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2022 में किस ओर जाएगी कोरोना वायरस महामारी

३० नवम्बर २०२१

संभव है कि अगले साल कोरोना वायरस महामारी कमजोर हो कर एक स्थानिक रोग बन जाए लेकिन अगर टीका मिलने में मौजूदा असमानताएं जारी रहीं और नए वेरिएंट आते रहे तो हालात कैसे होंगे?

Indien Dorf Minpa Covid-19 Impfung
तस्वीर: Murali Kirshnan

यह सच है कि इस समय दुनिया भर के देश वायरस के एक नए और चिंताजनक वेरिएंट से निपटने की तैयारी कर रहे हैं और यूरोप में महामारी का फिर से प्रकोप फैला हुआ है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगले साल महामारी पर नियंत्रण पाना संभव है.

वायरस पर काबू पाने की सारी जानकारी और उपाय मौजूद हैं. सुरक्षित और प्रभावी टीकों का भंडार बढ़ता जा रहा है और नए नए इलाज भी सामने आ रहे हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जिन कड़े कदमों को उठाने की जरूरत है वो हम उठाएंगे या नहीं.

टीकों की अरबों खुराकें

कोविड संकट पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य विशेषज्ञ मारिया वान करखोव ने हाल ही में पत्रकारों से कहा था, "इस महामारी का पथ हमारे ही हाथों में है. क्या हम ऐसे पड़ाव पर पहुंच सकते हैं जहां हमने 2022 में संक्रमण के प्रसार पर नियंत्रण पा लिया हो? बिलकुल."

तस्वीर: William West/AFP/Getty Images

उन्होंने आगे कहा, "हम ऐसा अभी तक कर चुके होते, लेकिन हमने नहीं किया है." टीकों को बाजार में आए एक साल हो चुका है और अभी तक दुनिया भर में करीब 7.5 अरब खुराकें दी जा चुकी हैं.

अगले साल जून तक करीब 24 अरब खुराकें बन कर तैयार होने की संभावना है. इतना दुनिया की पूरी आबादी के लिए काफी है लेकिन गरीब देशों में टीकों की भारी कमी और कुछ लोगों में टीके के विरोध की वजह से कई देशों में हालात बुरे हैं.

डेल्टा जैसे नए और ज्यादा संक्रामक वेरिएंटों ने संक्रमण की लहर पर लहर पैदा कर दी है और इस वजह से क्षमता से ज्यादा भरे हुए अस्पतालों में ट्यूब लगाए हुए मरीजों और अपने निकट संबंधियों के लिए ऑक्सीजन ढूंढते लोगों की कतारों के दृश्य अभी भी देखने को मिल रहे हैं.

पैनडेमिक से एंडेमिक

दुनिया भर के देश अभी भी खुलने और फिर तालाबंदी लगाने के फैसलों के बीच घूम रहे हैं. लेकिन इन सब के बावजूद, कई विशेषज्ञों का मानना है कि महामारी का यह चरण जल्दी ही खत्म हो जाएगा.

उनका कहना है कि कोविड पूरी तरह से गायब तो नहीं होगा लेकिन यह मोटे तौर पर एक नियंत्रित एंडेमिक या स्थानिक रोग बन जाएगा जिसके साथ हम फ्लू की तरह रहना सीख लेंगे.

तस्वीर: Kim Hong-Ji/REUTERS

इरविन में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के महामारीविद एंड्रू नॉयमर कहते हैं कि कोविड एक तरह "फर्नीचर का हिस्सा बन जाएगा." हालांकि टीका मिलने में भारी विषमताएं एक बहुत बड़ी चुनौती हैं.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े दिखाते हैं कि ऊंची आय वाले देशों में तो करीब 65 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी है, लेकिन कम आय वाले देशों में यह आंकड़ा सिर्फ सात प्रतिशत पर है.

एक महंगी विषमता

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस असंतुलन को एक नैतिक अत्याचार बताया है और अमीर देशों को कहा है कि जब तक पूरी दुनिया में सबसे कमजोर लोगों को कम से कम एक खुराक नहीं मिल जाती तब तक वो पूरी तरह से टीका प्राप्त लोगों को बूस्टर खुराक ना दें.

लेकिन उसकी अपील का कोई असर नहीं हुआ है और बूस्टर खुराकें दी जा रही हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ जोर दे कर कहते हैं कि कोविड को कुछ स्थानों पर बिना किसी रोक के बढ़ते देने से नए और पहले से ज्यादा खतरनाक वैरिएंटों के उभरने का खतरा बढ़ जाता है. इससे पूरी दुनिया पर जोखिम बढ़ जाएगा.

भारत के अशोका विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान और जीव विज्ञान के प्रोफेसर गौतम मेनन भी कहते हैं कि यह अमीर देशों के भी हित में ही होगा कि वो यह सुनिश्चित करें कि गरीब देशों को भी टीके मिलें.

उन्होंने कहा, "यह मान लेना अदूरदर्शी होगा कि खुद को टीके लगा कर उन्होंने समस्या को खत्म कर लिया है." अगर इस असंतुलन को ठीक नहीं किया गया तो विशेषज्ञों की चेतावनी है कि आगे जा कर स्थिति और भी खराब हो सकती है.

सीके/एए (एएफपी)

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