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इमरान खान और उनकी पार्टी के लिए आगे क्या रास्ता है?

शामिल शम्स
२ फ़रवरी २०२४

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गोपनीय सूचनाओं को लीक करने और भ्रष्टाचार के मामलों में कई साल की जेल की सजा सुनाई गई है. इन फैसलों की वजह से आगामी 8 फरवरी के चुनावों पर काले बादल मंडरा रहे हैं.

चुनाव से पहले इमरान खान के पोस्टर
इमरान खान को कैदतस्वीर: AKRAM SHAHID/AFP

पाकिस्तान में अगले हफ्ते आम चुनाव होने हैं और वहां चुनाव की तैयारियां चल रही हैं लेकिन चुनाव से पहले मुख्य मुद्दा एक बार फिर वही है- पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का राजनीतिक भविष्य और उनकी कानूनी लड़ाई.

पाकिस्तान के एक गैर सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स कमीशन के महासचिव हैरिस खालिक ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के खिलाफ सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद, वे पूर्व पीएम इमरान खान की लोकप्रियता को कम नहीं कर पाए हैं.”

बुधवार को इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल जेल की सजा सुनाई. अदालत ने फैसला सुनाया कि इमरान खान ने साल 2018 से 2022 तक प्रधानमंत्री रहते हुए लाखों रुपये के सरकारी उपहार बेचे थे.

तोशाखाना केस: इमरान खान की गिरफ्तारी पर क्या बोले लोग

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उससे एक दिन पहले, अदालत ने इमरान खान और पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरेशी को सरकारी गोपनीय सूचनाओं को उजागर करने के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. यह मामला एक राजनयिक केबल या एक सिफर से संबंधित है जिसके बारे में खान ने दावा किया था कि यह उनके निष्कासन में अमेरिका की भूमिका का सबूत है.

अप्रैल 2022 में संसद में अविश्वास मत में इमरान खान को सत्ता से हटा दिया गया था. हालांकि, क्रिकेट स्टार से नेता बने 71 वर्षीय इमरान खान ने आरोप लगाया कि उनके देश के शक्तिशाली सैन्य जनरलों ने उन्हें पद से हटाने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर साजिश रची थी. पाकिस्तानी सेना और अमेरिका, दोनों ही इन आरोपों से इनकार करते हैं.

विवादास्पद फैसले

पाकिस्तान में आम चुनाव 8 फरवरी को होने वाले हैं. इससे ठीक दस दिन पहले अदालत के लगातार दो फैसले आए. कई विश्लेषकों के मुताबिक इन फैसलों ने आगामी चुनावों को कुछ हद तक अवैध बना दिया है.

पीटीआई के पदाधिकारियों और अधिकार समूहों ने खान के खिलाफ दोनों मामलों में चली मुकदमे की प्रक्रिया और इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाया है.

पीटीआई के एक वरिष्ठसदस्य जुल्फी बुखारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि खान के वकीलों को उनकी ओर से बोलने या गवाहों से जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फैसला ‘निचली अदालत से आया था और इसके खिलाफ अपील पहले ही उच्च न्यायालय में की जा चुकी है. अदालत और सुप्रीम कोर्ट से हमें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा.'

निचली अदालत को उन्होंने ‘स्पष्ट रूप से हेरफेर' बताया और कहा कि फैसले ‘पूर्व-निर्धारित' थे. उनका यह भी कहना था कि जिन लीक हुए दस्तावेजों के लिए सजा मिली है उनमें प्रमुख रूप से सिफर दस्तावेज है और इसे सरकार पहले ही गोपनीय दस्तावेजों की सूची से हटा चुकी है.

हालांकि, इमरान खान के विरोधियों का कहना है कि उनके लिए 10 साल की सजा बहुत कम है क्योंकि गोपनीय सूचनाओं से संबंधित मामलों में दोषी को आमतौर पर आजीवन कारावास या फिर मौत की सजा मिलती है.

जीत दिलाएगी लोकप्रियता?

डीडब्ल्यू से बातचीत में पीटीआई के प्रवक्ता रऊफ हसन उम्मीद जताते हैं कि इन सजाओं का उनकी पार्टी पर ‘सकारात्मक प्रभाव' पड़ेगा.

हसन कहते हैं, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन मतदाताओं की संख्या बढ़ा सकें जो पीटीआई को वोट देने के लिए मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचेंगे. और हम इस प्रक्रिया में लोगों की स्वतंत्र राजनीतिक भागीदारी के लिए लड़ेंगे.”

दरअसल, इमरान खान के सलाखों के पीछे होने के बावजूद, कई जनमत सर्वेक्षणों ने पीटीआई पार्टी को पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी जैसे अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वियों से आगे रखा है. हालांकि, खान को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है.

लेकिन खान की सजा के बाद बड़ा सवाल यह है कि क्या उनके समर्थक 8 फरवरी को मतदान करने जाएंगे. डीडब्ल्यू ने कई नागरिकों से बात की जिनका मानना ​​है कि उनके वोट चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं करेंगे. पाकिस्तान में यह धारणा बहुत आम हो गई है कि सत्ता में बैठे लोगों ने इमरान खान को राजनीति से बाहर रखने का फैसला कर लिया है.

कराची में इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनस एडमिनिस्ट्रेशन में लेक्चरर हैदर निजामनी ने डीडब्ल्यू को बताया, "आगामी चुनाव पाकिस्तान के इतिहास में सबसे नीरस चुनावों में से एक हैं, और इमरान खान और उनकी पार्टी को मुख्य रूप से न्यायिक प्रक्रियाओं के माध्यम से बाहर रखने से पूरी चुनावी प्रक्रिया और इसकी वैधता पर ही काले बादल मंडरा रहे हैं.”

उन्होंने कहा, "खान देश के एक महत्वपूर्ण वर्ग की भावनाओं को व्यक्त करते हैं, खासकर उन लोगों की जो बड़े शरों में रहते हैं. इसलिए, ये अदालती फैसले इस वर्ग को मताधिकार से वंचित करने जैसे हैं.”

हालांकि, बुधवार को सरकारी उपहार बेचने के मामले में जो फैसला आया और अदालत ने इस मामले में उन्हें भ्रष्ट ठहराया, उसने इमरान खान की उस ‘स्वच्छ' राजनेता की छवि को कुछ हद तक धूमिल कर दिया है जिसका मुख्य राजनीतिक एजेंडा पाकिस्तान से भ्रष्टाचार को खत्म करना रहा है.

इमरान खान वापसी करेंगे?

इमरान खान को कई अन्य कानूनी मामलों का भी सामना करना पड़ रहा है और आने वाले दिनों और हफ्तों में उनके खिलाफ इन मामलों में कुछ और भी फैसले आ सकते हैं. लेकिन यह उनकी सबसे बड़ी चुनौती नहीं है.

विश्लेषकों का कहना है कि यदि इमरान खान ताकतवर सैन्य नेताओं के साथ अपने खराब संबंधों को सुधारने में कामयाब हो जाते हैं तो उनका राजनीतिक भविष्य अभी भी उज्ज्वल हो सकता है.

पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कमीशन के हैरिस खालिक कहते हैं, "खान को मुख्यधारा के दूसरे राजनीतिक दलों का मुकाबला करने के लिए सेना की ओर से एक परियोजना के तहत लॉन्च किया गया था. यदि मौजूदा समय में सेना की पसंदीदा राजनीतिक पार्टियों का जनरलों से मतभेद हो जाता है, तो खान भविष्य में एक बार फिर उनकी पसंद बन सकते हैं. मंगलवार के फैसले के बाद, यह स्पष्ट है कि खान अगले प्रधानमंत्री नहीं होंगे लेकिन राजनीति में उनका भविष्य निश्चित रूप से है.”

इमरान खान और उनकी पार्टी को लेकर पाकिस्तान में कई लोगों की भावनाएं इसी तरह की हैं जो यह मानते हैं कि खान को इसलिए सजा मिल रही है क्योंकि उन्होंने सैन्य प्रतिष्ठान को चुनौती दी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे लोग क्या 8 फरवरी को मतपत्रों के माध्यम से अपनी आवाज उठाएंगे?

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