पाकिस्तान में अगले साल होने वाले आम चुनावों में पर्यावरण का मुद्दा शायद ही राजनीतिक दलों की प्राथमिकता में हो, लेकिन क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ग्रीन सुनामी लाना चाहते हैं.
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जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम जिन देशों को सबसे ज्यादा भुगतने पड़ रहे हैं, पाकिस्तान का नाम भी उनमें शामिल है. फिर भी, पर्यावरण संरक्षण पाकिस्तान के सियासी पटल पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं माना जाता. लेकिन तहरीक ए इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान अपने गृह प्रांत खैबर पख्तून ख्वाह में नयी पहल कर रहे हैं. इस प्रांत में 2013 से तहरीक ए इंसाफ पार्टी की सरकार है. इमरान खान की पार्टी ने अब एक अरब पेड़ लगाने की बिलियन ट्री सुनामी पहल शुरू की है.
इस तरह खैबर पख्तून ख्वाह की सरकार दुनिया की पहली सरकारी संस्था बन गयी है जो काटे जा चुके 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा के जंगलों को बहाल करने के बॉन चैलेंज को पूरा करने के लिए कदम उठा रही है.
इमरान खान कहते हैं, "मैं पाकिस्तान के उत्तर में सभी पहाड़ों पर गया हूं और यह देखकर मैं हैरान हूं कि सभी जंगलों को काटा जा रहा है." उन्होंने कहा कि पेड़ लगाकर खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत ने एक अहम कदम उठाया है जिससे भावी पीढ़ी को पर्यावरण में आ रहे बदलाव के खतरनाक प्रभावों से बचाया जा सकेगा.
इमरान खान ने बताया कि बिलियन ट्री सुनामी पहल का मकसद खैबर पख्तून ख्वाह के जंगल क्षेत्र को 2018 तक बढ़ा कर 27 प्रतिशत करना है जो 2013 में 22 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि इसके लिए जंगल वाले इलाकों में नये राष्ट्रीय उद्यान बनाये जाएंगे. पाकिस्तान के 40 प्रतिशत से ज्यादा प्राकृतिक जंगल खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में ही हैं.
इन 10 कामों से बेहतर होगी दुनिया
जलवायु में परिवर्तन की चेतावनियां हम लगातार सुनते रहते हैं. दुनिया के नेता ना नुकुर कर रहे हैं लेकिन बहुत से काम हैं जो हम खुद शुरू करके धरती के बढ़ते तापमान को कम कर सकते हैं.
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बल्ब बदलिए
आप लैम्प तो अच्छा वाला ले आये हैं लेकिन इसमें बल्ब कौन सा है. अगर सामान्य टंगस्टन वाला बल्ब है तो इसे तुरंत एलईडी से बदल डालिए. ईमानदारी से कहें तो ये कोई बड़ा कदम नहीं लेकिन इस छोटे से कदम का असर बड़ा है. एलईडी बल्ब 90 फीसदी तक बिजली बचाते हैं.
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कपड़े धूप में सुखाइए
वर्षा वाले और ठंडे देशों में यह थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन फिर भी पर्यावरण में बदलाव के कारण होने वाली मुश्किलों की तुलना में इनकी क्या बिसात. मशीनों से कपड़े सुखाने की तुलना में यही फायदेमंद है.
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रिसाइक्लिंग
दुनिया में हजारों लोगों ने रिसाइक्लिंग को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल किया है. रिसाइकिल की गयी चीजों का इस्तेमाल इस जहां को बेहतर बनाने में बहुत कारगर है. पर अफसोस सिर्फ इतने से ही नहीं होगा.
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कपड़े ठंडे पानी से धोएं
गर्म पानी से कपड़ों के सिकुड़ने का डर रहता है लेकिन इसके अलावा एक और वजह है ठंडे पानी से कपड़े धोने की. वाटर हीटर का इस्तेमाल तो कम होगा ही, साथ ही ठंडे पानी से कपड़ों की धुलाई में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है.
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हाइब्रिड कार चलाएं
अगर आप अपनी कार पूरी तरह से छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं तो हाइब्रिड कार की सवारी कीजिए. हालांकि ध्यान रखिएगा कि इन कारों को चलाने वाली बिजली मुमकिन है कि जीवाश्म ईेंधन से ही आ रही हो.
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शाकाहारी बन जाइए
बीफ का उत्पादन दुनिया भर से जंगलों के घटने के पीछे एक बड़ा कारण है. खासतौर से इन पशुओँ के चारे के लिए. मांस वाले भोजन का कार्बन फुटप्रिंट भी शाकाहरी खाने की तुलना में करीब दुगुना होता है. अगर आप मांस खाना कम कर दें तो भी असर होगा.
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हरित ऊर्जा का उपयोग
दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा का चलना नया है लेकिन अब भी हम ज्यादातर कोयले जैसी जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भर हैं. जर्मनी में आप अपने लिए ऊर्जा कंपनी चुन सकते हैं और इनमें से कुछ हैं जो दोबारा इस्तेमाल होने वाले संसाधनों का उपयोग कर रही हैं.
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अटलांटिक के उस पार मत जाइए
पर्यावरण में बदलाव की एक बड़ी वजह है हवाई सफर. नीतियां बनाने वाले इस असर को कम करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं लेकिन तब तक हम अपनी ओर से इतना कर सकते हैं कि फ्लाइट लेने से पहले एक बार दोबारा सोच लें. खासतौर से अगर सफर समंदर पार का हो.
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कार छोड़िए साइकिल चलाइए
कार छोड़ना पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में आपका दूसरा सबसे बड़ा कदम है. साइकिल की सवारी प्रकृति के साथ ही आपको भी तंदुरुस्त रखेगी. नीदरलैंड्स जैसे देश दुनिया के लिए अच्छी मिसाल बन सकते हैं.
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कम बच्चे पैदा कीजिए
जिस माहौल में हम जी रहे हैं उसमें धरती की सेहत के लिहाज से बच्चे पैदा करने से बुरा शायद और कुछ नहीं लेकिन अगर आप पीछे बताये गए बाकी 9 काम पूरे मन से कर रहे हों तो आपका बच्चा एक बेहतर दुनिया में जी सकेगा.
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अगस्त में पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इमरान खान ने दूसरे राजनेताओं से भी ऐसा ही करने को कहा. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को देखते हुए यह बहुत जरूरी है.
तहरीक ए इंसाफ पार्टी ने घोषणा की है कि पर्यावरण संरक्षण उसके चुनावी घोषणापत्र के चार मुख्य स्तंभों में से एक होगा. इसके अलावा पार्टी का जोर गरीबी को कम करने, प्रशासन के लिए योग्यता आधारित व्यवस्था शुरू करने और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाने पर होगा.
अगले साल होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी प्रचार मुहिम और रैलियां शुरू कर दी हैं. संभवत जून 2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव हो सकते हैं. कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हाल में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अयोग्य करार दिये जाने के बाद जिस तरह नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, उसे देखते हुए चुनावों में इमरान खान को कामयाबी मिलने की अच्छी संभावनाएं हैं.
जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ और अमेरिका की बॉस्टन यूनिवर्सिटी में फ्रेडरिक एस पारडी स्कूल ऑफ ग्लोबल स्टडीज के डीन आदिल नजम कहते हैं, "इमरान खान निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री बनने की रेस में शामिल हैं. लेकिन बिलियन ट्री सुनामी का उन्हें कोई बहुत फायदा नहीं मिलेगा. इस बात के कोई संकेत नहीं है कि किसी राजनेता को पेड़ लगाने से वैसा कोई चुनावी फायदा मिल सकता है." हालांकि इतना वह जरूर मानते हैं कि इस पहल की वजह से कम से कम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं में पर्यावरण के मुद्दों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी.
पर्यावरण संरक्षण के पैरोकार और लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में लेक्चरर रहे राफे आलम कहते हैं कि मतदाताओं के लिए भ्रष्टाचार, रोजगार, बिजली और गैस की किल्लत और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मुद्दे ज्यादा अहमियत रखते हैं. पाकिस्तानी राजनेता अभी तक पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को मुख्यधारा की राजनीति में नहीं लेकर आये हैं. उनके मुताबिक, "बिलियन ट्री सुनामी एक कमाल की पहल है और जो भी लोग इससे जुड़े हैं उनकी सराहना होनी चाहिए. लेकिन मैंने कभी नहीं देखा है कि पर्यावरण से जुड़ी कोई पहल आपको लोगों के वोट दिला पाये."
एके/एमजे (रॉयटर्स)
कैसी है हमारी धरती की तबीयत
पहले से खस्ताहाल जलवायु पर बेपरवाही की दोहरी मार पड़ रही है. एक बार नजर डालते हैं कि वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी धरती ग्लोबल वॉर्मिंग के कितने गंभीर खतरे में पड़ी हुई है.
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तापमान
धरती का औसत तापमान बढ़ रहा है. 1880 से इसके आंकड़े जमा किए जा रहे हैं. 21वीं सदी के अब तक के 16 सालों में रिकॉर्ड तापमान दर्ज हुए हैं. विश्व के कुछ बड़े शहरों में सन 2100 तक तापमान आठ डिग्री सेल्सियस तक और बढ़ जाने का अनुमान है.
तस्वीर: picture alliance/V.Bhatnagar
बर्फ की चादर
आर्कटिक पर बर्फ की चादर सिमटती जा रही है और 2030 की गर्मियों तक आर्कटिक सागर से बर्फ खत्म होने का अनुमान है. दूसरे छोर पर, अंटार्कटिक में भी समुद्री बर्फ में भारी कमी दर्ज हुई है. लगातार 36 सालों से ग्लेशियरों का इलाका भी घटता जा रहा है.
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ग्रीनहाउस गैसें
2016 में कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी अहम ग्रीनहाउस गैसों की वातावरण में मात्रा उच्चतम रही. पेरिस समझौते में इनको 450 पीपीएम पर सीमित करने का लक्ष्य है. जिससे वैश्विक तापमान को 2 डिग्री की सीमा पर रोका जा सके.
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फॉसिल फ्यूल
इन ईंधनों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है. बीते तीन सालों में अर्थव्यवस्था में विकास के बावजूद इनका स्तर स्थिर बना हुआ है. लेकिन मीथेन का स्तर बढ़ा है, जो कि वातावरण को CO2 से भी ज्यादा गर्म करता है. मीथेन के बढ़ने का कारण पता नहीं चल पाया है.
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समुद्री स्तर
बर्फ का पिघलना और पानी का गर्म होकर फैलना तेज हो गया है. 2005 से 2015 के बीच समुद्रस्तर उसके पहले के दशक के मुकाबले 30 फीसदी तेजी से ऊपर गया. यह दर और तेज होने की संभावना है, जिससे दुनिया के निचले इलाके डूब सकते हैं.
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प्राकृतिक आपदा
इंसानी गतिविधियों से जलवायु में आते बदलावों और प्राकृतिक आपदाओं के बीच संबंध स्थापित हो चुका है. 1990 से आपदाएं दोगुनी हो चुकी है. विश्व बैंक बताता है कि हर साल इन आपदाओं के कारण करीब ढाई करोड़ लोग गरीबी में धकेले जा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/G. Pohl
जैव विविधता
आईयूसीएन की रेड लिस्ट में "खतरे में" दर्ज जानवरों और पौधों की 8,688 प्रजातियों में से करीब 19 फीसदी पर जलवायु परिवर्तन का बुरा असर पड़ा है. जैसे कि ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ, जो कि अब कभी ब्लीचिंग के बुरे असर से उबर नहीं पाएगी. आरपी/एमजे (एएफपी)