भारत और पाकिस्तान में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट 20 फीसदी बढ़ा दिया है. हालांकि बड़े हथियारों की खरीद को बजट से बाहर रखा गया है.
पाकिस्तान की ओर से रक्षा बजट में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई हैतस्वीर: W.K. Yousufzai/AP/picture alliance
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पाकिस्तान के रक्षा बजट बढ़ाने का फैसला मई में भारत के साथ संघर्ष के बाद लिया गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसकी घोषणा की. हालांकि इसी बजट में सरकार के कुल खर्च को 7 फीसदी घटाया भी गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कैबिनेट से कहा, "सारे आर्थिक संकेत संतोषजनक हैं. भारत को पारंपरिक युद्ध में हराने के बाद, अब हम इससे अलग आर्थिक मोर्चे पर भी कदम उठाएंगे."
वहीं पाकिस्तान के वित्तमंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा है कि सरकार ने रक्षा खर्च के लिए इस बार 2.55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का बजट रखा है, जो पिछले साल 2.12 ट्रिलियन रुपये था. भारत ने इसी साल फरवरी में अपना रक्षा बजट 9.5 फीसदी बढ़ाया था.
पाकिस्तान ने स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च घटाया
यह पिछले एक दशक में पाकिस्तान के रक्षा बजट में हुई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. इसके बाद पाकिस्तान का रक्षा बजट फिर से जीडीपी का करीब 2 फीसदी हो चुका है. पाकिस्तान ने रक्षा बजट बढ़ा दिया लेकिन जीडीपी के अनुपात में स्वास्थ्य और शिक्षा पर होने वाले खर्चों में कटौती की है.
वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में सुरक्षा स्थिति संकटपूर्ण है. हालांकि पाकिस्तान के रक्षा बजट में बढ़ोतरी के पीछे खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के इलाकों में जारी सुरक्षा ऑपरेशनों को भी एक वजह बताया गया है. हालांकि आंतरिक सुरक्षा के लिए रक्षा बजट से अलग एक मद के तहत भी खर्च किया जाता है.
हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान की सेनाओं का फील्ड मार्शल नियुक्त किया गया हैतस्वीर: Pakistan's Press Information Department/AFP
सैन्य कर्मचारियों को खास भत्ता
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के मुताबिक रक्षा खर्च के लिए तय किए बजट का एक हिस्सा पाकिस्तान में रक्षा के बुनियादी ढांचे के खर्च में हुई बढ़ोतरी के लिए है. दरअसल ईंधन, राशन, ट्रेनिंग और मेडिकल सुविधाओं के बढ़ने के चलते भी बजट बढ़ाया गया है. इनका खर्च करीब 37 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है.
करीब 4 फीसदी की बढ़त सैन्य कर्मचारियों से जुड़े खर्चों के मद में भी की गई है. इसके तहत कर्मियों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी की जानी है. वित्त मंत्री ने कहा है कि अधिकारियों, जूनियर अधिकारियों और सैनिकों को एक खास राहत भत्ता भी दिया जाएगा. इसका खर्च भी रक्षा बजट के तहत ही रहेगा.
वो हथियार जिसके लिए भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की भी परवाह नहीं की
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे ताजा सैन्य तनाव के बीच दावा किया जा रहा है कि भारत द्वारा रूस से खरीदा हुआ एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. जानिए क्या करता है ये सिस्टम और इसकी क्या अहमियत है.
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क्या करता है एयर डिफेंस
एयर डिफेंस सिस्टमों का काम होता है आसमान से आ रहे किसी भी मिसाइल, ड्रोन, दुश्मन के विमान आदि को मार गिराना. इस तरह के सिस्टमों में अमूमन राडार, कंट्रोल सेंटर और मिसाइलें होती हैं. भारत के पास कई तरह के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
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भारत के पास कई एयर डिफेंस सिस्टम
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास रूस का 'एस-400 ट्रायंफ', इस्राएल का 'स्पाइडर', इस्राएल का साथ मिल कर बनाया गया 'बराक-आठ एमआर-एसएएम', भारत का अपना 'आकाश' और कुछ और कम रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम हैं.
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रूस का एस-400 सबसे अहम
इनमें से सबसे ज्यादा रेंज (300 किलोमीटर से ज्यादा) रूसी 'एस-400 ट्रायंफ' सिस्टम की है. यह सतह से हवा (सरफेस टू एयर) में मिसाइल दागने वाला मोबाइल सिस्टम है. इसे रूस ने 1990 के दशक में बनाया था. हालांकि इसे रूसी सेना में शामिल होने में उसके बाद कई साल लग गए.
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40,000 करोड़ रुपयों का सिस्टम
2018 में भारत ने रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपयों में इसकी पांच टुकड़ियां खरीदीं. माना जाता है कि तीन टुकड़ियां भारत को मिल चुकी हैं और दो और मिलनी बाकी हैं. आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह इस समय दुनिया का सबसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है और इसी तरह के पश्चिमी सिस्टमों से आधे दाम पर मिलता है.
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एक बार में 36 टारगेट
सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के मुताबिक यह 400 किलोमीटर की दूरी तक एक ही बार में 36 टारगेट गिरा सकता है. यह क्रूज और बैलिस्टिक दोनों तरह की मिसाइलों, विमान और 3,500 किलोमीटर तक की रेंज और 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से उड़ने वाले ड्रोनों को गिरा सकता है.
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पांच मिनट में किया जा सकता है तैनात
वेबसाइट दजियोस्ट्राटा डॉट कॉम के मुताबिक इसे पांच मिनट में तैनात किया जा सकता और यह आसमान में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक हमला कर सकता है. इसमें एक मोबाइल कमांड पोस्ट गाड़ी भी है जिसमें निगरानी और डाटा प्रोसेसिंग के लिए आधुनिक एलसीडी कंसोल भी लगे हैं.
कई समीक्षक इसे अमेरिका के 'थाड़' डिफेंस सिस्टम से भी ज्यादा प्रभावशाली मानते हैं. अमेरिका रूस से इसे खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा देता है. उसने भारत पर भी प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, लेकिन भारत पीछे नहीं हटा. अमेरिका ने आज तक इसे लेकर भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं.
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डिफेंस बजट में बड़े हथियार और परमाणु खर्च शामिल नहीं
पाकिस्तान ने हथियारों और गोले-बारूद की खरीद के लिए तय बजट को भी करीब 21 फीसदी बढ़ा दिया है. पाकिस्तानी अखबार डॉन में जानकारी दी गई है कि बड़े स्तर के सैन्य हथियारों की खरीद और देश के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के लिए बजट अलग से दिया जाएगा और इसकी जानकारी इस रक्षा बजट में नहीं दी गई है.
सैन्य कर्मचारियों से जुड़े खर्च में कमी आई है. वर्तमान रक्षा बजट का 33 फीसदी हिस्सा इस पर खर्च किया जाएगा, जबकि पिछले बजट में यह करीब 39 फीसदी था. इन सबके बावजूद पाकिस्तान के रक्षा बजट का सबसे बड़ा हिस्सा कर्मचारियों से जुड़े खर्चों पर ही होगा.
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सेना के कुल बजट का 4.2 फीसदी पेंशन पर खर्च
अगर सेना के अंगों के हिसाब से पाकिस्तान के रक्षा बजट को बांटें तो सबसे बड़ा हिस्सा थल सेना को, इसके बाद वायु सेना को और फिर नौ-सेना को मिला है. थल सेना को करीब 46 अरब डॉलर, एयरफोर्स को 20.4 अरब डॉलर और नौ सेना को 10.4 बिलियन डॉलर का बजट मिला है. इसके अलावा इंटर-सर्विस संस्थाओं को भी करीब 19.5 बिलियन डॉलर का बजट दिया गया है.
परंपरा, रफ्तार और उत्साह का संगम है पाकिस्तान में सांडों की दौड़
पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब में हर साल हजारों लोगों की भीड़ धूल भरे मैदान के बीच सांडों की दौड़ देखने के लिए इकट्ठे होती है. इस पारंपरिक खेल में शक्ति और गौरव का प्रदर्शन किया जाता है.
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सांडों की दौड़
पाकिस्तान के अटोक जिले के मलाल गांव में गुर्राते हुए सांडों को देखकर कोई भागता नहीं है. बल्कि लोग उनके साथ-साथ दौड़ते हैं. दो ताकतवर सांड, लकड़ी के मोटे ढांचे के साथ धूल भरे खेतों में गरजते हुए दौड़ते हैं. उनके पीछे एक आदमी लकड़ी की पट्टी पर घुटनों के बल बैठा होता है. जो केवल रस्सियों और अपनी हिम्मत के भरोसा होता है. सांडों की दौड़ ना सिर्फ हिम्मत की परीक्षा, बल्कि सदियों पुरानी परंपरा भी है.
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और दौड़ शुरू!
दौड़ शुरू होते ही, सवार अपने सांडों के जोड़े को मजबूती से पकड़ लेते हैं. यह नजारा देखने के लिए सैकड़ों लोग गांव में जमा हो जाते हैं. इसे अच्छे से देखने के लिए बच्चे तो पेड़ों पर चढ़ जाते हैं. सांडों को हांकने वाला एक लकड़ी के फट्टे पर संतुलन साध कर बैठता है.
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परंपरा में सवारों की भूमिका
सवार अपना संतुलन बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगाते हैं. गिरने से बचने के लिए वह बस अपने शरीर की ताकत का सहारा लेते हैं. हालांकि, कई बार प्रतिभागी गिर भी जाते हैं, जिसके बाद वह धूल में घिसटते जाते हैं. लेकिन दर्शक फिर भी तालियों से उनका स्वागत करते हैं, खासकर जो दोबारा उठकर फिर से कोशिश करते हैं.
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रंग बिरंगी सजावट
सांडों के सींग रंग-बिरंगी रिबन, घंटियों और यहां तक कि मेहंदी से भी सजाए जाते हैं. दुकानदार रास्ते के किनारे रंग-बिरंगा सामान बेचते हैं. सुन्दर सा सजा हुआ सांड ताकत का प्रतीक माना जाता है. और यह भी दिखाता है कि उसका मालिक इस मुकाबले को लेकर कितना गंभीर है.
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मेला और नाच-गाना
यह दौड़ सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि एक त्योहार होता है. मिठाई वाले गर्म जलेबी बनाते हैं, ढोल बज रहे होते हैं, लोग नाचते हैं और लोग ट्रैक के किनारे खाते-पीते दौड़ का मजा लेते हैं. यहां के जज भी इस भीड़ का ही हिस्सा होते हैं. वह विजेताओं को चुनते हैं, इनाम देते हैं और यह भी देखते हैं कि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं.
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‘गौरव का प्रतीक’
सरदार हसीब बचपन से इस दौड़ को जानते हैं. उनका परिवार पीढ़ियों से इस परंपरा का हिस्सा रहा है. उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, “हमें अपने जानवरों पर गर्व है. किसान और जमींदार पूरे साल अपने सांडों की देखभाल सिर्फ इसी पल के लिए करते हैं. लोग विजेता सांड के लिए भारी कीमत देने को तैयार रहते हैं. वह सांड हमारे लिए गौरव का प्रतीक होता है.
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जीत का जश्न
जीत का पल एकदम जोश भरा होता है. दौड़ में हिस्सा लेने वाली टीमें नाचती हैं या अपने सांडों को चूमती हैं. यह जश्न सिर्फ सवार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि सांड के मालिक और पूरे गांव में फैल जाता है. यह साल का सबसे बड़ा खुशी का मौका होता है.
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परंपरा या आधुनिकता
जीत के बाद टीम वाले हवा में नोट उड़ाते हैं. वर्षों से समाज में कई तरह के बदलाव आए हैं और पाकिस्तान के बड़े शहरों में अब क्रिकेट बेहद लोकप्रिय हो रहा है. हालांकि सांड दौड़ आज भी एक अनूठी परंपरा बनी हुई है.
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रक्षा बजट के अलावा पाकिस्तान ने करीब 3.5 बिलियन डॉलर सैन्य सेवा के कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए भी तय किए हैं. पिछली बार के मुकाबले इस मद में भी 4 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. जबकि यह रक्षा बजट का हिस्सा नहीं है, फिर भी मिलिट्री पेंशन पर सरकार के कुल खर्च का करीब 4.2 फीसदी बैठता है.
भारत के रक्षा बजट के मुकाबले मामूली खर्च
पाकिस्तान के रक्षा बजट के मुकाबले यह पेंशन 40 फीसदी है. उधर भारत में रक्षा पेंशन इसकी करीब आधी यानी रक्षा बजट के अनुपात में इसकी 20 से 22 फीसदी होती हैं. बजट में इतनी बढ़त के बाद भी पाकिस्तान का रक्षा खर्च भारत के मुकाबले काफी कम है. डॉलर में गणना करें तो भारत का रक्षा खर्च पाकिस्तान के मुकाबले नौ गुना ज्यादा है.
अमेरिका की चाहत, भारत ना भटके
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अप्रैल के अंत में भारतीय कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया. पहलगाम के हमले में 24 भारतीय लोगों की जान गई थी. इसके बाद मई की शुरुआत में दोनों देशों ने एक दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन से हमला भी किया. इसमें भी सीमा के दोनों ओर दर्जनों लोगों की मौत हुई थी.