पाकिस्तान में एक विवादित टीवी एंकर आमिर लियाकत हुसैन को बैन कर दिया गया है. उन्होंने अपने शो में हाल में लापता हुए पाकिस्तानी ब्लॉगरों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा देने की बात कही थी.
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आमिर लियाकत हुसैन पाकिस्तानी टीवी चैनल बोल पर एक शो की मेजबानी करते हैं जिसका नाम है, 'ऐसा नहीं चलेगा'. लेकिन पाकिस्तान में इलेक्ट्रोनिक मीडिया की नियामक संस्था पैमरा ने कहा है कि अब वह न तो अपना शो कर पाएंगे और न ही किसी अन्य टीवी चैनल पर दिख पाएंगे.
पिछले दिनों आमिर लियाकत हुसैन भारत में भी सुर्खियों में रहे जब उन्होंने अभिनेता ओम पुरी की मौत के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बता दिया. अंतरराष्ट्रीय ख्ताति वाले अभिनेता ओम पुरी हाल में मुंबई में अपने घर में मृत मिले.
देखिए ओमपुरी की अदाकारी के रंग
ओम पुरी: एक आदमी में इतना कुछ
ओम पुरी ने 66 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. अपने पीछे वह फिल्मों और अदाकारी का एक ऐसा संसार छोड़ गए हैं, जो हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा.
ओम पुरी न सिर्फ अपने अभिनय के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि उन्होंने एक्टर बनने की चाहत रखने वालों को एक भरोसा दिया कि अगर हुनर है तो चेहरे पर चेचक के दागों पर वाला आदमी भी रुपहले पर्दे पर छा सकता है.
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ख्याति
ओम पुरी भारत के उन चंद गिने चुने अभिनेताओं में शामिल हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खूब शोहरत मिली. भारत के लोग उन्हें अर्धसत्य, आक्रोश, आरोहण, सदगति, तमस, जाने भी दो यारो, माचिस और चाची 420 के लिए हमेशा याद रखेंगे.
विश्व सिनेमा में गांधी, चार्ली विल्संस वॉर, द हंड्रेड फुट जर्नी, सिटी ऑफ जॉय, वोल्फ, वेस्ट इज वेस्ट और द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट जैसे फिल्में और सीरियल उनकी याद दिलाते रहेंगे. इसके अलावा उन्होंने मलायम, कन्नड, तेलुगु और पंजाबी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया.
ओमपुरी ऐसे एक्टर थे जिन्होंने कला सिनेमा और व्यावसायिक सिनेमा, दोनों जगह अपनी धाक जमाई. ओम पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट और दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनसीडी) में एक्टिंग के हुनर को तराशा.
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मान-सम्मान
आरोहण और अर्धसत्य के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला जबकि आक्रोश में लहान्या भीकू का किरदार निभाने के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था. ब्रिटिश सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का मानद ऑफिसर बनाया गया. उन्हें 1990 में पद्मश्री से नवाजा गया.
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शानदार आवाज
ओम पुरी जितने अच्छे अभिनेता थे, उतनी ही शानदार उनकी आवाज थी. कई फिल्मों में उनकी आवाज सूत्रधार का काम करती है. मशहूर सीरियल "भारत एक खोज" में उनकी आवाज इतिहास को बड़े करीने से एक सूत्र में पिरोती है. वह आखिरी बार सन्नी देओल की "घायल रिटर्न्स" में पर्दे पर दिखे थे.
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विवादित बयान
ओमपुरी के कई बयानों से विवाद भी हुए. एक बार टीवी बहस में जवानों के मारे जाने पर उन्होंने कहा था- उनसे आर्मी में भर्ती होने को किसने कहा था. आधे से ज्यादा सांसदों को गंवार बताने वाले अपने बयान पर भी उन्हें माफी मांगी पड़ी. गोमांस पर बहस के दौरान उन्होंने कहा था कि जहां गोमांस के निर्यात से डॉलर कमाए जा रहे हैं, वहां गोहत्या पर प्रतिबंध नाटक है.
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निजी जिंदगी
ओमपुरी ने 1991 में अभिनेता अन्नु कपूर की बहन सीमा कपूर से शादी की, लेकिन आठ महीने बाद उनका तलाक हो गया. इसके बाद पत्रकार नंदिता पुरी उनकी जीवन साथी बनी. 2013 में नंदिता ने ओम पुरी के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया और उसके बाद दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए. नंदिता से उनका एक बेटा है इशान. जाने माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एनएसडी के जमाने से ही ओमपुरी के अच्छे दोस्त रहे.
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जीवनी पर नाराज
नंदिता पुरी ने 2009 में ओमपुरी की जीवनी लिखी, हालांकि इसके कुछ अंशों को लेकर ओमपुरी ने गहरी नाराजगी जताई. वह खुद से जुड़ी अंतरगों बातों का ब्यौरा दिए जाने से बहुत खफा हुए. बहरहाल अब ओमपुरी का अभिनय, उनकी आवाज, उनकी सोफगोई और उनसे जुड़े विवाद इतिहास का हिस्सा हैं.
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अब हुसैन ब्लॉगरों के बारे में कहे गए अपने विवादित बोलों को लेकर चर्चा में है. आमिर लियाकत खुद भी एक बार ईशनिंदा के आरोप झेल चुके हैं. लेकिन अपने टीवी शो में उन्होंने लापता हुए ब्लॉगरों के बारे में कहा कि उन्हें तो मारा ही जाना चाहिए क्योंकि इंटरनेट पर उनकी तरफ से डाली जाने वाली ज्यादातर पोस्ट इस्लाम विरोधी थी.
पाकिस्तान में ईशनिंदा बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, जहां देश की 18 करोड़ की आबादी में 97 प्रतिशत लोग मुसलमान हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से ईशनिंदा कानून में बदलाव की वकालत कर रहे हैं. यह कानून 1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जिया उल हक के शासन में लागू हुआ था. लेकिन आलोचकों का कहना है कि निजी रंजिश निकालने के लिए अक्सर इस कानून का दुरुपयोग होता है.
ब्लॉगरों के रिश्तेदारों और समर्थकों का कहना है कि लापता हुए लोग इस्लाम के खिलाफ नहीं है और उनकी जो सोशल मीडिया पोस्ट आमिर लियाकत हुसैन के शो में दिखाई गईं, वे सब फर्जी हैं. हालांकि ये लोग सियासत में सेना की भूमिका के आलोचक रहे हैं.
देखिए इनका भी है पाकिस्तान
इनका भी है पाकिस्तान
पाकिस्तान की अनुमानित 20 करोड़ की आबादी में लगभग 95 फीसदी मुसलमान हैं. इनमें भी बहुसंख्यक सुन्नी हैं जिनकी संख्या 75 से 85 फीसदी बताई जाती है. एक नजर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों पर.
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शिया
शिया मुसलमान पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है जिसकी आबादी से 10 से 15 फीसदी बताई जाती है. हाल के सालों में पाकिस्तान में कई बार शिया धार्मिक स्थलों को आतंकवादी हमलों में निशाना बनाया गया है.
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अहमदी
पाकिस्तान की जनसंख्या में अहमदी मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 2.2 प्रतिशत है. हालांकि पाकिस्तान में इन्हें मुसलमान नहीं माना जाता. 1970 में दशक में एक कानून पारित कर इन्हें गैर मुसलमान घोषित कर दिया गया था और इनके साथ कई तरह के भेदभाव होते हैं.
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हिंदू
पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग दो प्रतिशत है जिनमें से ज्यादातर सिंध प्रांत में रहते हैं. पाकिस्तान में हिंदू बेहद पिछड़े हैं और अभी तक बुनियादी अधिकारों के लिए जूझ रहे हैं.
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ईसाई
हिंदुओं के बाद पाकिस्तान में संख्या के हिसाब से ईसाई समुदाय की बारी आती है. उनकी आबादी लगभग 1.6 प्रतिशत है जबकि संख्या देखें तो यह 28 लाख के आसपास है. हाल के सालों में कई चर्चों पर हमले हुए हैं.
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बहाई
बहाई धर्म को मानने वालों की संख्या पाकिस्तान में 40 से 80 हजार हो सकती है.
सिख
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म मौजूदा पाकिस्तान के ननकाना साहिब में हुआ था. यह स्थान सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. पाकिस्तान में अब सिर्फ लगभग 20 हजार ही सिख बचे हैं.
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पारसी
पारसियों की आबादी दुनिया भर में घट रही है. पाकिस्तान में भी ऐसा ही ट्रेंड दिखाई पड़ता है. वहां इनकी संख्या चंद हजार तक सिमट गई है.
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कलाश
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के चित्राल में रहने वाला कलाश समुदाय अपनी अलग संस्कृति के लिए जाना जाता है. उनकी अलग भाषा और अलग धर्म है. लगभग तीन हजार की आबादी के साथ इसे पाकिस्तान का सबसे छोटा धार्मिक समुदाय माना जाता है.
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यह अभी तक साफ नहीं है कि इन लोगों को किसने अगवा किया है. कुछ लोग इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो कुछ इसके पीछे चरमपंथी संगठनों का हाथ बताते हैं. सरकार ने इसमें सेना की किसी भी भूमिका से इनकार किया है. साथ ही किसी चरमपंथी संगठन की तरफ से भी इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया है. अधिकारियों ने संभावित अपहरण की इन घटनाओं के जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक लापता लोगों में से किसी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है.
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के आलोचकों के लिए बहुत खतरा है. कई बार उन पर सार्वजनिक तौर पर हमले हुए हैं. उन्हें गोली मार दी जाती है या फिर जिंदा जला दिया जाता है. 2011 में पाकिस्तान के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की उनके अंगरक्षक ने ही गोली मार कर हत्या कर दी थी. तासीर ईशनिंदा कानून में सुधार की वकालत करते थे.