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ब्रेक्जिट पर सुप्रीम कोर्ट में हारी ब्रिटिश सरकार

२४ जनवरी २०१७

ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की सरकार अपने आप ब्रेक्जिट से जुड़े फैसले नहीं ले सकती. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को ब्रेक्जिट के बारे में फैसलों पर संसद से इजाजत लेनी होगी.

Großbritannien Karikatur zum Brexit vor dem Obersten Gericht in London
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Jones

इस फैसले का अर्थ है कि प्रधानमंत्री टेरीजा मे को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के बारे में जो भी समझौते या बातचीत करनी है, उसमें संसद को साथ लेना होगा. सरकार चाहती थी कि उसे इन फैसलों को बिना संसद की इजाजत के ही लेने दिया जाए.

देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब प्रधानमंत्री मे यूरोपीय संघ से ब्रेक्जिट के बारे में बातचीत तब तक शुरू नहीं कर पाएंगी जब तक कि उन्हें ससंद की अनुमति नहीं मिल जाती. बातचीत शुरू करने के लिए सरकार ने 31 मार्च को अंतिम तारीख तय किया है.

कोर्ट ने हालांकि एक फैसला सरकार के पक्ष में भी दिया. इसके मुताबिक सरकार को ब्रेक्जिट पर बातचीत के लिए स्कॉटलैंड की संसद और वेल्श व नॉर्दर्न आयरलैंड की असेंबली से इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं है.

इस मामले में ब्रिटिश सरकार का तर्क था कि लिस्बन संधि की धारा 50 के तहत उसे बिना संसद की इजाजत के बातचीत शुरू करने का अधिकार है. विरोधी इस रवैये को लोकतंत्र विरोधी बता रहे थे. कोर्ट ने सरकार के विरोध में फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट के 11 जजों की बेंच में से तीन जजों ने सरकार को सही बताया जबकि आठ जजों ने विरोध में फैसला दिया.

तस्वीरों में, क्या होगा ब्रेक्जिट के बाद

अटॉर्नी जनरल जर्मी राइट ने कहा कि सरकार इस फैसले से नाखुश है. उन्होंने कहा कि हम निराश हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए और उसे लागू करने के लिये जो भी जरूरी कदम होंगे, उठाए जाएंगे.

वीके/एके (एपी, डीपीए)

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