पाकिस्तान के ट्रांसजेंडर ऐक्टिविस्ट मांग रहे अधिकार
२१ नवम्बर २०२२
पाकिस्तान में सैकड़ों ट्रांसजेंडर ऐक्टिविस्ट और उनके समर्थक बराबरी के अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें "तीसरे जेंडर" का दर्जा दे दिए जाने के बावजूद उन पर होने वाले हमले बढ़ गए हैं.
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कराची में रविवार 20 नवंबर को सैकड़ों ट्रांसजेंडर ऐक्टिविस्टों और उनके समर्थकों ने बराबरी के अधिकारों की मांग करने और समुदाय के खिलाफ भेदभाव को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और हाथों में पोस्टर लेकर गीत गाए. इन पोस्टरों पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए अधिकारों की मांगें लिखी हुई थीं. एक प्रमुख नारा था "महिलाएं, जीवन, आजादी", जो ईरान में महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शनों का नारा है.
पाकिस्तान में ट्रांसजेंडरों के लिए चर्च
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प्रदर्शन के आयोजक शहजादी राय ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "समय आ गया है कि हम लोगों को बताएं कि हम कौन हैं और हमारी क्या मांगें हैं. हम इंसान हैं और हमारे पास भी औरों के ही जैसा दिल है, जज्बात हैं."
समाज के हाशिए पर
लोकप्रिय पाकिस्तानी शास्त्रीय नृत्यांगना शीमा किरमानी ने कहा, "हमारा लिंग कोई भी हो...हमें एक जैसे अधिकार मिलने चाहिए." प्रदर्शन में भाग लेने वालों ने जोशीले भाषण दिए, डांस किया और हिंसा के शिकार हो चुके ट्रांसजेंडर लोगों के लिए सांकेतिक जनाजा भी निकाला.
इस प्रदर्शन का ऐसे समय में आयोजन किया गया जब पाकिस्तान में हाल में ही सिनेमाघरों में आई ट्रांसजेंडरों पर एक फिल्म चर्चा में है. फिल्म "जॉयलैंड" एक शादीशुदा व्यक्ति और एक ट्रांसजेंडर महिला के बीच प्रेम संबंध के बारे में है.
कुछ इस्लामी समूहों की शिकायत के बाद फिल्म पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन बैन के खिलाफ विरोध के बाद उसे हटा लिया गया.
दक्षिण एशिया में एक समृद्ध इतिहास के बावजूद पाकिस्तान में अधिकांश ट्रांसजेंडर समाज के हाशिए पर रहने को मजबूर हैं. मजबूरी में इन्हें अक्सर या तो भीख मांग कर गुजारा करना पड़ता है, या शादियों में नाच कर या वेश्यावृत्ति कर.
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संरक्षण के बावजूद खतरा
ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ भेदभाव की वजह से अक्सर कथित ऑनर किलिंग, बलात्कार और अन्य हिंसक अपराध होते हैं. ऐमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि अक्टूबर 2021 से लेकर अभी तक पाकिस्तान में 18 ट्रांसजेंडर लोगों की हत्या भी कर दी गई है. 2012 में देश के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर लोगों को "तीसरे जेंडर" के रूप में कानूनी मान्यता भी दे दी थी.
लिंग बदलाव के बाद ट्रैक पर लौटीं ट्रांसजेंडर रेस ड्राइवर
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उसके बाद काफी संघर्ष के बाद 2018 में देश में ऐतिहासिक कानून के तहत उन्हें मतदान का अधिकार, रोजगार में बराबर अवसर का अधिकार और राष्ट्रीय पहचान पत्र पर अपना लिंग इंगित कराने का अधिकार मिला.
लेकिन उस कानून पर अब खतरा मंडरा रहा है. कुछ सांसद और दक्षिणपंथी मजहबी पार्टियां कह रही हैं कि कानून पश्चिमी मूल्यों के अतिक्रमण का संकेत है और समलैंगिकता को बढ़ावा देता है.
कराची में हुए प्रदर्शन में हिस्सा ले रही एक ट्रांस महिला जरिश खानजादी ने एएफपी को बताया, "ट्रांसजेंडरों को स्वीकार करने के प्रति माहौल बना था लेकिन धार्मिक पार्टियों ने सिर्फ सीटें हासिल करने के लिए इस कानून को अपने राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा बना लिया और हमारी लैंगिक पहचान के सम्मान को कमजोर कर दिया."
सीके/एए (एएफपी)
एलजीबीटीक्यू+ जहां खुल कर घूम सकते हैं
लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर, बायसेक्शुअल या क्वीयर- चाहे कोई किसी भी तरह की लैंगिक पहचान या यौन वरीयता वाला इंसान हो, दुनिया में कहीं भी उनके जाने पर रोक तो नहीं होनी चाहिए. देखिए कौन से हैं सबसे क्वीयर-फ्रेंडली ठिकाने.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopres/picture alliance
कनाडा
कनाडा को विश्व का सबसे क्वीयर-फ्रेंडली देश कहना गलत नहीं होगा. वर्ल्ड ट्रैवल एवार्ड्स में इसे टॉप LGBTQ+ फ्रेंडली ठिकाना पाया गया. समलैंगिक शादियों को यहां 2005 से ही कानूनी मान्यता मिली हुई है. इसके अलावा यहां साल भर समुदाय की रंगबिरंगी पहचान का उत्सव मनाने के लिए कार्यक्रम होते रहते हैं. जैसे जून में होने वाला टोरंटो प्राइड (फोटो में) या अगस्त में मॉन्ट्रियाल प्राइड फेस्टिवल.
तस्वीर: Nathan Denette/empics/picture alliance
माल्टा
भूमध्य सागर में बसा यह छोटा सा द्वीपीय देश यूरोप के कुछ सबसे प्रगतिशील देशों में से एक है. LGBTQ+ समुदाय के लिए यहां इतना काम हुआ है कि 2004 में यहां किसी भी यौन वरीयता या लैंगिक पहचान वाले इंसान के साथ भेदभाव पर रोक लग गई. 2016 में गे कनवर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने वाला भी यह पहला देश है.
तस्वीर: Mark Zammit Cordina/Photohot/picture alliance
पुर्तगाल
लिस्बन और पोर्तो (फोटो में) को पुर्तगाल का सबसे विविधता से भरा और खुले विचारों वाला शहर कहा जा सकता है. यहां समलैंगिक शादियों को 2010 से ही वैधता मिली हुई है. इसके कुछ साल बाद समान सेक्स वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार भी मिल गया. लेकिन ट्रांसजेंडर लोगों की सुरक्षा और तथाकथित कनवर्जन थेरेपी पर बैन लगाने जैसे कदम अभी बाकी हैं.
तस्वीर: Diogo Baptista/ZUMAPRESS/picture alliance
स्वीडन
इसकी गिनती विश्व के सबसे प्रगतिशील देशों में होती है. यहां एलजीबीटीक्यू समुदाय की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इस स्कैंडिनेवियन देश में समान सेक्स के लोगों के बीच सेक्स को 75 साल पहले ही अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. अब तो यहां किसी को संबोधित करने के लिए एक ही न्यूट्रल सर्वनाम चलता है - "hen". पहले महिलाओं के लिए hon ("she") और पुरुषों के लिए han ("he") सर्वनाम चलन में थे.
तस्वीर: Iulianna Est/Zoonar/picture alliance
उरुग्वे
लैटिन अमेरिका के सबसे सहनशील देश के रूप में उरुग्वे का नाम आता है क्योंकि यह समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने वाला पहला देश था. इस छोटे से देश में 1934 से ही समान सेक्स के लोगों के बीच सहमति से होने वाले सेक्स को अपराध के दायरे से बाहर निकाल लिया गया था. 2004 में यहां LGBTQ+ समुदाय को सुरक्षा देने वाले कई कानून बनाए गए.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
घूमने फिरने वालों के दिमाग में ऑस्ट्रेलिया की छवि खूबसूरत समुद्री तटों और रंगबिरंगी संस्कृति वाले शहरों से जुड़ी होगी. लेकिन अब भी शायद यह नहीं पता होगा कि यह बेहद सहनशील देश भी है. यहां भेदभाव विरोधी कानून 1984 में ही पास हो गए थे. इनका मकसद किसी भी इंसान को उसकी लैंगिक पहचान या यौन वरीयता के आधार पर दुर्व्यवहार से बचाना था. 2017 से यहां समलैंगिक विवाह भी वैध हैं.
तस्वीर: Subel Bhandari/dpa/picture alliance
जर्मनी
इंटरसेक्स लोगों के अधिकारों के लिए हाल के सालों में जर्मनी में काफी तरक्की हुई है. बड़े शहरों जैसे कोलोन (फोटो में) और राजधानी बर्लिन में समाज काफी हद तक क्वीयर-फ्रेंडली माना जा सकता है लेकिन देश के बाकी हिस्से इतने खुले विचारों वाले नहीं कहे जा सकते. एक ही लिंग के लोगों की आपस में शादी को यहां 2017 में ही कानूनी मान्यता मिल गई थी. इंटरसेक्स लोग भी अपनी अलग कानूनी पहचान रखते हैं.
तस्वीर: Christoph Hardt/Geisler-Fotopress/picture alliance
आइसलैंड
आर्कटिक के इस कम आबादी वाले देश आइसलैंड में ना केवल प्रकृति के अद्भुत नजारे और जाड़ों का स्वर्ग है बल्कि यहां क्वीयर लोगों की भी जन्नत है. ऐसे में LGBTQ+ लोगों के लिए इससे दोस्ताना, सुरक्षित और स्वागत करने वाला घूमने का ठिकाना खोजना मुश्किल होगा. राजधानी रिक्याविक (फोटो में) में 1999 से ही सालाना प्राइड फेस्टिवल होता आता है. समान-सेक्स शादियां 2010 से वैध हैं.
तस्वीर: IBL Schweden/picture alliance
ताइवान
LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के मामले में एशिया के सबसे प्रगतिशील देश के रूप में ताइवान का नाम आता है. इस द्वीपीय देश में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं. समान सेक्स के लोगों की आपस में शादी को 2019 में कानूनी मान्यता देने वाला यह एशिया का पहला देश बना. और इस तरह उनके घूमने फिरने का सुरक्षित ठिकाना भी.
तस्वीर: Ceng Shou Yi/NurPhoto/picture alliance
कोलंबिया
कोलंबिया की संस्कृति वैसे तो कैथोलिक आस्था वाली और समाज में पुरुषवादी रवैया कूट कूट के भरा दिखता है लेकिन फिर भी इसकी गिनती लैटिन अमेरिका के सबसे प्रगतिवादी देशों में होती है. उरुग्वे के बाद यहां एलजीबीटीक्यू+ स्पेक्ट्रम के लोगों को सबसे ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में समलैंगिक शादियों को भी कानूनी मान्यता दे दी.(जोफी डिसेमोंड/आरपी)
तस्वीर: Sofia Toscano/colprensa/dpa/picture alliance