श्रीलंकाई नागरिक को पीट-पीट कर मारने के मामले में पाकिस्तान की एक अदालत ने 89 लोगों को सजा सुनाई है. छह लोगों को फांसी और नौ को उम्रकैद सुनाई गई है.
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पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगा कर एक श्रीलंकाई नागरिक की हत्या के दोषी पाए गए लोगों में से छह को मौत की सजा सुनाई गई है. 48 साल के एक फैक्ट्री मैनेजर की पिछले साल दिसंबर में भीड़ ने हत्या कर दी थी. मामले में कोर्ट ने कुल 89 लोगों को दोषी पाया है. नौ लोगों को उम्रकैद और अन्य दोषियों को दो से पांच साल तक जेल की सजा दी गई है.
पिछले साल दिसंबर में सियालकोट में हुई इस घटना की दुनियाभर में चर्चा हुई थी. पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे देश के लिए ‘शर्मनाक दिन' बताया था. भीड़ द्वारा मारे जाने की घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए थे, जिनमें दर्जनों लोगों की भीड़ को प्रियंथा दियावादांगे को पीट-पीट कर मारते देखा जा सकता था. हत्या करने के बाद लोगों ने दियावादांगे के शव को आग लगा दी थी और लोगों ने जलते शव के साथ सेल्फी ली थी.
दियावादांगे की पत्नी नीलूशी दिशानायके ने भी अपने पति पर हुए हमले के ये वीडियो इंटरनेट पर देखे थे. उन्होंने कहा था कि उन्होंने जो देखा वह "अमानवीय" था.
क्यों हुई थी हिंसा?
सियालकोट में हिंसा तब शुरू हुई जब अफवाह फैली कि दियावादांगे ने ईशनिंदा की है. लोगों ने उन पर पैगंबर मोहम्मद का नाम लिखे पोस्टर फाड़ने का आरोप लगाया. हालांकि उन्हें बचाने आए उनके एक सहकर्मी ने बताया था कि दियावादांगे ने वे पोस्टर दीवारों से उतारे थे क्योंकि इमारत की सफाई होनी थी.
लेकिन अफवाह फैलने के बाद सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए और दियावादांगे पर हमला कर दिया. हत्या के बाद हुई जांच में पता चला कि दियावादांगे की खोपड़ी की हड्डियां टूट गई थीं और उनका शरीर 99 फीसदी जल गया था. एक टांग को छोड़कर उनके शरीर की सारी हड्डियां टूट गई थीं.
आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा
पाकिस्तान में 2010 में आसिया बीबी नाम की एक ईसाई महिला को मौत की सजा सुनाई गई थी. पानी के गिलास से शुरू हुआ झगड़ा उनके ईशनिंदा का जानलेवा अपराध बन गया था. लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी किया.
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खेत से कोर्ट तक
2009 में पंजाब के शेखपुरा जिले में रहने वाली आसिया बीबी मुस्लिम महिलाओं के साथ खेत में काम कर रही थी. इस दौरान उसने पानी पीने की कोशिश की. मुस्लिम महिलाएं इस पर नाराज हुईं, उन्होंने कहा कि आसिया बीबी मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा वह पानी का गिलास नहीं छू सकती. इस बात पर तकरार शुरू हुई. बाद में मुस्लिम महिलाओं ने स्थानीय उलेमा से शिकायत करते हुए कहा कि आसिया बीबी ने पैंगबर मोहम्मद का अपमान किया.
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भीड़ का हमला
स्थानीय मीडिया के मुताबिक खेत में हुई तकरार के बाद भीड़ ने आसिया बीबी के घर पर हमला कर दिया. आसिया बीबी और उनके परिवारजनों को पीटा गया. पुलिस ने आसिया बीबी को बचाया और मामले की जांच करते हुए हिरासत में ले लिया. बाद में उन पर ईशनिंदा की धारा लगाई गई. 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में ईशनिंदा बेहद संवेदनशील मामला है.
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ईशनिंदा का विवादित कानून
1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून लागू किया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईशनिंदा की आड़ में ईसाइयों, हिन्दुओं और अहमदी मुसलमानों को अकसर फंसाया जाता है. छोटे मोटे विवादों या आपसी मनमुटाव के मामले में भी इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है.
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पाकिस्तान राज्य बनाम बीबी
2010 में निचली अदालत ने आसिया बीबी को ईशनिंदा का दोषी ठहराया. आसिया बीबी के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह मामला आपसी मतभेदों का है, लेकिन कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी. आसिया बीबी को मौत की सजा सुनाई. तब से आसिया बीवी के पति आशिक मसीह (तस्वीर में दाएं) लगातार अपनी पत्नी और पांच बच्चों की मां को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे.
तस्वीर: picture alliance/dpa
मददगारों की हत्या
2010 में पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया बीबी की मदद करने की कोशिश की. तासीर ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग कर रहे थे. कट्टरपंथी तासीर से नाराज हो गए. जनवरी 2011 में अंगरक्षक मुमताज कादरी ने तासीर की हत्या कर दी. मार्च 2011 में ईशनिंदा के एक और आलोचक और तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की भी इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई.
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हत्याओं का जश्न
तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतों ने हीरो जैसा बना दिया. जेल जाते वक्त कादरी पर फूल बरसाए गए. 2016 में कादरी को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद कादरी के नाम पर एक मजार भी बनाई गई.
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न्यायपालिका में भी डर
ईशनिंदा कानून के आलोचकों की हत्या के बाद कई वकीलों ने आसिया बीबी का केस लड़ने से मना कर दिया. 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा. इसके खिलाफ परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सर्वोच्च अदालत में इस केस पर सुनवाई 2016 में होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले एक जज ने निजी कारणों का हवाला देकर बेंच का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
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ईशनिंदा कानून के पीड़ित
अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी की सजा से जुड़ा फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले को लेकर पाकिस्तान पर काफी दबाव है. अमेरिकी सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के मुताबिक सिर्फ 2016 में ही पाकिस्तान में कम से 40 कम लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत या उम्र कैद की सजा सुनाई गई. कई लोगों को भीड़ ने मार डाला.
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अल्पसंख्यकों पर निशाना
ईसाई, हिन्दू, सिख और अहमदी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं. इस समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान में उनके साथ न्यायिक और सामाजिक भेदभाव होता रहता है. बीते बरसों में सिर्फ ईशनिंदा के आरोपों के चलते कई ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्याएं हुईं.
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कट्टरपंथियों की धमकी
पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों ने धमकी दी थी कि आसिया बीबी पर किसी किस्म की नरमी नहीं दिखाई जाए. तहरीक ए लबैक का रुख तो खासा धमकी भरा था. ईसाई समुदाय को लगता था कि अगर आसिया बीबी की सजा में बदलाव किया गया तो कट्टरपंथी हिंसा पर उतर आएंगे. और ऐसा हुआ भी.
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बीबी को अंतरराष्ट्रीय मदद
मानवाधिकार संगठन और पश्चिमी देशों की सरकारों ने आसिया बीबी के मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की थी. 2015 में बीबी की बेटी पोप फ्रांसिस से भी मिलीं. अमेरिकन सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस ने बीबी की सजा की आलोचना करते हुए इस्लामाबाद से अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने की अपील की थी.
बीबी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्होंने इस मामले से बरी कर दिया. आसिया को बरी किए जाने के खिलाफ आई अपील को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लोगों ने विरोध किया. लेकिन आसिया सुरक्षित रहीं. अब आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया है. बताया जाता है वो कनाडा में रहने लगी हैं.
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उस घटना ने पूरे मुल्क को हिलाकर रख दिया था. तब के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस घटना पर बेहद अफसोस जताया था और सख्त कार्रवाई की बात की थी. पुलिस ने भी तेजी से कार्रवाई करते हुए हत्यारी भीड़ में शामिल रहे दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया था. मार्च में कोर्ट ने 89 लोगों को दोषी करार दिया था. सोमवार को एक अदालत ने सजा का ऐलान किया जिनमें छह को मौत की सजा दी गई.
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ईशनिंदा के नाम पर
पाकिस्तान में ईशनिंदा के खिलाफ बेहद कड़े कानून हैं और सजा में मौत का प्रावधान है. जो भी व्यक्ति इस्लाम की निंदा का दोषी पाया जाता है उसे मौत की सजा दी जा सकती है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस कानून को अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
हालांकि कड़े कानून भी भीड़ को लोगों पर ईशनिंदा के नाम पर हिंसा से रोक नहीं पा रहे हैं और ऐसी घटनाएं अक्सर हो रही हैं. बीती फरवरी में ही एक व्यक्ति की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस का कहना था कि लोगों को उस व्यक्ति पर कुरान के पन्ने जलाने का संदेह था. उस घटना के लिए 80 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया. हमले के वक्त यह व्यक्ति पुलिस की हिरासत में था और लोगों ने उसे पुलिस से छीन लिया.
रमजान की झलकियां
रमजान जारी है और दुनियाभर के मुसलमान अपने-अपने तरीकों और परंपराओं से इसे मना रहे हैं. दुनिया की अलग-अलग जगहों से रमजान के दौरान कुछ बेहद खास पलों की झलकियां.
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इफ्तार की शाही दावत
मोरक्को के किंग मोहम्मद (vi) की इफ्तार की दावत में स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज (बाएं से दूसरे) भी शामिल हुए.
तस्वीर: Moroccan Royal Palace/AP Photo/picture alliance
सऊदी अरब में खास मेहमान
सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने यमनी प्रेजिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल के अध्यक्ष रशद अल-अलीमी को इफ्तार की दावत दी.
तस्वीर: Bandar Algaloud/Courtesy of Saudi Royal Court/REUTERS
पहले रोजे की नमाज
तुर्की के इस्तांबुल में मशहूर हागिया सोफिया मस्जिद में पहले रोजे की नमाज.
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लाइन से इफ्तारी
यमन की राजधानी सना में इफ्तार के वक्त मुफ्त खाना पाने के लिए लाइन में लगे लोग.
तस्वीर: Mohammed Huwais/AFP
परिवार के साथ
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इफ्तारी के लिए साथ बैठा परिवार.
तस्वीर: Mortuza Rashed
लजीज थाली
ईरान में एक मेहमान के लिए परिवार ने तैयार की इफ्तार की थाली.
इंडोनेशिया के सुराबाया की अल अकबर मस्जिद में महिलाओं ने अदा की नमाज.
तस्वीर: Juni Kriswanto/AFP/Getty Images
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मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि लोग ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल निजी दुश्मनी निकालने के लिए और एक दूसरे से बदला लेने के लिए करते हैं और अक्सर धर्म का इससे कोई लेनादेना नहीं होता.