यूएई में फंसे नागरिकों को निकालने में जुटा पाकिस्तान
१९ अप्रैल २०२०
पाकिस्तान ने संयुक्त अरब अमीरात से अपने कुछ नागरिकों को निकालने का काम शुरू कर दिया है. यूएई ने श्रम संबंधों को लेकर धमकी दी थी.
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कोरोना वायरस के कारण संयुक्त अरब अमीरात में फंसे अपने नागरिकों को पाकिस्तान ने वापस स्वदेश ले जाना शुरू कर दिया है. दरअसल यूएई ने पाकिस्तान को अपने नागरिकों को वापस नहीं ले जाने पर श्रम संबंधों को लेकर समीक्षा करने की धमकी दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने 227 "फंसे हुए नागरिकों" को शनिवार को पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की फ्लाइट से देश भेजा. दुबई में पाकिस्तान काउंसल जनरल ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी. हालांकि यह साफ नहीं है कि अन्य फ्लाइट्स की रवानगी कब होगी. यूएई के दो अखबारों का कहना है कि खाड़ी राज्य में रहने वाले 40,000 पाकिस्तानियों ने कॉन्सुलेट में अपना नाम रजिस्टर कराया था.
यूएई और अन्य खाड़ी अरब राज्यों ने भी संक्रमण के बढ़ते मामले दर्ज किए हैं, यह कम आय वाले प्रवासी मजदूरों में दर्ज किए गए हैं जो कि भीड़-भाड़ वाले क्वार्टर में रहते हैं. कुछ मजदूरों को स्कूलों और विशेष केंद्रों में रखा गया है और कोशिश यह है कि फ्लाइट के जरिए उन्हें वापस उनके देश भेजा जा सके. दरअसल पिछले हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात ने कहा था जो देश अपने नागरिकों को वापस नहीं ले जा रहे हैं, वे उनके साथ श्रम संबंधों की समीक्षा करेगा. इसमें वे नागरिक भी शामिल हैं जिनकी नौकरी चली गई है या तो उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है. खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था के लिए लाखों एशियाई मजदूर रीढ़ की हड्डी की तरह काम करते हैं, कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण यह पूरी तरह से बाधित हो गई है. महामारी के कारण खाड़ी देशों से मजदूर अपने परिवार को पैसे भेजते हैं और अब वह भी अटकने की आशंका है.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए खाड़ी में भी सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं, वायरस के फैलाव को रोकने के लिए यात्री विमानों की उड़ान पर रोक, कर्फ्यू और उन इलाकों में जहां मजदूर ज्यादा हैं, वहां लॉकडाउन के बेहद सख्त नियम लागू हैं. रविवार 19 अप्रैल को यूएई ने 479 नए मामलों की जानकारी दी और यहां वायरस के कारण चार मौतें दर्ज हुई. यूएई में इस महामारी के कारण 41 मौतें हो चुकी हैं.
एए/आईबी (रॉयटर्स)
पर्यावरण पर ऐसा होगा कोरोना का असर
कहीं हवा साफ हो रही, कहीं नदियां तो कहीं जानवर और पक्षी बेफिक्र घूम रहे हैं. लगता है कि कोरोना संकट पर्यावरण पर काफी अच्छा असर छोड़ कर जाएगा. लेकिन कुछ बुरे असर भी होंगे जिन पर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है.
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बेहतर हवा
दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी अपने घरों में कैद है. लॉकडाउन के चलते सड़कें खाली पड़ी हैं. कई देशों में फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं. सैटेलाइट की तस्वीरें दिखाती हैं कि शहरों में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस में भारी कमी आई है.
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फैक्ट्रियों से छुटकारा
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के साथ साथ कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में भी भारी गिरावट देखी गई है. आंकड़े बताते हैं कि आखिरी बार ऐसा 2008-09 के आर्थिक संकट के दौरान हुआ था. अकेले चीन में ही लॉकडाउन के दौरान CO2 उत्सर्जन में 25 फीसदी की कमी आई.
इंसानों की गैर मौजूदगी में कई जानवर अब सड़कों पर निकलने लगे हैं. लेकिन जब लॉकडाउन खत्म होगा तब क्या होगा? जानवरों के लिए यह अजीब सी स्तिथि होगी. और वे आवारा जानवर जो इंसानों द्वारा दिए जाने वाले खाने पर निर्भर करते थे, वे अब भूखे मर रहे हैं.
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अवैध शिकार
कोरोना संकट के बीच वुहान का मीट बाजार सुर्खियों में छाया हुआ है जहां वैध और अवैध रूप से जंगली जानवरों का कारोबार होता है. उम्मीद है कि अब इतनी बहस के बाद जंगली जानवरों के अवैध शिकार पर रोक लग सकेगी.
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साफ पानी
इटली में लॉकडाउन के कुछ ही दिन बाद वेनिस की साफ पानी वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. इस दौरान क्रूज शिप नहीं चल रहे हैं, जिससे ना केवल पानी साफ हुआ है, बल्कि समुद्र में ध्वनि प्रदूषण भी रुका है. भारत में गंगा और यमुना भी साफ दिख रही हैं.
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प्लास्टिक कूड़ा
कोरोना संकट का सबसे बड़ा नुकसान है प्लास्टिक की बड़ी खपत, फिर चाहे अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाला डिस्पोजेबल सामान हो, आम लोगों द्वारा पहने जा रहे डिस्पोजेबल ग्लव्स या फिर सुपरमार्केट में बिक रहा पैक्ड सामान. जहां कहीं कैफे खुले हैं वे बी डिस्पोजेबल कप इस्तेमाल कर रहे हैं.
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जलवायु की कोई बात नहीं
इस वक्त दुनिया भर का ध्यान सिर्फ और सिर्फ कोरोना संकट से निपटने में है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन पर बहस रुक गई है. हमारी हवा और नदियां इस दौरान साफ जरूर हुई हैं लेकिन हमेशा के लिए नहीं. लॉकडाउन खुलने के बाद सब फिर से वैसा ही हो जाएगा. (रिपोर्ट: इनेके म्यूलेस/आईबी )