भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच मंगलवार को जल विवाद पर लाहौर में एक बैठक हुई जो दोनों देशों के बीच लंबे अरसे बाद हुआ राजनयिक संपर्क है.
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भारत का दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को पाकिस्तानी अधिकारियों से मिला. यह भारतीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को ही लाहौर पहुंचा था. आमतौर पर यह सालाना बैठक राजधानी में होती है.
स्थानीय मीडिया ने कहा कि बातचीत के दौरान पाकिस्तान ने भारत द्वारा 10 पन-बिजली परियोजनाओं के निर्माण पर आपत्ति दर्ज की. पाक अधिकारियों ने कहा कि बांध बनाने से पाकिस्तान में पानी का बहाव कम होगा जो सिंधु जल संधि का उल्लंघन है.
विश्व बैंक की मदद से 1960 में यह संधि दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर हुई थी. यह समझौता दोनों पड़ोसियों की छह नदियों के पानी का बंटवारा तय करता है. इस समझौते के तहत भारत को पूर्व की सतलुज, ब्यास और रावी नदियों से पानी लेने का अधिकार है जबकि पश्चिम की सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक है. हालांकि, इस समझौते को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच असहमतियां और मतभेद भी रहे हैं.
पहली बार महिलाएं भी
भारतीय प्रतिनिधिमंडल को जनवरी में ही पाकिस्तान जाना था, लेकिन कोविड-19 के कारण लगीं पाबंदियों के चलते भारत ने इस बैठक को स्थगित करने का आग्रह किया था. भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में तीन महिला अधिकारी शामिल हैं. 1960 में समझौता होने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रतिनिधिमंडल में तीन महिलाएं हैं.
दुनिया भर में पानी पर झगड़े
कहीं देशों के बीच की सीमा तो कहीं नदियों के पानी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहे हैं. जानिए ऐसे देशों के बारे में जहां जलवायु परिवर्तन के कारण पानी पर संकट और गहरा गया है और उसे लेकर हो रही हिंसा में जानें जा रही हैं.
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कहां कहां है पानी पर विवाद
शोध दिखाते हैं कि पिछले दस सालों में विश्व भर में पानी को लेकर विवाद उसके पहले के दशक के मुकाबले दोगुने हो गए हैं. कुछ जगहों पर पानी को लेकर ही मूल विवाद हुआ लेकिन ज्यादातर दूसरे मामलों में इलाके में गरीबी, असमानता, भूख जैसी समस्याओं ने पानी के संकट में आग में घी डालने का काम किया.
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ईरान: देश एक मसले अनेक
बढ़ती जनसंख्या, फैलते शहर, प्रबंधन और अच्छा बुनियादी ढांचा ना होने के कारण ईरान में पानी का संकट गहरा रहा है. पड़ोसी अफगानिस्तान के साथ हेलमंद नदी का पानी साझा करने को लेकर भी कलह है. अफगानिस्तान में 2021 में बने कमाल खान बांध को लेकर भी ईरान को खास समस्या है, क्योंकि इससे उसे अपने एक प्रांत में पानी का बहाव रुकने का डर है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच समस्या
दोनों पड़ोसी देशों से होकर बहने वाली सिंधु नदी को लेकर दोनों देशों ने 1960 में ही एक इंडस वॉटर्स ट्रीटी नाम का समझौता कर नदी और उसकी सहायक नदियों को लेकर अपने अधिकार बांट लिए थे. लेकिन हाल के सालों में उसे लेकर फिर विवाद पैदा हो गया जब पाकिस्तान ने कश्मीर विवाद के चलते भारत पर उसका पानी रोकने का आरोप लगाया.
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भारत की घरेलू चिंताएं
भारत जैसे विशाल देश के भीतर भी सिंधु नदी के पानी से लेकर कई और जगहों पर मसले हैं. इसके कारण पूरे भारत के अलग अलग हिस्सों में सूखा पड़ता रहता है. मानसून का देर से आना इसे और गहरा देता है. अनुमान है कि 2030 तक भारत की 40 फीसदी आबादी को पीने के पानी के लाले पड़ सकते हैं.
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नाइजीरिया में हिंसा
नाइजीरिया में आतंकी गुट बोको हराम के साथ लड़ाई में मरने वालों से ज्यादा लोग पानी को लेकर होने वाली हिंसा में मारे गए. उत्तरी नाइजीरिया में सरकार से गुट की कई मांगों में से एक साफ पानी मुहैया कराना है. कम बारिश होने पर अगर मुस्लिम चरवाहे अपने मवेशियों को चराने ईसाई जमींदारों की जमीन पर चले जाएं तो बवाल होता है.
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माली में पानी पर हिंसा
यहां किसान और चरवाहे पानी और जमीन को लेकर लड़ते आए हैं, जिसकी वजह उनके बीच का जातीय विवाद और बढ़ती जनसंख्या का दबाव भी है. 2019 में इसके चलते इनर नाइजर डेल्टा में सामूहिक हत्याकांड हो गया. माली के केंद्र में सरकार की बांध बनाने की योजना है जिसका असर दस लाख से अधिक किसानों, चरवाहों और मछुआरों पर पड़ने का डर है.
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इराक की समस्या के कई पहलू
इराक में पानी का संकट काफी जटिल है. सूखा और साल दर साल कम होती बारिश तो है ही, लगातार बदलते मौसम और प्रदूषण का भी उसमें हाथ है. देश को अपने पानी के भंडार का ठीक से प्रबंधन ना करने के कारण कई बार आलोचना झेलनी पड़ी है. 2019 में तो प्रधानमंत्री को विरोध प्रदर्शनों के चलते इस्तीफा देना पड़ा, जिसमें मुख्य मुद्दा बिजली और साफ पानी की कमी का भी था.
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प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम और विदेश मंत्रालय से संबंधित, भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना के सलाहकार शामिल हैं. पाकिस्तान के एक अधिकारी के मुताबिक बैठक में मौसम के दौरान बाढ़ के प्रवाह के बारे में अग्रिम सूचना के आदान-प्रदान, सतलुज नदी में पानी का मुक्त प्रवाह बनाए रखने और भविष्य के कार्यक्रमों, बैठकों, दौरों और निरीक्षणों को अंतिम रूप देने की व्यवस्था पर चर्चा हुई.
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संबंधों में नरमी
भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के विभिन्न मुद्दों में पानी एक बड़ा मुद्दा है. कई युद्ध लड़ चुके दोनों देशों के बीच शांति वार्ता तब रुक गई थी जब 2008 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमला किया था. 26 नवंबर 2008 के उस हमले में कई विदेशी नागरिकों समेत 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
उसके बाद 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 रद्द करने का ऐलान किया तो पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई और भारत से राजनयिक संबंधों में कटौती की. तब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत बंद हो गई और व्यापार भी रुक गया.
हाल ही में दोनों देशों के संबंध एक बार फिर सामान्य होने की राह पर लौटते दिखाई दे रहे हैं. बीते दिनों पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को मदद ले जाने वाले भारतीय ट्रकों को अपने यहां से गुजरने की इजाजत दी थी. पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से टीवी पर बहस के जरिए मसले हल करने की पेशकश की थी.