पनामा और पैरेडाइज पेपर्स के बाद ईयू पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और रईसों की टैक्सचोरी रोकने का दबाव बढ़ा. अब यूरोपीय संघ ने 17 टैक्स हेवन की एक सूची तैयार की है. इसमें यूरोप से कोई देश नहीं है.
पैसा बचाने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते. और अगर किसी देश के नियम ही ऐसे हों कि वहां ना ही आपको टैक्स चुकाना पड़े और ना ही आपके डाटा के साथ छेड़छाड़ हो, तो और क्या चाहिए.
ये हैं दुनिया के 10 सबसे बड़े टैक्स हेवन
पैसा बचाने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते. और अगर किसी देश के नियम ही ऐसे हों कि वहां ना ही आपको टैक्स चुकाना पड़े और ना ही आपके डाटा के साथ छेड़छाड़ हो, तो और क्या चाहिए. जानिए पैसा बचाने के लिए लोग कहां कहां जाते हैं.
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स्विट्जरलैंड
भारत में जैसे ही काले धन का जिक्र होता है, तो सबसे पहले लोगों के जहन में स्विट्जरलैंड का नाम ही आता है. यह जगह इतनी मशहूर है कि फिल्मों में विलन का भी स्विस बैंक अकाउंट होना जरूरी हो गया है. वजह है यहां की गोपनीयता नीति.
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हांगकांग
चीन में होते हुए भी हांगकांग की अपनी अलग मुद्रा है, अपने अलग कानून हैं, अपनी अलग राजनीति है. बेहद कम टैक्स दर और कई तरह के गोपनीयता कानून दुनिया भर के व्यापारियों को यहां खींचते हैं. खास कर चीन के लोग टैक्स बचाने यहां आते हैं.
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अमेरिका
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अपने नागरिकों से तो टैक्स वसूलने में कामयाब रहती है लेकिन बड़ी बड़ी कंपनियां इसके हाथ नहीं आती. अमेरिकी कानून में ऐसे कई पेंच हैं जिनका फायदा उठा कर कंपनियां कॉर्पोरेट टैक्स देने से बचती हैं और पैसा आसानी से देश से बाहर ले जाती हैं.
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सिंगापुर
1965 में जब सिंगापुर मलेशिया से अलग हुआ तब कौन सोच सकता था कि इतनी जल्दी वह दुनिया के सबसे रईस देशों में गिना जाने लगेगा. यहां बैंक अकाउंट खुलवाना बेहद आसान है लेकिन किसी के अकाउंट को ट्रैक करना बेहद मुश्किल.
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केमन द्वीप
क्यूबा और जमैका के करीब बसा छोटा सा केमन आयलैंड पैसा बचाने के लिए जन्नत है. विदेशी कंपनियों को यहां ना ही इंकम टैक्स देना होता है और ना ही कंपनी टैक्स.
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लग्जमबर्ग
यह छोटा सा देश जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम के बीच स्थित है. महज पांच लाख की आबादी वाले इस देश में 27 देशों के करीब 150 अलग अलग बैंक मौजूद हैं. लेकिन यूरोपीय संघ ने हाल में जो कानूनी बदलाव किए हैं, उसके बाद लग्जमबर्ग में बैंक अपनी गोपनीयता नीति को बरकरार नहीं रख पाएंगे.
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लेबनान
जितनी लेबनान की कुल आबादी है, उससे ज्यादा लेबनानी देश के बाहर रहते हैं और वहां से पैसा अपने देश भेजते हैं. गोपनीयता को ले कर कानून बहुत सख्त हैं जिस कारण उन्हें सरकार को अपने धन का पूरा ब्यौरा नहीं देना पड़ता.
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जर्मनी
आम नागरिक की जेब से वेतन का करीब चालीस फीसदी सीधे टैक्स में चला जाता है लेकिन कॉर्पोरेट टैक्स की अगर बात की जाए, तो जर्मनी उससे कुछ खास नहीं कमा पता. टैक्स के एक्सपर्ट पेंचीदगियों को जानते हैं और कंपनियों का टैक्स बचा लेते हैं.
यहां की अर्थव्यवस्था जितनी तेल से जुड़ी है उतनी ही विदेशियों के धन से भी. बहरीन को इस्लामिक बैंकिंग के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है. विदेशी कंपनियों के लिए यहां ना ही इंकम टैक्स है और ना ही कॉर्पोरेट टैक्स.
पनामा
पनामा पेपर लीक्स के बाद से यह नाम सबकी जुबान पर है. यहां कई भारतीयों की फर्जी कंपनियां होने की भी खबरें हैं. कर चोरी के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. मनी लॉन्डरिंग किस किस तरह से होती है, यह जानने के लिए ऊपर दिए गए "और+" पर क्लिक करें.