क्या है पनामा मामला जिसमें ऐश्वर्या राय से पूछताछ हुई?
२१ दिसम्बर २०२१
साल 2016 में ऐश्वर्या के साथ-साथ अमिताभ बच्चन का नाम भी पनामा पेपर्स में आया था. अब उस मामले में ऐश्वर्या राय बच्चन को पूछताछ के लिए बुलाया गया.
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पनामा पेपर्स मामले में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन से पूछताछ की है. पनामा पेपर्स मामला साल 2016 में सामने आया था, जिसमें भारत समेत दुनिया भर के रईसों की टैक्स फ्री देशों में मौजूद संपत्तियों की जानकारी दी गई थी.
‘द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐश्वर्या ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में एमिर पार्टनर्स नाम की एक कंपनी खोलने का आरोप है. इसके अलावा अपने पति अभिषेक बच्चन के विदेशी बैंक अकाउंट में बड़ी मात्रा में पैसा जमा कराने का भी आरोप है. इसके मद्देनजर ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम(फेमा) के तहत मामला दर्ज किया है.
पैराडाइज पेपर्स में कुछ बड़े नाम
खोजी पत्रकारों के एक दल ने कुछ गोपनीय दस्तावेज जारी किये हैं जो अजीबोगरीब निवेश और टैक्स बचाने के तरीकों पर रोशनी डालते हैं. इसी दल ने पनामा पेपर्स भी जारी किये थे.
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बोनो
रॉक ग्रुप यू2 के सदस्य और एक्टिविस्ट बोनो का नाम पैराडाइज पेपर्स में शामिल कुछ विख्यात नामों में है. बोनो ने माल्टा की एक कंपनी में निवेश किया जिसका नाम न्यूड इस्टेट्स है. गायक के प्रवक्ता ने गलत काम किये जाने से इंकार किया है.
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अमेरिकी वाणिज्य मंत्री
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस का नाम रूसी गैस कंपनी साइबर में उनकी दिलचस्पी के कारण आया है. रॉस पर अपने रूसी संपर्कों को कांग्रेस से छुपाने का आरोप लगा है. उन्होंने कहा है कि उस कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंध नहीं था.
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ब्रिटेन की महारानी
क्वीन एलिजाबेथ की आय उनकी निजी इस्टेट डची ऑफ लैंकेस्टर से होती है. पैराडाइज पेपर्स के अनुसार डची ने बरमुडा और केमन द्वीप पर ऑफशोर अकाउंट में 1 करोड़ पाउंड का निवेश किया. इस्टेट का कहना है कि सारे निवेश कानूनी थे.
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फॉर्मूला वन चैंपियन
मोटर रेस फॉर्मूला वन के मौजूदा चैंपियन लुइस हैमिल्टन ने अपने निजी जेट पर दिया जाने वाला टैक्स, टैक्स बचाने की एक स्कीम के जरिये बचाया. लीक दस्तावेजों के अनुसार हैमिल्टन ने 2013 में प्लेन को आइल ऑफ मैन में आयात कर 33 लाख पाउंड बचाया.
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जर्मनी के पूर्व चांसलर
1998 से 2005 तक जर्मनी के चांसलर रहे गेरहार्ड श्रोएडर का नाम रूसी ब्रिटिश ऊर्जा कंपनी टीएनके-बीपी के प्रबंधन में 2009 में उनकी भूमिका के कारण है. इस कंपनी को बाद में रूस की रोसनेफ्ट ने खरीद लिया. श्रोएडर अब उस कंपनी में बोर्ड के स्वतंत्र डायरेक्टर हैं.
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कोलंबिया के राष्ट्रपति
पैराडाइज पेपर्स के अनुसार कोलंबिया के राष्ट्रपति खुआन मानुएल सांतोस का नाम बारहैडोस की दो ऑफशोर कंपनियों के डायरेक्टर के रूप में दर्ज हैं. उन्होंने पहले कहा था कि 2000 में देश का वित्त मंत्री के बाद उन्होंने कंपनी से नाता तोड़ लिया था.
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रईसों का लाइफस्टाइल
पैराडाइज पेपर्स में जिन नामों का पर्दाफाश हुआ है सिर्फ उनकी अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं दी गयी है. लेकिन वे निवेश के कुछ अजीबोगरीब तरीकों और माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक पॉल एलन के यॉट सहित दुनिया के रईसों की लग्जरी संपत्ति की जानकारी देते हैं.
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मैडोना
पैराडाइड पेपर्स में जिन अजीबोगरीब निवेशों का जिक्र है उनमें एक मेडिकल सप्लाई कंपनी में गायिका मैडोना का निवेश शामिल है. जबकि अभिनेत्री कायरा नाइटली के शेयर जर्सी की एक रियल इस्टेट कंपनी में हैं.
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ऐश्वर्या तीसरी बार समन मिलने पर पूछताछ में शामिल हुई हैं. पहले दो मौकों पर उन्होंने पूछताछ से छूट मांगी थी. पनामा पेपर्स मामले में ही अभिनेता और ऐश्वर्या के ससुर अमिताभ बच्चन का नाम भी आया था.
क्या है पनामा पेपर्स?
पानामा पेपर्स ने साल 2016 में दुनिया भर के उन लोगों खुलासा किया था, जिन्होंने पानामा की लॉ कंपनी ‘मोसाक फोन्सेका' की मदद से विदेशों में अपनी संपत्तियां बनाई थीं. जिन देशों में ये संपत्तियां बनाई गईं, उन्हें ‘टैक्स हैवन' कहा जाता है. इन देशों की कानून व्यवस्था पैसा जमा करवाने वाले की असल पहचान छुपाने में मदद करती है. पनामा पेपर्स से पता चला कि भारतीय कानूनों के तहत इजाजत ना होने के बावजूद कुछ भारतीयों ने पनामा की लॉ फर्म ‘मोसाक फोन्सेका' की मदद से ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कंपनियां बनाईं.
कुछ ने विदेशों में हुई कमाई पर लगने वाला टैक्स बचाने के लिए टैक्स हैवन देशों में विदेशों से हुई कमाई जमा करवा दी. कुछ लोगों ने सरकारी ठेके या अपराध से कमाई संपत्ति को ठिकाने लगाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया. पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, बहामास, केयमेन आइलैंड्स, बरमूडा जैसे कई देश टैक्स हैवन की तरह काम करते हैं.
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पनामा पेपर्स तक कैसे पहुंचे?
जर्मन अखबार ‘ज्यूडडॉएचे त्साइटुंग' को ‘मोसाक फोन्सेका' के वित्तीय लेनदेन का करीब 2,600 जीबी डेटा मिला था. इसमें 1975 से 2015 तक के लेनदेन की जानकारी थी. ज्यूडडॉएचे त्साइटुंग ने इसे खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह- इंटरनैशनल कॉन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) से साझा किया. इस समूह ने 70 देशों के 370 रिपोर्टरों के साथ मिलकर डेटा की जांच की.
भारत की ओर से ‘द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार ने पनामा पेपर्स की जांच की थी. भारतीय पत्रकार- पी वैद्यनाथन अय्यर और जय मजूमदार जांच करने वाले दल के सदस्य थे. दोनों ने 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा फाइलों में से भारत से जुड़ी 36,957 फाइलें तलाशी थीं.
बस कालाधन छुपाने का जरिया है?
देश से पैसा विदेश भेजने या विदेश से देश में पैसा भेजने के लिए कंपनियों या बैंक खातों का इस्तेमाल हो सकता है. इसका मतलब ये नहीं कि हर विदेशी खाता या बैंक अकाउंट फर्जीवाड़ा करने के लिए खुलवाया जा रहा है. हालांकि लंबे समय से, खासतौर पर टैक्स हैवन्स में विदेशी खातों या कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स चोरी या अनाधिकृत स्रोत से कमाए गए पैसे को सुरक्षित करने के लिए किया जाता रहा है.
इन तरीकों से होती है मनी लॉन्डरिंग
पनामा फाइल लीक्स के बाद से दुनिया भर के रईसों की पोल एक एक कर खुल रही है. लेकिन आखिर ये लोग अरबों की धनराशि को सरकार से छिपा कर गायब करते कैसे हैं? जानिए, मनी लॉन्डरिंग के कुछ तरीकों के बारे में.
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काले धन का निवेश
जिस धन को वैध रूप से दिखाया नहीं जा सकता, आखिर उसका क्या किया जाए? दुनियाभर के अधिकतर धनी लोग इसे या तो स्टॉक एक्सचेंज में लगा देते हैं या फिर किसी तरह के जुए में. अक्सर किसी दूसरे के नाम पर नाइटक्लब या फिर बार भी खरीद लिए जाते हैं. और कहीं दूर बड़ा सा घर खरीदने का विकल्प तो सब जानते ही हैं.
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पैसे की मारी दुनिया
सिर्फ माफिया या ड्रग डीलरों को ही काले धन से निपटने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि भ्रष्ट नेता और कई अभिनेता भी ऐसा करते हैं. चीन में पाया गया है कि 2002 से 2011 के बीच करीब 1,800 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर धनराशि अवैध रूप से देश के बाहर गयी. इसी दौरान रूस को 880 अरब डॉलर का चपत लगी. पूरी दुनिया की बात करें तो 5,400 अरब डॉलर काला धन है.
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कर चोरी के स्वर्ग
इन्हें आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है क्योंकि यहां करों की दर बहुत ही कम होती है. पनामा के अलावा हॉन्ग कॉन्ग भी इसके लिए मशहूर है. किसी के भी नाम पर एक नई कंपनी खोल दी जाती है और काला धन उसमें ट्रांसफर कर दिया जाता है. कंपनी का सक्रिय होना जरूरी नहीं है, बस एक नाम चाहिए, एक पता और बैंक अकाउंट.
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चीन के जंकेट
मकाऊ के कसीनो में मनी लॉन्डरिंग के लिए एक ट्रिक है. दरअसल चीन में एक बार में 20,000 युआन से अधिक देश से बाहर नहीं ले जाया जा सकता. ऐसे में लोग जुआ खेलने के मकसद से जंकेट को पैसा ट्रांसफर करते हैं. जंकेट इसे कसीनो के सिक्कों में तब्दील कर देता है. जुए में जीती गयी राशि भी इन सिक्कों के रूप में ही मिलती है, जिसे आसानी से हॉन्ग कॉन्ग ले जा कर डॉलर में कन्वर्ट कराया जा सकता है.
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स्मर्फ की मदद से
जी नहीं, यहां नीले रंग के कार्टून किरदार की बात नहीं हो रही है, बल्कि स्मर्फ मनी लॉन्डरिंग में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इनका काम होता है अपने क्लाइंट की धनराशि को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट कर अलग अलग अकाउंटों में जमा कराना. एक व्यक्ति के लिए एक साथ कई स्मर्फ काम कर सकते हैं और क्योंकि राशि धीरे धीरे अलग अलग सूत्रों के जरिये डिपॉजिट होती है, इसलिए कोई शक भी पैदा नहीं होता.
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हीरे की चमक
धन काला हो या सफेद, भारत में भी सोने चांदी और हीरे के आभूषण निवेश के मकसद से खरीदे जाते रहे हैं. 2008 की एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे स्विस बैंक अक्सर अपने कस्टमर को हीरों में निवेश करने की सलाह देते हैं क्योंकि इन्हें पैसे की तुलना में आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है. हवाई अड्डों पर कई बार टूथपेस्ट की ट्यूब में हीरे छिपा कर तस्करी की जाती है.
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पनामा पेपर्स में जिन नामी भारतीयों का नाम आया था, उनमें- अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अजय देवगन, विनोद अदाणी, शिशिर बजौरिया, गड़वारे परिवार, अपोलो ग्रुप के चेयरमैन ओंकार कंवर, वकील हरीश साल्वे, टैफे की चेयरमैन मल्लिका श्रीनिवासन, डीएलएफ के केपी सिंह और परिवार का नाम प्रमुख है.
पनामा पेपर्स की तरह ही ICIJ ने दुनिया भर के चुनिंदा पत्रकारों के साथ मिलकर साल 2021 में पेंडोरा पेपर्स की जांच प्रकाशित की है. इसमें भी कई भारतीयों का नाम आया था. इनकम टैक्स विभाग ने कार्रवाई करते हुए ऐसे लोगों को नोटिस भेजे हैं.