पाकिस्तान ने कहा है कि वह अपने यहां आतंकवादी गतिविधियों कराने के लिए भारत की शिकायत संयुक्त राष्ट्र में करेगा. उसने आरोप लगाया है कि लाहौर में हुए आतकंवादी बम धमाके में भारत का हाथ है.
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पाकिस्तान यूएन में भारत की शिकायत करेगा. उसका आरोप है कि भारत उसके यहां आतंकवादी गतिविधियों को हवा दे रहा है. खासतौर पर लाहौर में 2021 में हुए बम धमाके का जिक्र करते हुए उसने कहा है कि यह बम धमाका भारत ने कराया था.
पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि यूएन को एक डोजियर भेजा जाएगा जिसमें भारत के 2021 के बम धमाके में शामिल होने के अलावा अन्य कई घटनाओं में उसकी भूमिका के प्रमाण होंगे. खार ने कहा,"हम इसे सूचना आधारित प्रमाण कहेंगे. भारत क्या कर रहा है हम इसकी सूचनाएं और प्रमाण साझा करना चाहते हैं. आइए, साफ-साफ बात करें. ऐसा ही हो रहा है. दुनिया को पता होना चाहिए कि इलाके में क्या हो रहा है.”
26/11 के 10 साल बाद भी दर्द बाकी है
10 साल पहले आज ही के दिन मुंबई पर आतंकवादियों ने हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी. तीन दिन तक शहर मानो बंधक बना रहा. इस घटना के बाद बहुत से लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. पांच ऐसे ही लोगों की कहानी...
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वीजू चौहान
वीजू चौहान 26 नवंबर की रात कामा एंड एल्बलेस हॉस्पिटल में लेबर पेन के कारण भर्ती थीं. हथियारों से लैस दो आतंकवादी इमारत के गलियारे में घुस गए. इस बीच आठ दूसरे आतंकवादियों ने शहर की रफ्तार रोक दी थी. इसी बीच वीजू ने अपनी बेटी तेजस्विनी को चुपके से जन्म दिया. वो बताती है, "हमें नहीं लगा था कि जिंदा बचेंगे, नर्स ने बहुत अच्छे से देखभाल की और हमें बचा लिया."
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"गोली"
वीजू की बेटी को लोग प्यार से "गोली" कह कर बुलाते है. गोली अब 10 साल की हो गई है. हर साल उसका जन्मदिन मनाते वक्त उसकी मां को वो लम्हा याद आ जाता है. जन्मदिन का केक काटते वक्त वीजू उन परिवारों को याद करती है जिन्हें उस हमले की चपेट में आने से बचाया नही जा सका.
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निर्मला पोन्नुदुरई
निर्मला उस वक्त शादी करने जा रही थीं जब दो हमलावरों ने मुंबई के मुख्य स्टेशन पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 52 लोगों की जान ले ली. पोन्नुदुरई कहती हैं, "ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो. लगा जैसे पटाखों की आवाज हो. मैंने महसूस किया कि बहुत गर्मी मेरे शरीर में आ गई है और मेरे पूरे चेहरे पर खून फैल गया है. वहां बहुत धुआं और अफरातफरी थी."
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दिमाग में छर्रा लिए शादी
निर्मला के सिर और दिमाग में छर्रे घुस गए थे. एक भले इंसान ने उन्हें हाथ वाले ठेले में रख कर अस्पताल पहुंचाया. वो बताती हैं, "मैं चाहती थी कि शादी तय समय पर ही हो इसलिए चेन्नई चली गई. 30 नवंबर को मैंने शादी की, दिमाग में छर्रे को निकालने के लिए उसके बाद ऑपरेशन हुआ. उसके बाद छह महीने तक मेरा चेहरा लकवे का शिकार रहा."
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सौरभ मिश्रा
सौरभ मिश्रा अपने दोस्त के साथ लियोपोल्ड कैफे में बीयर का मजा ले रहे थे तभी दो बंदूकधारियों ने ग्रेनेड फेंका और फायरिंग शुरू कर दी. विदेशियों समेत 10 लोग मारे गए. सौरभ याद करते हैं, "मैं टा टा टा आवाज सुन सकता था और तभी मुझे अहसास हुआ कि मुझे गोली लगी है. लोग टेबल के नीचे घुस गए लेकिन मै बाहर सड़क पर आ गया."
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मर कर जिंदा
सौरभ टैक्सी में और अस्पताल जाते वक्त यही सोच रहे थे कि वो नहीं बचेंगे. गोली ने उनके फेफड़ों को छुआ था लेकिन उसे नुकसान नहीं पहुंचाया था. ऑपरेशन कर उसे तुरंत निकाल दिया गया. अस्पताल में हर तरफ शव थे और उनका नाम भी मरने वालों की सूची में डाल दिया गया. एक टीवी चैनल का पत्रकार तो उनके मां बाप का इंटरव्यू करने भी पहुंच गया था.
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हेमंत ओबेरॉय
फाइव स्टार ताज पैलेस होटल के हेड शेफ हेमंत ओबेरॉय उस वक्त होटल में ही थे जब आतंकवादियों ने हमला किया. आतंकवादियों ने धमाके किए, लोगों को बंधक बनाया और 30 लोगों की जान ले ली. ओबेरॉय समेत दूसरे होटल कर्मचारी लोगों को बचाने में जुटे रहे. हेमंत ओबेरॉय कहते हैं, "हमने हर मेहमान को बचाने की कोशिश जैसे वो हमारे घर में हों. हम रास्तों को अच्छे से जानते थे तो हम उन्हें एक जगह ले जाने में जुटे रहे."
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एक के बाद एक अंतिम संस्कार
हेमंत ओबेरॉय और उनके साथियों की कोशिश से बहुत से लोगों की जान बच गई. हेमंत बताते हैं, "मेरे कुछ बहादुर साथियों को बंदूकधारियों ने गोली मार दी जब वे किचन में घुस आए. एक के बाद एक कर उनके अंतिम संस्कार में जाना मेरे लिए बेहद मुश्किल था. 10 साल बाद भी वो सब मेरी आंखों के आगे घूम जाता है, मैं आज भी उनके बलिदान को याद करता हूं."
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दिव्या सालसकर
पुलिस अधिकारी विजय सालसकर की बेटी दिव्या उस वक्त 21 साल की थीं जब आतकंवादियों का पीछा करते उनके पिता की गोलीबारी में मौत हो गई. वो बताती हैं, "शुरुआत में तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो अब मेरे आसपास नहीं हैं. पहले मैं दुनिया से नाराज थी लेकिन धीरे धीरे बीते 10 सालों में आगे बढ़ गई हूं."
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जख्मों के निशान
बीते सालों में हमले की जगहों से सब धो पोंछ कर साफ कर दिया गया है, हमला करने वाले भी मारे जा चुके हैं लेकिन जिन लोगों ने उसकी पीड़ा सही वो अब भी किसी ना किसी रूप में उनके साथ है और शायद कभी खत्म नहीं होंगी.
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भारत की ओर से इस बारे में फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. खार ने यह नहीं बताया कि यह डोजियर कब दिया जाएगा और यूएन की किस संस्था को यह डोजियर दिया जाएगा.
भारत पर आरोप
मंगलवार को पाकिस्तान ने कहा था कि 2021 में लाहौर में हाफिज सईद के घर के बाहर हुए बम धमाके में भारत का हाथ था. लश्कर ए तैयबा प्रमुख हाफिज सईद एक प्रतिबंधित आतंकवादी है और भारत का कहना है कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले उसी ने करवाए थे. 2008 में मुंबई में हुए उस आतंकवादी हमले में कई विदेशियों समेत 166 लोग मारे गए थे.
हिना रब्बानी खार ने कहा कि लाहौर में हुए उस बम धमाके की साजिश भारत में रची गई, जिसमें चार लोगों की जान गई थी. पाक विदेश मंत्री ने कहा, "हम चाहते हैं कि जैसा जिम्मेदार देश करते हैं, भारत उन लोगों को हमें सौंप दे. अगर भारत एक जिम्मेदार देश है तो जरूर सहयोग करेगा.”
लेन देन के सबूत
हाफिज सईद के घर के बाहर 2021 में लाहौर में यह धमाका हुआ था. वहां एक कार ने पुलिस नाके को टक्कर मार दी थी. उस धमाके में हाफिज सईद या उसके परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था लेकिन चार अन्य लोगों की जान चली गई थी. सईद उस वक्त घर में नहीं था लेकिन पाक अधिकारियों का कहना है कि संभव है, उसका परिवार इस हमले का निशाना हो. हाफिज सईद इस वक्त जेल में है.
पाक गृह मंत्री राना सनाउल्लाह ने मंगलवार को कहा, "हमारे पास ठोस सबूत हैं कि भारत उस हमले में शामिल था. हमारे पास इस बात के सारे सबूत हैं कि इसके लिए धन भारत ने दिया.”
मायानगरी मुंबई है सबसे भुलक्कड़ शहर भी
भुलक्कड़ शहर मतलब वो शहर जहां के लोग उबर कैब में सबसे ज्यादा अपना सामान भूल जाते हैं. उबर की सालाना 'खोया-पाया' रिपोर्ट में मुंबई लगातार दूसरे साल पहले नंबर पर रहा. लेकिन दूसरे शहर भी ज्यादा पीछे नहीं हैं.
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सभी बड़े शहरों का एक ही हाल
उबर की सालाना 'खोया-पाया' रिपोर्ट में मुंबई, दिल्ली एनसीआर, लखनऊ और कोलकाता को सबसे भुलक्कड़ शहर पाया गया, यानी इन शहरों के लोग उबर में अपना सामान सबसे ज्यादा भूलते हैं. रिपोर्ट के लिए मार्च 2021 से अप्रैल 2022 तक का डाटा देखा गया.
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सबसे ज्यादा मोबाइल भूल जाते हैं लोग
टैक्सी में सबसे ज्यादा छूट जाने वाली चीजों में मोबाइल फोन और कैमरा का नंबर सबसे ऊपर है. उसके बाद नंबर है लैपटॉप, बैकपैक, पर्स, स्पीकर, कपड़े, राशन, नकद, पानी की बोतल और हेडफोन्स का.
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घेवर से लेकर भारी डंबल तक भूल गए
पीछे छूट जाने वाली अनोखी चीजों की सूची में शामिल हैं घेवर मिठाई, जन्मदिन का केक, आम, आधार कार्ड, पांच किलो के डंबल, कॉलेज के सर्टिफिकेट, बाइक का हैंडल और काले कवर में बांसुरी.
कुछ चीजें खोने का दिन भी तय है
डाटा से यह भी पता चला है कि कई लोग एक ही तरह का सामान सप्ताह के एक खास दिन भूले, जैसे शनिवार को कपड़े भूल जाने की सबसे ज्यादा संभावना है. इसी तरह सोमवार और शुक्रवार को हेडफोन या स्पीकर, बुधवार को लैपटॉप और रविवार को पानी की बोतल के छूट जाने की सबसे ज्यादा संभावना है.
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दिन के एक खास समय में याददाश्त हो जाती है कमजोर
उबर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय लोग दोपहर में सबसे ज्यादा भुलक्कड़ हो जाते हैं. दिन के एक बजे, दो बजे और तीन बजे टैक्सी में लोगों का सबसे ज्यादा सामान छूट जाता है.
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मार्च 2022 रहा खास
मार्च 2021 से लेकर अप्रैल 2022 के बीच विशेष रूप से मार्च 2022 में कुछ तो खास रहा होगा, क्योंकि पूरे साल में जिन तारीखों पर लोग टैक्सी में सबसे ज्यादा सामान भूल कर चले गए वो थे 17, 24, 25, 30 और 31 मार्च. आपको भी कुछ याद आया क्या?
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सनाउल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान की आतंकरोधी ईकाई ने हाल ही में एक गिरोह के कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जो 2021 के धमाके में शामिल थे और भारत की जासूसी एजेंसी रॉ उस गिरोह को समर्थन दे रही थी. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ये गिरफ्तारियां कब हुईं और क्या सबूत मिले.
एक अन्य पाक अधिकारी ने कहा कि इस गिरोह को चलाने के लिए उपलब्ध कराए गए आठ लाख डॉलर के लेनदेन के सबूत मिले हैं, जो भारत से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के पास इस बात के सबूत हैं कि यह धन भारत से आया.