पाकिस्तान के कराची में रहते हैं डॉ. आदिबुल रिजवी. लोग उन्हें फरिश्ता कहते हैं, मसीहा मानते हैं. क्योंकि उन्होंने लाखों जानें बचाई हैं.
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कराची के डॉक्टर आदिबुल रिजवी पाकिस्तान के लाखों लोगों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. हर साल डॉ. रिजवी लाखों लोगों का मुफ्त इलाज करते हैं. पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत अच्छी नहीं है. आलोचक कहते हैं कि इस व्यवस्था को मारामारी, भ्रष्टाचार और संसाधनहीनता की बीमारियां खा रही हैं. ऐसे में 79 साल के रिजवी का होना मरीजों के लिए सबसे बड़ी राहत है.
42 साल से डॉक्टर रिजवी अपने इस काम को पूरी शिद्दत और मोहब्बत से निभा रहे हैं. 8 बिस्तर के अस्पताल से शुरू करके आज उन्होंने आज उन्होंने सबसे बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है जो दक्षिण एशिया के विशालतम नेटवर्क्स में शामिल है. और यह पूरा नेटवर्क लोगों के दान के पैसे से चल रहा है. उनका सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांटेशन (सिऊट) दान के पैसे से ही चलता है. और कई बार तो यह दान सिर्फ एक सौ रुपये का भी होता है. इसी के दम पर 40 साल से लोगों का मुफ्त इलाज हो रहा है. सिर्फ 2015 में 300 ट्रांसप्लांट हुए. दो लाख 60 हजार डायलिसिस हुए. और इसके बाद का जो भी इलाज होता है, वह भी एकदम मुफ्त होता है.
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पाकिस्तान.. और इतना खूबसूरत
दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जब बात चलती है तो पाकिस्तान का शायद ही जिक्र हो. बेशक इसकी वजह वहां चरमपंथी खतरा है, लेकिन पाकिस्तान में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें देख कर मुंह से यही निकलेगा, वाह.
तस्वीर: DW/A. Bacha
जन्नत
कश्मीर को धरती पर जन्नत का नाम दिया जाता है. इसका एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में है तो दूसरा पाकिस्तान के. पूरे कश्मीर में ऐसे दिलकश नजारों की कमी नहीं है.
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सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
ये तस्वीर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ली गई है. ये पर्वत सियाचिन के हैं जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहते हैं. ये जगह पाकिस्तान में स्कारदू के करीब है.
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स्वात की सुंदरता
ये है पाकिस्तान की स्वात घाटी, जो तालिबानी चरमपंथियों को लेकर कई साल से सुर्खियों में रही है. लेकिन कुदरत ने यहां खूबसूरती दिल खोल लुटाई है.
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पूर्व का स्विट्जरलैंड
स्वात का इलाका इस कदर खूबसूरत है कि जब ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ ने यूसुफजई स्टेट ऑफ स्वात का दौरा किया तो उन्होंने इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड कहा था.
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व्हाइट पैलेस
स्वात जिले में ही मिंगोरा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है व्हाइट पैलेस. 1940 में इसका निर्माण उस समय हुआ जब स्वात एक रियासत हुआ करती थी. बताया जाता है कि ये उसी पत्थर से बना है जिससे ताजमहल बना.
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हरियाली और रास्ता
दूर तक फैली हरियाली और बुलंदियों को छूते पर्वत इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन हाल के सालों में बार बार चरमपंथ के कारण यहां सैलानियों ने जाना छोड़ दिया है.
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शहद का दलदल
ये स्वात का गबीना जब्बा इलाका है, जिसका पश्तो भाषा में अर्थ होता है शहद का दलदल.
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ये कहां आ गए हम..
यहां मधु मक्खियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और यहां का शहद पूरे खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में मशहूर है. गबीना जब्बा में यूं ही दूर तक खुला आसमान दिखाई पड़ता है.
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जी नहीं भरेगा
यहां ऐसे नजारे हैं कि देखते रहिए लेकिन जी नहीं भरेगा. ये इलाका बहुत सी उपयोगी जड़ी बूटियों से भी मालामाल है. ऐसे में यहां कई तरह के शोध भी होते रहते हैं.
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चरमपंथ की मार
पाकिस्तान में चरमपंथ के कारण जो क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनमें देश का पर्यटन उद्योग प्रमुख है.
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पानी रे पानी
घनी वादियां और उनसे निकलता निर्मल पानी. हर तरफ बिखरी ऐसी खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है.
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नंगा पर्वत
ये है उत्तरी पाकिस्तान में नंगा पर्वत जो दुनिया में नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,126 मीटर है. ये गिलगित बल्तिस्तान में है और इस इलाके पर भारत भी अपना दावा जताता है.
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आठ हजारी
नंगा पर्वत दुनिया के उन 14 पर्वतों में से एक है जिनकी ऊंचाई आठ हजार मीटर से ज्यादा है. कम ही लोग हैं जो इन पर्वतों पर चढ़ पाए हैं.
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सिंधु घाटी
ये नजारा है सिंधु घाटी का, जो पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज में है. पानी के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि है, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
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हवा में नफरत
अफगानिस्तान से लगने वाले पाकिस्तान के कबायली इलाके बहुत खूबसूरत हैं. लेकिन इस स्वच्छ आबोहवा में कई सालों से हिंसा और नफरत घुली है.
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डॉक्टर रिजवी कहते हैं, "एक विकासशील देश की सरकार आधुनिकतम स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकती." पाकिस्तान में रिजवी के 10 बड़े अस्पताल हैं. उन्हें सरकार से भी मदद मिलती है. सिंध इंस्टिट्यूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांटेशन के बजट का 30 फीसदी सरकार से मिलता है. लेकिन यह काफी नहीं है. कम से कम रिजवी की सोच को पूरा करने के लिए तो कतई काफी नहीं है क्योंकि रिजवी सोचते हैं, "हर इंसान को, स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करने का अधिकार है. सम्मान से जीने का अधिकार है."
इसीलिए रिजवी ने ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस से प्रेरणा लेते हुए रास्ता निकाला है. उन्होंने जनता को ही अपना साझीदार बनाया. वह कहते हैं, "हम हरेक के पास गए और उन्हें साझीदार बनाया." यह कोई आसान काम नहीं रहा. 1974 में जब सिऊट की नींव रखी गई थी तब लोगों को इसके लिए दान देने के लिए राजी करना आसान नहीं था. भले ही इस्लाम में जकात यानी दान की बड़ी अहमियत है लेकिन बहुत सारे लोग मानते हैं कि अंग दान शरिया के खिलाफ है. जब अंग दान नहीं दिए जाएंगे तो ट्रांसप्लांट कैसे होगा. इस सोच को तोड़ने के लिए रिजवी को खासी मेहनत करनी पड़ी. मौलवियों को अपना साथ देने के लिए तैयार करना पड़ा.
तस्वीरों में: पाकिस्तान का भव्य मंदिर
रिजवी बताते हैं, "किस्मत से वे सब लोग सहमत थे. उन्होंने कहा कि अंग दान इस्लाम में जायज है और किया जाना चाहिए." हालांकि इसमें शर्त यह रखी गई थी कि जब किसी का ट्रांसप्लांट हो रहा हो तो उसके सारे वारिस इस बात के लिए सहमत होने चाहिए. और यह भी कि किसी गैर मुस्लिम का अंग मुसलमान के शरीर में नहीं लगाया जा सकता. रिजवी कहते हैं कि अंग दान को लेकर पाकिस्तान में जागरूकता की कमी हमारी तरक्की का रास्ता रोके खड़ी है.