्वी पर लाने लिए इकट्ठा किया. अभियान के तीसरे सदस्य माइकल कोलिंस चंद्रमा के बाहर अकेले इन दोनों यत्रियों का इंतजार कर रहे थे.
आरजे/एमजे (एपी)
कोई है? धरती कहे पुकार के
मशहूर ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने सिलिकॉन वैली के रूसी अरबपति यूरी मिलनर के साथ मिलकर एक अनोखा अभियान शुरू किया है. वे जानना चाहते हैं कि क्या ब्रह्मांड में हम पृथ्वीवासियों के अलावा कोई अलौकिक जीव भी है.
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'ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट' के तहत धरती के सबसे बड़े टेलीस्कोपों, लेजर और रेडियो सिग्नलों का इस्तेमाल कर, 10 सालों तक, करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च. प्रोफेसर हॉकिंग का मानना है कि ब्रह्मांड के कई हिस्सों में जीवन है. केवल ग्रहों पर ही नहीं, बल्कि तारों या फिर ग्रहों के बीच की जगह में भी.
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क्या ऐसे अलौकिक जीव या एलियन वाकई होते है? इस पर जाने माने भौतिकशास्त्री प्रोफेसर हॉकिंग तो हां ही कहेंगे. हॉकिंग हमेशा से मानते आए हैं कि हमारे ग्रहों से बाहर एलियन्स हैं लेकिन पहले वे उनके साथ संपर्क साधने को बेदह खतरनाक बताते थे.
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ब्रह्मांड में करीब 100 अरब गैलेक्सियों का अनुमान है. हर गैलेक्सी में लाखों तारे होते हैं. ऐसे में यह मान कर बैठना तो नासमझी ही होगी कि इतनी बड़ी जगह में केवल एक धरती पर ही जीवन हो. यूनिवर्स की रचना के बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार एक विशाल विस्फोट के बाद सौर मंडल के तमाम ग्रह अस्तित्व में आए.
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इंसान के लिए अंतरिक्ष रहस्यों का खजाना है. कहानियों, फिल्मों में दूसरे ग्रह से आए जीवों से लेकर उड़नतश्तरियों का जिक्र होता है लेकिन इनके साक्ष्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिक तमाम परीक्षण और गणनाएं करते हैं.
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दक्षिण अफ्रीका में लगे दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे की मदद से हजारों मील दूर तारों को करीब से देखा जा सकता है. इसके अलावा प्रोजेक्ट वैज्ञनिकों का मानना है कि अगर अंतरिक्ष में कहीं कोई जीव हैं और वे अपने संकेत छोड़ रहे हैं तो उसकी पहचान ऐरे के शक्तिशाली एंटीने कर लेंगे.
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कई दशकों से वैज्ञानिक पृथ्वी से बाहर किसी एलीयन के संदेशों को सुनने की कोशिश करते आए हैं. अमेरिकी एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स ने यह सुझाया कि उनसे संपर्क साधने के लिए हमें खुद पृथ्वी से उन्हें शक्तिशाली सिग्नल भेजने चाहिए. यही कैलिफोर्निया के सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरिस्ट्रियल इंटेलीजेंस (सेटी) के 'एक्टिव सेटी' प्रोजेक्ट का आधार है.
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सेटी रिसर्चरों का मानना है कि अंतरिक्षविज्ञानियों का तारों की ओर अपने रेडियो टेलीस्कोप साधे हुए वहां से आने वाले सिग्नलों की राह देखना काफी नहीं. एक्टिव सेटी प्रोजेक्ट के तहत उन लाखों तारा समूहों, गैलेक्टिक केंद्रों, धरती के सबसे पास के करीब 100 गैलेक्सियों और पूरी आकाशगंगा में सिग्नल भेजे जाएंगे, जहां जीवन की संभावना हो सकती है.
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साल 1977 में दो वोयाजर स्पेसक्राफ्ट पर फोनोग्राफ रिकॉर्ड रख कर भेजे गए जिनमें धरती के कुछ चुनिंदा दृश्य और आवाजें थीं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2008 में बीटल्स के मशहूर गाने "एक्रॉस दि यूनिवर्स" को धरती से 430 प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारे नॉर्थ स्टार तक भेजा था.
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फिल्मों के मशहूर एलियन किरदार ईटी और किंग कॉन्ग की रचना करने वाले इटली के स्पेशल इफेक्ट के जादूगर कार्लो रांबाल्दी ने इसके लिए तीन ऑस्कर पुरस्कार जीते. रांबाल्दी को 1982 में स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ईटी (एक्स्ट्रा टेरेसट्रियल) से बेशुमार शोहरत मिली और दुनिया को एलियनों का एक चेहरा ईटी मिला.