ईशनिंदा का संदेश भेजने पर कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
२० जनवरी २०२२पाकिस्तान की अदालत ने बुधवार को महिला को व्हॉट्सऐप पर ईशनिंदा करने वाले संदेश और पैगंबर मोहम्मद के कार्टून भेजने का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई है. मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है और इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों में संभावित मौत की सजा हो सकती है. हालांकि इसे अपराध के लिए कभी भी लागू नहीं किया गया है.
अदालत की तरफ से जारी संक्षिप्त विवरण के मुताबिक 26 वर्षीय अनीका अतीक को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसके व्हॉट्सऐप स्टेटस के रूप में "ईशनिंदा सामग्री" पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था. जब उसके दोस्त ने स्टेटस हटाने को कहा था तो अतीक ने उस संदेश को अपने दोस्त को ही भेज दिया. पैगंबर मोहम्मद के चित्र बनाना इस्लाम में प्रतिबंधित है.
ईशनिंदा के मैसेज भेजने का आरोप
इसी शिकायत पर रावलपिंडी की अदालत ने अतीक को दोषी ठहराया था और उसे मौत की सजा सुनाई है. रावलपिंडी के गैरीसन शहर में सजा की घोषणा की गई, अदालत ने अतीक को "उसकी गर्दन से तब तक लटकाए रखने" का आदेश दिया जब तक कि वह मर नहीं जाए. उन्हें 20 साल की जेल की सजा भी दी गई है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के मुताबिक पाकिस्तान में आज भी लगभग 80 लोग ईशनिंदा के आरोपों में जेलों में बंद हैं. उनमें से कम से कम आधे मौत की सजा या उम्रकैद पा सकते हैं जबकि कई मामलों में एक मुस्लिम पर दूसरा मुस्लिम व्यक्ति ईशनिंदा का आरोप लगाता है, अधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि धार्मिक अल्पसंख्यक विशेष रूप से ईसाई इस झगड़े में फंस जाते हैं और व्यक्तिगत विवाद को निपटाने के लिए उनके खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल किया जाता है.
पीट-पीटकर मारे जाते हैं आरोपी
पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान में काम करने वाले एक श्रीलंकाई मैनेजर को ईशनिंदा का आरोप लगाने के बाद भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था और उसे जला डाला था. पाकिस्तान के मानवाधिकर समूहों का कहना है देश में ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल निजी दुश्मनी या फिर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए होता आया है.
पाकिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथ चरम पर है और इस तरह के आरोपों पर पीट-पीटकर हत्या या सड़क पर कानून को अपने हाथ में लेने वालों की कोई कमी नहीं है. 1980 से अब तक ईशनिंदा के करीब 75 आरोपियों की कोर्ट में सुनवाई खत्म होने से पहले ही भीड़ द्वारा हत्या की जा चुकी है.
एए/वीके (एएफपी, एपी)