शतरंज ओलंपियाड की मशाल के कश्मीर से होकर गुजरने का विरोध करते हुए पाकिस्तान ने अपनी टीम को प्रतियोगिता से बाहर निकाल लिया है. भारत ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
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भारत में शतरंज ओलंपियाड की शुरुआत धूमधाम से हुई लेकिन शुरुआत से पहले ही राजनीति प्रतियोगिता के आड़े आ गई. पाकिस्तान ने प्रतियोगिता की मशाल को कश्मीर ले जाए जाने का विरोध किया है.
मशाल को प्रतियोगिता शुरू होने से पहले 75 भारतीय शहरों से ले जाया गया था. 21 जून को मशाल श्रीनगर से हो कर गुजरी थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे कश्मीर के "विवादित" दर्जे की उपेक्षा" बताया है और कहा है कि "अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे स्वीकार नहीं कर सकता."
दो ही दिनों पहले पाकिस्तान के शतरंज संघ ने घोषणा की थी कि देश की तरफ से 10 खिलाड़ियों की एक टीम प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक टीम प्रतियोगिता में हिस्सा लेने चेन्नई पहुंच भी गई थी और होटल में इंतजार कर रही थी, लेकिन इस फैसले के बाद पाकिस्तानी टीम उद्घाटन समारोह में भी भाग नहीं ले पाई.
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भारत पहली बार शतरंज ओलंपियाड की मेजबानी कर रहा है. प्रतियोगिता तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 50 किलोमीटर दूर मामल्लपुरम में आयोजित की जा रही है. गुरुवार 28 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेन्नई में प्रतियोगिता का उद्घाटन किया.
उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि यह पहली बार है जब शतरंज ओलंपियाड का उस जगह आयोजन किया जा रहा है जहां इस खेल का जन्म हुआ था.
भारत ने पाकिस्तान के इस कदम को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "पाकिस्तान के इस तरह के बयान दे कर एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का राजनीतिकरण करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है."
बागची ने यह भी कहा कि जहां तक जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तान की दलीलों का सवाल है, "जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश हमारे रहे हैं और भारत के अभिन्न हिस्सा रहेंगे."
इन देशों के बीच छिड़ा हुआ है सीमा विवाद
एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन - दशकों से भारत सीमा विवाद में उलझा हुआ है. भारत की ही तरह दुनिया में और भी कई देश सीमा विवाद का सामना कर रहे हैं.
अर्मेनिया और अजरबाइजान
इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो काराबाख नाम के इलाके को ले कर विवाद है. यह इलाका यूं तो अजरबाइजान की सीमा में आता है और अंतरराष्ट्रीय तौर पर इसे अजरबाइजान का हिस्सा माना जाता है. लेकिन अर्मेनियाई बहुमत वाले इस इलाके में 1988 से स्वतंत्र शासन है लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है.
तुर्की और ग्रीस
इन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह जमीन नहीं, बल्कि पानी है. ग्रीस और तुर्की के बीच भूमध्यसागर है. माना जाता है कि इस सागर के पूर्वी हिस्से में दो अरब बैरल तेल और चार हजार अरब क्यूबिक मीटर गैस के भंडार हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार चाहते हैं.
इस्राएल और सीरिया
1948 में इस्राएल के गठन के बाद से ही इन दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. सीमा विवाद के चलते ये दोनों देश तीन बार एक दूसरे के साथ युद्ध लड़ चुके हैं. सीरिया ने आज तक इस्राएल को देश के रूप में स्वीकारा ही नहीं है.
चीन और जापान
इन दोनों देशों के बीच भी सागर है जहां कुछ ऐसे द्वीप हैं जिन पर कोई आबादी नहीं रहती है. पूर्वी चीन सागर में मौजूद सेनकाकू द्वीप समूह, दियाऊ द्वीप समूह और तियायुताई द्वीप समूह दोनों देशों के बीच विवाद की वजह हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार जताते हैं.
तस्वीर: DW
रूस और यूक्रेन
वैसे तो इन दोनों देशों का विवाद सौ साल से भी पुराना है लेकिन 2014 से यह सीमा विवाद काफी बढ़ गया है. यूक्रेन सीमा पर दीवार बना रहा है ताकि रूस के साथ आवाजाही पूरी तरह नियंत्रित की जा सके. इस दीवार के 2025 में पूरा होने की उम्मीद है.
चीन और भूटान
भूटान की सीमा तिब्बत से लगती थी लेकिन 1950 के दशक के अंत में जब चीन ने इसे अपना हिस्सा घोषित कर लिया, तब से चीन भूटान का पड़ोसी देश बन गया. चीन भूटान के 764 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है.
चीन और भारत
भारत और चीन के बीच 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है जिस पर कई झीलें और पहाड़ हैं. इस वजह से नियंत्रण रेखा को ठीक से परिभाषित करना भी मुश्किल है. हाल में गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच जो झड़प हुई वह पिछले कई दशकों में इस सीमा विवाद का सबसे बुरा रूप रहा.
पाकिस्तान और भारत
1947 में आजादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद की वजह बना हुआ है. इतने साल बीत जाते के बाद भी दोनों देश इस मसले को सुलझा नहीं पाए हैं. भारत इसे द्विपक्षीय मामला बताता है और वह किसी भी तरह का अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप नहीं चाहता है.