कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान में शनिवार से रमजान का महीना शुरू होने वाला है. रमजान में मस्जिदों में तरावीह और पांच वक्त की नमाजों के लिए भारी संख्या में लोग जुटते हैं. डॉक्टरों ने सख्ती की अपील की है.
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पाकिस्तान के जाने माने डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि रमजान में लोगों के मस्जिदों में इकट्ठा होने से महामारी बेकाबू हो जाएगी और उन्होंने सरकार और उलेमाओं से बड़ी संख्या में मस्जिदों में लोगों के नमाजपढ़ने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है. पाकिस्तान में शनिवार 25 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो रहा है. पाकिस्तान ने पिछले हफ्ते सामूहिक नमाज पर एहतियातन प्रतिबंध हटा दिया था.यह फैसला उलेमाओं के बयान के बाद आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें इस तरह की पाबंदियां स्वीकार नहीं है. पाकिस्तान के कुछ इलाकों में पुलिस और नमाजियों में भिड़ंत की भी घटनाएं हो चुकी हैं. रमजान के दौरान मस्जिदों में नमाजियों की संख्या बहुत बढ़ जाती है. पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. कैसर सज्जाद कहते हैं, "दुर्भाग्य से हमारे प्रशासन ने गलत फैसला लिया है. हमारे मौलवियों ने एक गैर-गंभीर रवैया दिखाया है."
इंडोनेशिया के बाद पाकिस्तान सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है. यहां अब तक 11,000 से अधिक कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस सामने आए हैं जबकि इस महामारी के कारण 235 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. सरकार और विशेषज्ञों दोनों का कहना है कि महामारी मध्य मई में चरम पर पहुंच सकती है. पाकिस्तान ने 14 अप्रैल को लॉकडाउन को दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया था, प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ गतिविधियों में ढील दी थी जिनमें औद्योगिक उत्पादन और मस्जिदें भी शामिल थीं.
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच मस्जिदों के लिए 20 सूत्री मानक संचालन प्रक्रिया व्यावहारिक नहीं है. डॉ. साद नियाज कहते हैं कि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए केंद्रों में मरीजों को लेने की क्षमता पार हो चुकी है. डॉ. नियाज कहते हैं कि आने वाले दिनों में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. वह कहते हैं मरीजों को दाखिले से इनकार करना पड़ सकता है क्योंकि बेड्स ही नहीं होंगे. पाकिस्तान में डॉक्टरों की मांग है कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन होना चाहिए और साथ ही उन्होंने व्यवसायों को कुछ और हफ्तों तक कष्ट सहने का आग्रह किया है जब तक कि वायरस को नियंत्रण में नहीं ले आया जाए.
कोरोना संकट ने कई देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत दुनिया के सामने ला दी है. खासतौर पर अफ्रीकी देशों में स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहद खराब तस्वीर सामने आ रही है. आइए जानते हैं, किन देशों के पास कितने वेंटिलेटर्स हैं.
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वेंटिलेटर क्यों जरूरी
किन देशों के पास कितने वेंटिलेंटर्स हैं यह जानने के पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि यह क्यों जरूरी है. जब बीमारी के कारण फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. वेंटिलेटर शरीर के ऑक्सीजन लेने की प्रक्रिया के बदले काम करता है और इस तरह से मरीज को इंफेक्शन से लड़ने के लिए वक्त मिलता है और वह ठीक हो जाता है.
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दक्षिणी सूडान
इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिणी सूडान की 1.2 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ चार वेंटिलेटर्स हैं. देश में इंटेंसिव केयर यूनिट या आईसीयू के 24 बेड्स हैं. और 30 लाख लोगों के लिए एक वेंटिलेटर.
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बुर्किना फासो
बुर्किना फासो की बात की जाए तो यहां की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं है. इस देश के पास 11 वेंटिलेटर्स हैं.
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सिएरा लियोन
सिएरा लियोन दुनिया के सबसे गरीब देशों में एक है. इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी बहुत ढीली है. यहां पूरी आबादी के लिए मात्र 13 वेंटिलेटर्स मौजूद हैं.
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सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देश गरीबी और संघर्ष से घिरा है. इस देश के पास केवल तीन वेंटिलेटर्स हैं. यह दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या भी सबसे ज्यादा है.
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वेंटिलेंटर्स की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 41 अफ्रीकी देशों के पास दो हजार से भी कम वेंटिलेटर्स हैं जो काम के लायक हैं.
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देखभाल जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पांच व्यक्तियों में से एक को वायरस की चपेट में आने पर अस्पताल में दाखिल करना पड़ता है. वेनेजुएला के पास 3.2 करोड़ की आबादी के लिए 84 आईसीयू बेड्स हैं. और यहां 90 प्रतिशत अस्पताल के पास दवाओं और जरूरी चीजों की किल्लत है.
जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक अमेरिका में अस्पतालों को इस महामारी के समय में कम से कम 5 लाख के करीब अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ सकती है. अमेरिका में इस समय अस्पतालों के आईसीयू में वेंटिलेटर्स की मांग बहुत अधिक हो गई है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन जैसे विकसित देश के पास करीब 10,000 वेंटिलेंटर्स हैं. सरकार दूसरे स्रोतों से मशीन खरीद रही हैं साथ ही देश में वेंटिलेटर का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/J. Sibley
मदद जरूरी
यूरोप में सबसे प्रभावित देश इटली ने प्रभावित क्षेत्रों को 2,700 वेंटिलेटर्स बांटे हैं. फ्रांस ने कहा है कि उसका लक्ष्य 10,000 अतिरिक्त वेंटिलेटर्स बनाने का है. जर्मनी ने अप्रैल महीने में 50 स्पेन और 60 वेंटिलेटर्स ब्रिटेन को भेजे हैं.