कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान दुनिया भर में अपने लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है. इस मामले में सबसे ज्यादा उम्मीदें उसे चीन से हैं. लेकिन चीन इस मुद्दे पर पाकिस्तान का किस हद तक साथ दे सकता है?
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पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन का दौरा किया. इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि इमरान खान ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को "कश्मीर मुद्दे पर समर्थन" के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही उन्होंने मुश्किल समय में आर्थिक मदद के लिए भी चीन का आभार जताया है. पाकिस्तान रेडियो ने इमरान खान के हवाले से लिखा, "हम चीन की तरफ से वित्तीय सहयोग को कभी नहीं भूल पाएंगे."
दूसरी तरफ चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी कि चीनी राष्ट्रपति शी ने इमरान खान से कहा है कि वह कश्मीर की हालत पर नजर बनाए हुए हैं और "पाकिस्तान को उसके मूल हितों के जुड़े मुद्दों पर समर्थन दिया जाएगा." हालांकि चीनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि विवाद से जुड़े पक्षों (भारत और पाकिस्तान) को शांतिपूर्ण बातचीत से यह विवाद सुलझाना चाहिए.
पाकिस्तान और चीन अपने रिश्तों को समंदर से गहरे, हिमालय से ऊंचे, शहद से मीठे और स्टील से भी अधिक मजबूत बताते हैं. जानते हैं दोनों देशों के रिश्तों की कहानी.
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राजनयिक संबंध
साल 1951 में चीन और पाकिस्तान ने एक दूसरे के साथ राजनयिक संबंध कायम किए. तब से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच घनिष्ठ दोस्ती और रणनीतिक संबंध बने हुए हैं. पाकिस्तान, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता देने वाले पहले कुछ देशों में से एक रहा. 1960 और 1970 के दशक में जब बीजिंग का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव चल रहा था, उस वक्त भी पाकिस्तान चीन का स्थिर सहयोगी बना रहा.
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ऐतिहासिक घटनाएं
ऐतिहासिक रूप से कुछ घटनाओं ने चीन और पाकिस्तान के संबंधों को मजबूत बनाया है. साल 1959 के नक्शों में पाकिस्तान का कुछ हिस्सा चीन अपनी सीमाओं में दिखाता था. इसके बाद दोनों देशों के बीच मार्च 1963 में सीमा समझौता हुआ.
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पाकिस्तान बना मध्यस्थ
1965 में भारत-पाकिस्तान विवाद में भी चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया. 1960 के दशक में जब दुनिया में अमेरिका और चीन के संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश चल रही थी तब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के सलाहकार हेनरी किसिंजर ने 1971 में पाकिस्तान होते हुए चीन की यात्रा की.
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सांस्कृतिक समझौता
साल 1965 में पाकिस्तान और चीन के बीच सांस्कृतिक समझौता हुआ. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच गहरी साझेदारी की नींव रखी. इसी दौर में पाकिस्तानी टीवी चैनलों में चीन के, तो वहीं चीन में पाकिस्तान के नाटक और फिल्में प्रसारित होने लगीं. पाकिस्तान की एयरलाइन दुनिया की पहली ऐसी एयरलाइन थी जिसकी फ्लाइट सीधे बीजिंग तक जाती थी.
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बांग्लादेश को मान्यता
पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने जब संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए आवेदन दिया तो चीन ने उस प्रस्ताव को वीटो कर दिया. स्वतंत्र देश के रूप में बांग्लादेश को मान्यता देने वाले आखिरी कुछ देशों में चीन भी था. 31 अगस्त 1975 तक चीन ऐसा करने से इनकार करता रहा.
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रणनीतिक साथ
चीन ने हमेशा पाकिस्तान के विकास और परिस्थितियों के आधार पर आतंकवाद विरोधी सुरक्षा रणनीति के कार्यान्वयन का दृढ़ता से समर्थन किया है. वहीं पाकिस्तान, ताइवान, तिब्बत, शिजियांग और अन्य मुद्दों पर चीन का मजबूती से समर्थन करता है.
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मजबूत आर्थिक रिश्ते
चीन, पाकिस्तान के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. वहीं पाकिस्तान, चीन के लिए दक्षिण एशिया में निवेश का सबसे बड़ा ठिकाना है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार तकरीबन 18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. साल 2000 से 2015 की अवधि के दौरान दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉल्यूम 5.7 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
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रक्षा सौदे
1960 के दशक से चीन पाकिस्तान के लिए एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता की भूमिका निभा रहा है. चीन ने पाकिस्तान को हथियारों के लिए फैक्ट्रियों के निर्माण करने में काफी मदद की. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच अधिकारियों का प्रशिक्षण, संयु्क्त सैन्य अभ्यास, खुफिया सेवाओं का आदान-प्रदान और आंतकवाद के खिलाफ लड़ने को लेकर भी आपसी साझदेारी है.
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पाकिस्तानी बेड़े में चीन
पाकिस्तान के बेड़े में छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं मसलन शाहीन मिसाइल श्रृंखला जिसे जानकार चीन से आयातित बताते हैं. साथ ही पाकिस्तानी वायुसेना के पास चीनी इंटरसेप्टर और उन्नत ट्रेनर विमान के साथ-साथ विमान का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले एक चीनी कंट्रोल रडार सिस्टम है. पाकिस्तान, चीन के साथ मिलकर जेएफ-17 जैसे कई लड़ाकू विमान को तैयार कर रहा है.
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परमाणु सहयोग
चीन शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का एक मुखर और मजबूत समर्थक रहा है. चश्मा न्यूक्लियर पावर कॉम्पलेक्स पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में में बना एक कमर्शियल ऊर्जा संयंत्र है. इस संयंत्र की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के नियमों के तहत चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन के सहयोग से की गई थी.
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बुनियादी ढांचा
चीन पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर,सीपीईसी के तहत 60 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में सड़क, पाइपलाइन, पावर प्लांट, इंडस्ट्रियल पार्क और बंदरगाह बनाए जाएंगे. सीपीईसी बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है. बीआरआई का मकसद एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 70 देशों के साथ जमीन और समुद्री व्यापार मार्ग बनाना है.
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चीनी भाषा का क्रेज
चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट से पाकिस्तानी नई नौकरियों की उम्मीद कर रहे हैं. साल 2017 में डीडब्ल्यू ने इस्लामाबाद की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंगुएजेज (एनयूएमएल) में भाषा सिखाने वाले मिसबाख रशीद के हवाले से बताया था कि कि सीपीईसी से पहले यूनिवर्सिटी में करीब 200 छात्र चीनी भाषा सीख रहे थे लेकिन इसके बाद से यह संख्या 2,000 को भी पार कर गयी.
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भारत के लिए सिरदर्द
चीन-पाकिस्तान की नजदीकियां भारत को अकसर परेशान करती रही हैं. साल 1947 के बाद से ही भारत-पाकिस्तान जहां कश्मीर को लेकर विवाद है. वहीं चीन के साथ भी अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, तिब्बत को लेकर भारत हमेशा जूझता रहा है. भारत-चीन के बीच करीब 3000 किमी की सीमा पर कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसे में चीन और पाकिस्तान की नजदीकी इसके लिए एक बड़ा सिरदर्द है.
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अगस्त में भारत सरकार ने जब से जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला किया है, तभी से वहां बंद के हालात हैं. ऐसे में, भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्ते और तल्ख हो गए. विवादित जम्मू कश्मीर के एक हिस्से पर भारत का नियंत्रण है और दूसरे हिस्से पर पाकिस्तान का. लेकिन वे दोनों ही समूचे हिस्से पर दावा जताते हैं. इसमें से कुछ हिस्सा चीन के पास भी है.
चीन पाकिस्तान का नजदीकी सहयोगी है और वह हमेशा रणनीतिक और आर्थिक मदद के लिए बीजिंग की तरफ देखता है. चीन ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और खास कर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर विरोध जताया है. चीनी सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक, यह कदम "अस्वीकार्य" है और चीन कश्मीर क्षेत्र में पाकिस्तान के "वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए" उसकी मदद करेगा.
भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है. भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर चीन अपना दावा जताता है. दूसरी तरफ, भारत ने अक्साई चिन में 38 हजार वर्ग किलोमीटर के इलाके पर दावा जताया है जो चीन के नियंत्रण में है.
भारत और पाकिस्तान की फौजें चार बार युद्ध में भिड़ चुकी हैं. एक नजर भारत और पाकिस्तान के सैन्य संघर्षों पर. दोनों के बीच तनाव भरे पलों पर.
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1947
भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध दोनों की आजादी के महज दो महीने बाद अक्टूबर 1947 में शुरू हुआ. कश्मीर में कबायली हमले के बाद यह जंग शुरू हुई. तब से आज तक कश्मीर पर दोनों देश अपना दावा करते हैं.
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1965
दोनों पड़ोसियों के बीच दूसरी जंग 1965 में हुई. कश्मीर मुद्दे को लेकर शुरू हुई इस लड़ाई के दौरान भारत ने पंजाब का फ्रंट खोल दिया. भारतीय फौज पाकिस्तानी पंजाब में काफी अंदर तक दाखिल हो चुकी थी. उसके बाद युद्ध विराम हुआ.
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1971
पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोकतांत्रिक जनविद्रोह को दबाने के लिए सेना का इस्तेमाल किया. भारतीय सेना ने जनविद्रोहियों का समर्थन किया. इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
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1999
दोस्ती और अमन की ऐतिहासिक कोशिशों के दौरान पाकिस्तान की सेना ने 1999 में भारतीय इलाके में घुसकर कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सेना को वापस भेजा.
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2001
अक्टूबर 2001 में भारत प्रशासित कश्मीर की विधानसभा में आतंकी हमला हुआ, इसमें 38 लोग मारे गए. इस हमले के दो महीने बाद नई दिल्ली में भारतीय संसद पर भी इसी तरह का आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 14 लोगों की मौत हुई.
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2008
नवंबर 2008 में भारत में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. समंदर के रास्ते पाकिस्तान से भारत में दाखिल हुए आतंकवादियों के गुट ने मुंबई में रेलवे स्टेशन, रेस्तरां, फाइव स्टार होटल, यहूदी सेंटर को निशाना बनाया और 166 लोगों की जान ले ली.
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2016
जनवरी 2016 में भारतीय वायुसेना के पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमला हुआ. हमले में सात भारतीय सैनिकों और छह हमलावरों की मौत हुई.
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2016
भारत प्रशासित कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के ठिकाने पर हमला हुआ. 19 भारतीय जवान मारे गए.
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2019
भारतीय कश्मीर के पुलवामा जिले में आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान मारे गए
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2019
पुलवामा हमले के 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले किए.
दिल्ली में रहने वाली लेखक और विदेश नीति की जानकार नारायणी बासु कहती हैं कि कश्मीर संकट का भारत चीन संबंधों पर कोई बड़ा असर नहीं होगा. उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "चीन इस समय कई तरह के संकटों से जूझ रहा है, इसलिए वह सिर्फ कश्मीर पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता है." उनका इशारा हांगकांग और ताइवान के अलावा अमेरिका के साथ चल रहे चीन के कारोबारी युद्ध की तरफ है. वह कहती हैं, "दोनों तरफ से राजनयिक हलचलें होंगी, ऐसी कोई संभावना नहीं है कि कुछ बड़ा होगा."
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे पाकिस्तान के लिए मुश्किलें पैदा होंगी, क्योंकि उसे चीन की तरफ से कश्मीर पर अभी तक वैसा समर्थन नहीं मिला है जैसा वह चाहता है. फिर भी पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि वे कश्मीर पर चीन के रुख से संतुष्ट हैं.
नई दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं कि भारत और चीन के लिए "अपने रिश्तों को स्थिर बनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि वे दोनों ही कई मुद्दों से जूझ रहे हैं. इनमें घरेलू और क्षेत्रीय, दोनों तरह के मुद्दे शामिल हैं."
बासु कहती हैं कि चीनी राष्ट्रपति की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने परिपक्वता का परिचय दिया है और विवादों का असर सहयोग पर नहीं पड़ने दिया. हालांकि कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि चीन कश्मीर मुद्दे का इस्तेमाल भारत पर आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है.
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
तस्वीर: Reuters
2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
तस्वीर: picture-alliance
2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.