पाकिस्तान में इस साल का आखिरी पोलियो विरोधी अभियान
१७ दिसम्बर २०२४
पाकिस्तान सरकार ने इस साल का आखिरी पोलियो विरोधी अभियान शुरू कर दिया है. इस अभियान के दौरान देशभर में 4.5 करोड़ बच्चों को पोलियो का टीका दिया जाएगा.
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पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि देश ने सोमवार, 16 दिसंबर को 4.5 करोड़ बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए साल का अपना अंतिम राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया. पाकिस्तान में पोलियो के नए मामले सामने आने के बाद इस बीमारी को रोकने के प्रयास बाधित हुए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पाकिस्तान और उसके पड़ोसी अफगानिस्तान दुनिया के बस दो ऐसे देश हैं जहां पोलियो के वायरस को रोका नहीं जा सका है. पोलियो का वायरस ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि पोलियो के हर 200 मामलों में से एक मामले में हमेशा के लिए लकवा हो जाता है, जो अमूमन टांगों में होता है.
पाकिस्तान में पोलियो के मामले
पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि इस साल जनवरी से अब तक देश भर में पोलियो के 63 मामले सामने आए हैं. पोलियो विरोधी अभियान पर प्रधानमंत्री की सलाहकार आयशा रजा फारूक ने कहा कि राष्ट्रीय पोलियो विरोधी अभियान 22 दिसंबर तक जारी रहेगा. उन्होंने कहा, "एक मां के तौर पर, मैं आपसे अपील करती हूं कि आप पोलियो टीम के लिए अपने घर के दरवाजे खोलें."
पाकिस्तान में पोलियो को खत्म करने के लिए अभियान नियमित रूप से जारी हैं. इन अभियानों के दौरान मेडिकल स्टाफ और उनकी सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बल के जवानों को भी निशाना बनाया जाता है. कुछ चरमपंथी संगठनों ने पोलियो वैक्सीन को लेकर झूठी खबरें और अफवाहें भी फैलाईं कि यह दवा लोगों की प्रजनन क्षमता को नष्ट करने की एक पश्चिमी साजिश है.
निशाने पर पोलियो टीम
इस साल भी पोलियो अभियान के दौरान चरमपंथियों के हमले की आशंका के बीच कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए हजारों पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. फिर भी पोलियो टीम पर हमले होते रहते हैं. सोमवार को ही खैबर पख्तूनख्वा के करक में पोलियो अभियान टीम पर हमला हुआ, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और एक स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गया.
स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासन के अनुसार, 1990 के बाद से पोलियो टीमों के 200 से अधिक सदस्य और उनकी सुरक्षा के लिए नियुक्त पुलिसकर्मी चरमपंथियों के हमलों में मारे गए हैं.
हाल ही में पोलियो विरोधी अभियान शुरू होने से पहले मेडिकल स्टाफ के साथ बैठक में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनकी सेवाओं की सराहना की और अपना दृढ़ संकल्प दोहराया कि पोलियो जैसी घातक बीमारी के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान निश्चित रूप से कामयाब होगा.
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अफगानिस्तान में पोलियो के कम से कम 23 मामले सामने आए हैं. इसी साल सितंबर में अफगान तालिबान ने देश भर में घर-घर जाकर पोलियो टीकाकरण अभियान को निलंबित कर दिया, जिससे इस बीमारी को खत्म करने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा.
पाकिस्तान में पोलियो के खिलाफ पिछले 25 साल से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और घर-घर जाकर बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है. पोलियो टीका लगाने वाली टीम में मुख्य रूप से महिला स्वास्थ्यकर्मी होती हैं जिनकी मदद के लिए कुछ सुरक्षा गार्ड होते हैं.
कई दशक तक पोलियो दुनिया की सबसे भयावह बीमारी रही है और इसकी वजह से लाखों लोगों में कई तरह की दिक्कतें आईं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पाकिस्तान के अलावा सिर्फ अफगानिस्तान ही दूसरा देश है जहां बच्चे अभी भी पोलियो वायरस से पीड़ित हैं.
एए/वीके (एपी, रॉयटर्स)
क्यों पोलियो अभी भी कुछ देशों में एक समस्या बना हुआ है
विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सहयोगियों की कोशिशों की वजह से पोलियो को दुनिया के अधिकांश हिस्सों से मिटा दिया गया था. लेकिन यह बीमारी अभी भी कुछ देशों में फैल रही है. आखिर क्यों हो रहा है ऐसा?
तस्वीर: Ebrahim Hamid/AFP/Getty Images
गाजा में पोलियो
गाजा में हाल ही में टीका नहीं लेने वाले एक बच्चे में पोलियो इन्फेक्शन पाया गया. यहां 25 सालों में पहली बार पोलियो का मामला सामने आया है. यह मामले इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पोलियो अभी भी कुछ देशों में मौजूद है. जब तक इसके वायरस को पूरी तरह से धरती से मिटा नहीं दिया जाता तब तक उसके कारण ऐसी किसी भी जगह यह बीमारी फैल सकती है जहां बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हुआ है.
पोलियो का वायरस ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि पोलियो के हर 200 मामलों में से एक मामले में हमेशा के लिए लकवा मार देता है (अमूमन, टांगों में). पैरालाइज होने वाले बच्चों में करीब 10 प्रतिशत बच्चे सांस लेने की मांसपेशियों के भी पैरालाइज हो जाने की वजह से मर जाते हैं.
पोलियो सदियों से धरती पर मौजूद है. प्राचीन मिस्र के चित्रों में विकृत हाथ-पैर की वजह से लाठियों के सहारे चलने वाले बच्चों को दिखाया गया है. टीके की खोज होने तक यह दुनिया की सबसे डरावनी बीमारियों से में था. न्यूयॉर्क में 1916 में इसकी वजह से 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए. 1952 में एक मामले में 3,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. बचने वालों पर जीवन भर रहने वाला असर हुआ, जैसे पक्षाघात और मुड़े हुए हाथ-पैर.
तस्वीर: StockTrek Images/IMAGO
सफल टीकाकरण
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1988 में पोलियो को जड़ से मिटाने एक प्रस्ताव पारित किया. मूल लक्ष्य था 2000 तक पोलियो को जड़ से खत्म करना. संगठन और उसके साझेदारों ने एक ओरल टीके के उत्पादन को बढ़ाया और व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू किए. इसके फलस्वरूप पोलियो के मामले 99 प्रतिशत तक कम हो गए.
तस्वीर: Ebrahim Hamid/AFP/Getty Images
कुछ देश अभी भी प्रभावित
सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान वो देश हैं जहां पोलियो का फैलना कभी रोका नहीं जा सकता. करीब एक दर्जन और देशों में पोलियो के फैलने के मामले सामने आते रहते हैं. इनमें से अधिकांश देश अफ्रीका में हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब 2026 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.
तस्वीर: Faridullah Khan/DW
इतना समय क्यों लगा
पोलियो के मामलों को रोकने के लिए हर देश की कम-से-कम 95 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करना पड़ेगा. इनमें ऐसे देश में शामिल हैं जहां कई तरह के जातीय या राजनीतिक संघर्ष चल रहे हैं और ऐसे देश भी जो गरीब हैं और जिनके स्वास्थ्य तंत्र काफी खराब हालत में हैं.
तस्वीर: K.M. Chaudary/AP Photo/picture alliance
टीके की कमजोरी
ओरल टीका सस्ता, कारगर और इस्तेमाल में आसान है. लेकिन उसमें जीवित, कमजोर वायरस मौजूद होते हैं जो कुछ दुर्लभ मामलों में फैल सकते हैं और उन लोगों को संक्रमित कर सकते हैं जिन्होंने टीका नहीं लिया. कुछ बेहद दुर्लभ मामलों में यह जीवित वायरस म्यूटेट होकर एक नया संक्रामक रूप भी धारण कर सकता है.
तस्वीर: Nicholas Kajoba/XinHua/picture alliance
किस तरह के मामले अब आते हैं सामने
स्वास्थ्य एजेंसियां पोलियो वायरस से संक्रमण के मामलों को कम करने में सफल रही हैं. अब दुनिया भर में सामने आने वाले संक्रमण के मामलों में ज्यादातर मामले टीके वाले वायरस से जुड़े हैं. सीके/आरपी (एपी)