पेगासस जासूसी विवाद पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपों की जांच के लिए समिति का गठन होगा. साथ ही सरकार ने जासूसी के आरोपों का खंडन किया है.
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केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच क्षेत्र के विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा की जाएगी. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा, "उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए किसी भी और सभी आरोपों से साफ तौर से इनकार किया जाता है."
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो पन्ने के संक्षिप्त हलफनामे में जासूसी के आरोपों का खंडन किया है.
कोर्ट में हलफनामा
हलफनामे में आगे कहा गया है, "उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं के अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये अनुमानों और अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं."
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि कुछ निहित स्वार्थों द्वारा फैलाए गए किसी भी गलत नैरेटिव को दूर करने के लिए और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा. हलफनामे में कहा गया कि समिति द्वारा मामले के सभी पहलुओं की जांच की जाएगी.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार पेगासस पर सवालों का जवाब संसद में दे चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट विभिन्न दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक एसआईटी जांच, एक न्यायिक जांच और सरकार को निर्देश देना शामिल है कि क्या उसने नागरिकों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं.
10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर सुनवाई पर सोशल मीडिया पर समानांतर बहस पर आपत्ति जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि अनुशासन और न्याय प्रणाली में विश्वास होना चाहिए.
पेगासस पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने
पेगासस जासूसी विवाद पर मानसून सत्र में विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध बना रहा और हंगामे के कारण सही ढंग से संसद में काम नहीं हो पाया.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन राम, शशि कुमार शामिल हैं.
पिछले महीने दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की.
भारत में मीडिया संस्थान द वायर उस जांच का हिस्सा है, जिसे "पेगासस प्रोजेक्ट" नाम दिया गया है. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था "फॉरबिडन स्टोरीज" को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं जैसे वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन और ला मोंड व जर्मनी में ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने भी इस जांच में हिस्सा लिया था. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था. इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं.
रिपोर्ट में भारत में कई पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ता के फोन हैक करने का दावा किया गया था.
कब-कब सरकार ने कहा आंकड़े नहीं हैं
भारत में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर भारत सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं. विपक्ष सरकार से आंकड़े मांगता है सरकार कहती है हमें जानकारी ही नहीं है. एक नजर, ऐसे मुद्दों पर जिनके बारे में सरकार के पास डेटा नहीं हैं.
तस्वीर: Sonali Pal Chaudhury/NurPhoto/picture alliance
ऑक्सीजन की कमी से मौत
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं होने के बयान के बाद सरकार दोबारा से डेटा जुटाएगी. सरकार ने संसद में 20 जुलाई को बयान दिया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे और आलोचना के बाद सरकार ने राज्यों से दोबारा से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आंकड़ा मांगा है.
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर पैदल ही शहरों से गांव की ओर निकल पड़े. सफर के दौरान प्रवासी मजदूरों की सड़क हादसे, रेल ट्रैक पर चलने और अन्य कारणों से मौत हुई. स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के दौरान 971 प्रवासी मजदूरों की गैर कोविड मौतें हुईं. सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत के बारे में उसके पास डेटा नहीं है.
तस्वीर: DW/M. Kumar
बेरोजगारी और नौकरी गंवाने पर डेटा
मानसून सत्र में सरकार से सभी दलों के कम से कम 13 सांसदों ने कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी और नौकरी गंवाने वालों का स्पष्ट डेटा मांगा था, लेकिन सरकार ने डेटा मुहैया नहीं कराया. इसके बदले केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज, मेड इन इंडिया परियोजनाओं, स्वरोजगार योजनाओं और ऋणों का विवरण देकर इस मुद्दे को टाल दिया.
तस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance
किसान आंदोलन के दौरान मौत का आंकड़ा
23 जुलाई 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन पंजाब सरकार ने जो डेटा इकट्ठा किया है उसके मुताबिक कुल 220 किसानों की राज्य में मौत हुई. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10.86 करोड़ मुआवजा भी दिया है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
कितना काला धन
मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि पिछले दस साल में स्विस बैंकों में कितना काला धन छिपाया गया है उसे इस बारे में कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद विन्सेंट एच पाला के सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते कई सालों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को लाने की कई कोशिशें की हैं.
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क्रिप्टो करेंसी के कितने निवेशक
भारत में काम कर रहे निजी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों की संख्या बढ़ रही है, केंद्र के पास उन पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. इन एक्सचेंजों से जुड़े निवेशकों की संख्या के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. देश में एक्सचेंजों की संख्या और उनसे जुड़े निवेशकों की संख्या पर एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने 27 जुलाई को संसद में एक लिखित जवाब में कहा, "यह जानकारी सरकार द्वारा एकत्र नहीं की जाती है."
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पेगासस जासूसी मामला
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पेगासस जासूसी मामला इस वक्त सबसे गर्म मुद्दा है. दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. भारत के संचार मंत्री ने इस मामले में लोकसभा में एक बयान में कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत है.