भूमध्य सागर निगल रहा पाकिस्तान से यूरोप जाने का सपना
१० मार्च २०२३
भूमध्य सागर के माध्यम से यूरोप की यात्रा को प्रवासियों के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक में से एक के रूप में माना जाता है.लेकिन पाकिस्तान में बढ़ते आर्थिक संकट के चलते अब कई लोग इस खतरनाक व अवैध यात्रा पर जाने को तैयार हैं.
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पाकिस्तान छोड़ने से पहले पंजाब प्रांत के गुजरात शहर के रहने वाले मोहम्मद नदीम ने यूरोप में अपने सुरक्षित आगमन के लिए प्रार्थना करने के लिए अपनी मां से आखिरी शब्द कहे थे. उनके साथ गुजरात से अली हसनैन भी बेहतर जिंदगी की तलाश में इस सफर पर निकल रहे थे. नदीम की मां उन्हें रोक पाती उससे पहले वे निकल गए.
नदीम और हसनैन दोनों पहले से एक-दूसरे को नहीं जानते थे, लेकिन पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक हालात से बचने और मानव तस्करी का शिकार बनने के लिए साथ में ये सफर शुरू कर रहे थे. उनकी यात्रा पिछले महीने फरवरी में समाप्त हुई जब उनकी नाव महाद्वीप के दरवाजे पर पलट गई. हाल के महीनों में लीबिया और ट्यूनिशिया से यूरोप की ओर जाने वालीं ऐसी नौकाओं की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है.
यह एक ऐसा सफर है जिससे हर साल सैकड़ों की मौत हो जाती है और वे अपने मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं.
भूमध्य सागर के रास्ते यूरोप की यात्रा को प्रवासियों के लिए दुनिया की सबसे घातक यात्रा बताया जाता है, लेकिन पाकिस्तान में बढ़ते आर्थिक संकट के कारण कई लोग अब इस खतरनाक और अवैध यात्रा को करने को तैयार हैं.
"अब यहां रहना मुश्किल"
40 साल के नदीम पाकिस्तान में एक फर्नीचर स्टोर में काम करते थे. यहां वे एक दिन में केवल 500 रुपये से 1,000 रुपये कमा सकते थे. इसी मामूली आमदनी पर वह अपनी पत्नी और तीन बेटों के साथ गुजारा कर रहे थे.
कुछ हफ्ते पहले वह दुबई की यात्रा पर पाकिस्तान से निकले थे और फिर मिस्र होते हुए लीबिया गए, जहां से उन्हें नाव से अपने अंतिम गंतव्य इटली पहुंचना था.
इस काम के लिए उन्होंने 22 लाख रुपये का कर्ज लिया था और जाने से पहले अपने एक दोस्त से कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी यात्रा अच्छी होगी.
समंदर ने निगल लिया सपना
उनके भाई मोहम्मद उस्मान का कहना है कि नदीम के जाने से वह भी खुश थे क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उसके बाद उसके भतीजों का भविष्य उज्जवल होगा.
लेकिन पाकिस्तान से उनके जाने के दो हफ्ते बाद, विदेश मंत्रालय ने एक बयान में मोहम्मद नदीम की मौत की पुष्टि की. दूसरी ओर अली हसनैन के परिवार ने हाल ही में विदेश मंत्रालय द्वारा पुष्टि किए जाने से पहले ही भूमध्य सागर में मारे गए लोगों की तस्वीरों में अली हसनैन की पहचान कर ली थी.
हसनैन के 72 साल के दादा मोहम्मद इनायत ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उनका परिवार हसनैन को यूरोप भेजना चाहता था क्योंकि "यहां रहना मुश्किल हो गया है."
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मानव तस्करी में एजेंटों की भूमिका
गुजरात और इसके आसपास के इलाकों को अब 'एजेंटों' के लिए हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है. एजेंट शब्द का इस्तेमाल विदेशों में पाकिस्तानी नागरिकों की तस्करी में शामिल होने के संदेह के लिए किया जाता है.
यूरोप के मिक्स्ड माइग्रेशन सेंटर द्वारा 2022 में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, हाल के दिनों में जितने पाकिस्तानी इटली पहुंचे हैं, उनमें से 90 फीसदी मानव तस्करी के जरिए वहां गए हैं.
कथित तौर पर एक एजेंट द्वारा मोहम्मद नदीम और अली हसनैन की मौत से पहले एक वीडियो बनाया गया था. वीडियो में नदीम और हसनैन को एक सफेद दीवार वाले कमरे में लगभग एक दर्जन अन्य लोगों के साथ बैठे देखा जा सकता है. तभी एक आदमी की आवाज सुनाई देती है जो इन लोगों को संबोधित करता है और कहता है, "हम तुम लोगों को एक छोटी नाव में भेज रहे हैं. क्या तुम अपनी मर्जी से जा रहे हो या किसी ने तुम्हें मजबूर किया है?"
इसके जवाब में नदीम, हसनैन और उनके दूसरे साथी एक सुर में कहते हैं, "हमें किसी ने मजबूर नहीं किया. अल्लाह ने चाहा तो हम इटली पहुंच जाएंगे."
पाकिस्तान में रोजगार का संकट
नदीम के भाई मोहम्मद उस्मान का कहना है कि पाकिस्तान में रोजगार के अवसर कम होने का फायदा तस्कर उठा रहे हैं.
लेकिन गुजरात में एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर एएफपी से बात करते हुए दावा किया कि वे समाज में "सकारात्मक प्रभाव" पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "क्या यहां के लोगों के जीवन को इतनी जल्दी बेहतर बनाने का कोई और विकल्प है? वे हमारे पास सपने लेकर आते हैं और हम उन्हें पूरा करने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन यह काम बिना जोखिम के नहीं है."
एए/सीके (एएफपी)
पर्यटकों की बाढ़ से बेहाल हो रहे यूरोपीय शहर
शानदार वास्तु और संस्कृति वाले ऐम्सटर्डम और रोम जैसे यूरोपीय शहरों में दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं. ऐसे कई शहरों की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन बेहद जरूरी है लेकिन हद से ज्यादा भीड़ पहुंचने से लोग परेशान भी हैं.
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वेनिस
यूरोप के सबसे सुंदर ठिकानों में गिने जाने वाले शहर वेनिस में हर साल कई लाख लोग पहुंचते हैं. ऐसी भीड़ से वहां के स्थानीय लोगों को अपने रोजमर्रा के जीवन में काफी परेशानी होती है. आने वाले समय में सरकार वहां कम समय के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों से एंट्री फीस भी ले सकती है. इनमें से ज्यादातर लोग बड़े क्रूज जहाजों से उतरते हैं. हाल के सालों में वहां कई पर्यटक विरोधी प्रदर्शन भी होते रहे हैं.
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फ्लोरेंस
इटली के ही एक और शहर फ्लोरेंस की ख्याति दुनिया भर में है. खूबसूरत रेनेसां वास्तुकला और विश्वस्तरीय संग्रहालयों को देखने साल भर देश, विदेश से लोग पहुंचते हैं. लेकिन एक सच यह भी है कि पर्यटकों का वहां के स्थानीय लोगों और जीवनशैली से परिचय नहीं हो पाता. पुराने शहरी वहां रहना नहीं चाहते क्योंकि पूरा का पूरा सिटी सेंटर पर्यटकों से अटा रहता है. प्रशासन और निवासी इस अति को रोकना चाहते हैं.
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रोम
इतालवी राजधानी रोम के विश्व प्रसिद्ध स्पैनिश स्टेप्स (फोटो में) या किसी और प्रसिद्ध जगह को ठीक से देख पाना सपना बन के रह जाएगा. इतने सारे पर्यटक हर साल वहां पहुंचते है लेकिन करीब से इनका अनुभव नहीं कर पाते. 2019 की एक रात को करीब 2.6 करोड़ पर्यटकों के रोम में होने का रिकॉर्ड बना था. ट्रेवी फाउंटेन, कोलोसियम के अलावा वैटिकन सिटी घूमने वाले भी रोम जाते हैं.
खानपान की दुनिया में प्राग की चेक बीयर की अपनी खास जगह है. प्रसिद्ध चार्ल्स ब्रिज पार करना, खान पान का आनंद लेने और नजारे देखने कोविड महामारी के पहले हर साल औसतन 70 से 80 लाख टूरिस्ट पहुंचते थे. प्राग की अपनी आबादी केवल 13 लाख के करीब है. महामारी के बाद से वहां पर्यटकों की तादाद कुछ तो कम हुई है. स्थानीय लोगों को पर्यटकों की भीड़ से शिकायत रहती है.
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डुब्रोवनिक
क्रोएशिया की राजधानी डुब्रोवनिक को जबसे गेम ऑफ थ्रोन नामकी टीवी सिरीज में फीचर किया गया, वहां आने वालों की तादाद में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है. इसकी खूबसूरत ओल्ड सिटी पहले ही यूनेस्को की सूची में शामिल थी. लेकिन हाल के सालों में काफी भारी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने के कारण शहरी परेशान हो रहे हैं. कहां तो 2011 में साल भर में कोई 5 लाख टूरिस्ट पहुंचे थे, वहीं 2019 में वहां 15 लाख पर्यटक पहुंचे.
तस्वीर: Grgo Jelavic/PIXSELL/picture alliance
ऐम्सटर्डम
ओवरटूरिज्म की शिकायत ऐम्सटर्डम में काफी समय से होती रही है. नीदरलैंड्स की राजधानी को ऐन फ्रैंक म्यूजियम से लेकर, ऐतिहासिक इमारतों, उसकी नहरों, रेड लाइट एरिया और गांजे के लिए मशहूर 'कैफे' के लिए भी जाना जाता है. पर्यटकों की हद से ज्यादा बढ़ती भूड़ से वहां के आम शहरी परेशान होते हैं. कुछ साल पहले शहर प्रशासन ने कुछ इलाकों में शराब पीने पर रोक लगा दी और गांजे के साथ भी ऐसा किया जा सकता है.
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बार्सिलोना
स्पेन के बार्सिलोना में 2019 में 1.2 करोड़ पर्यटक पहुंचे. वहां की अपनी आबादी केवल 16 लाख ही है. समझा जा सकता है कि शहर पर पर्यटकों का कितना बोझ पड़ता होगा. शहरियों को शिकायत है कि उनका अपना शहर पर्यटकों के चलते बदलता जा रहा है. 2022 में सरकार ने सेंट्रल बार्सिलोना में गाइड के साथ टूर कराने वाली सेवाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगवा दिए. सिटी सेंटर में पर्यटकों के ठहरने की जगहें भी सीमित कर दी गई हैं.
तस्वीर: Daniel Kalker/picture alliance
लिसबन
महामारी के पहले के आंकड़ों को देखें तो 40 से 60 लाख तक पर्यटक हर साल यहां पहुंच रहे थे. जबकि लिसबन की अपनी आबादी पांच लाख के करीब है. यहां के रिहायशी इलाकों पर इसका बहुत बोझ पड़ता है. लोगों ने पर्यटकों को रहने की जगहें देने के लिए अपने रिहायशी अपार्टमेंट्स को हॉलीडे होम्स में बदल दिया. किराये पर रहने वाले कई कम कमाई वाले अनगिनत स्थानीय निवासियों को इसके कारण बेघर होना पड़ गया. (बेन रेसल/आरपी)
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