चूर-चूर होते पाकिस्तानियों के ख्वाब
शरणार्थी संकट के बीच हजारों पाकिस्तानी भी यूरोप में पहुंचे हैं. ग्रीस से पाकिस्तानी इफ्तिखार अलीकी भेजी कुछ तस्वीरें भेजीं यूरोप में बेहतर जिंदगी के इन लोगों के सपने की हकीकत को बयान करती हैं.
चूर-चूर होते पाकिस्तानियों के ख्वाब
शरणार्थी संकट के बीच हजारों पाकिस्तानी भी यूरोप में पहुंचे हैं. ग्रीस से पाकिस्तानी इफ्तिखार अलीकी भेजी कुछ तस्वीरें भेजीं यूरोप में बेहतर जिंदगी के इन लोगों के सपने की हकीकत को बयान करती हैं.
सफाई का काम
हजारों पाकिस्तानी अपने घरों से निकले और उनकी मंजिल जर्मनी या उसके पड़ोसी देश थे. किसी ने सोचा भी न होगा कि खतरनाक पहाड़ी और समंदरी रास्ते पर जिंदगी दांव पर लगाने के बाद उन्हें एथेंस के शरणार्थी शिविर में शौचालय साफ करना होगा.
झूठे सब्जबाग
इनमें से ज्यादा लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत हैं. एजेंटों ने उन्हें जर्मनी तक पहुंचाने का खर्चा प्रति व्यक्ति पांच लाख रुपए बताया था और सबसे ये पैसा एडवांस में ही ले लिया गया. लेकिन अब एजेंटों के दिखाए सब्जबाग झूठे साबित हो रहे हैं.
शरण संभव नहीं
सीरिया और अन्य संकटग्रस्त देशों से आए शरणार्थियों को बालकन देशों के रास्ते जर्मनी जाने की इजाजत दी गई थी. लेकिन यूरोपीय सरकारों का मानना है कि ज्यादातर पाकिस्तानी आर्थिक कारणों से यूरोप आ रहे हैं. इसलिए उन्हें यहां शरण दिए जाने की संभावना बहुत कम है.
रहने की शर्त
इन लोगों का कहना है कि ग्रीस में अधिकारियों ने सफाई का काम सिर्फ उन्हें ही सौंपा है. इनसे कहा गया है कि पाकिस्तानी नागरिकों को शरणार्थी शिविर में रखने की इजाजत ही नहीं है, फिर भी उन्हें वहां रहने की इजाजत सिर्फ इस शर्त पर दी गई है कि वो सफाई करेंगे.
नाउम्मीद
ऐसे सैकड़ों पाकिस्तानी आप्रवासियों को अब उम्मीद ही नहीं है कि वो ग्रीस से आगे पश्चिमी यूरोप की तरफ जा पाएंगे और इसलिए वो वापस पाकिस्तान जाना चाहते हैं. इनमें से बहुत से मानसिक और शारीरिक बीमारियों का शिकार हैं. कई लोगों ने आत्महत्या की कोशिश भी है.
खाना भी पूरा नहीं
ग्रीस में शरण की आस में रह रहे ज्यादातर पाकिस्तानियों का कहना है कि शिविर में उन्हें पर्याप्त खाना भी नहीं मिलता है और वो अच्छा भी नहीं होता है. कई लोगों का कहना है कि उन्हें सिर्फ जिंदा रहने के लिए रोज एक वक्त का खाना दिया जाता है. ऐसे में कई लोग बीमारियों का शिकार हैं.
वतन वापसी भी मुश्किल
विडंबना तो ये है कि ज्यादातर लोगों के पास पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज भी नहीं है और पाकिस्तान वापस जाना भी उनके लिए कठिन है. एथेंस में पाकिस्तानी दूतावास की तरफ से उनकी पहचान और पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया बहुत धीमी है.
याद आते हैं बच्चे
पाकिस्तान के जिला गुजरात से संबंध रखने वाले 41 साल के सज्जाद शाह भी अब वापस वतन लौटना चाहते हैं. उनके तीन बच्चे हैं. वो कहते हैं कि कैंप में बच्चे को खेलते देख उन्हें अपने बच्चे याद आते हैं और जल्द से जल्द उनके पास जाना चाहते हैं.
खराब हालात
अन्य देशों से संबंध रखने वाले आप्रवासियों और शरणार्थियों को यूनानी अधिकारियों ने रिहायशी इमारतों में रहने को जगह दी है जबकि पाकिस्तानियों को ज्यादातर अस्थायी शिविरों में रखा गया है. हालत इसलिए भी खराब है कि उन्हें यूरोप की कड़ी सर्दी की आदत नहीं है.
नहीं मिलता जवाब
इन लोगों का कहना है यात्रा दस्तावेजों के लिए उन्होंने एथेंस के पाकिस्तानी दूतावास में अर्जी दी है लेकिन महीनों बाद भी कोई जबाव नहीं मिला है. कुछ लोगों ने शरणार्थी एजेंसी से भी खुद को स्वदेश भिजवाने की अपील की, लेकिन उन्होंने कहा कि इसके लिए पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज चाहिए.
गुहार
बहुत से लोगों ने पाकिस्तान सरकार से भी जल्द से जल्द वतन वापसी की गुहार लगाई है. एहसान नाम के एक पाकिस्तानी आप्रवासी ने डीडब्ल्यू को बताया, “न हम वापस जा सकते हैं और न आगे. बस पछतावा है और यहां टॉयलेट की सफाई का काम है.”